पटनचेरु डिविजन के के चितकुल गांव की झील में बुधवार को बड़ी संख्या में मछलियां मरी हुई पाई गई हैं. स्थानीय मछुआरों की मानें तो करीब 10 टन मछलियां मर गई हैं. स्थानीय लोगों को संदेह है कि रासायनिक अपशिष्ट पदार्थों से झील के दूषित होने के कारण मछलियां मरी हैं. फिशरीज डिपार्टमेंट के अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं और नमूने इकट्ठा कर रहे हैं. अधिकारियों का अनुमान है कि करीब एक करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. यह झील हैदराबाद के बाहरी हिस्से में पड़ती है और फिशरीज डिपार्टमेंट के लिए काफी महत्वपूर्ण है.
विभाग ने साल 2023 में आखिरी दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान झील में 1.5 लाख मछलियां छोड़ी थीं. मछुआरों की शिकायत के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अधिकारियों ने झील का दौरा किया. शुरुआती जांच में पीसीबी के अधिकारियों ने पाया कि पानी में ऑक्सीजन का स्तर सामान्य से कम था. इससे भी मछलियों की मौत हो सकती है. हालांकि, अधिकारियों ने यह भी कहा है कि वो लैब रिपोर्ट देखने के बाद ही सही वजह जान पाएंगे.
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चितकुल गांव में 100 से ज्यादा मछुआरों का परिवार इसी झील पर निर्भर हैं. उन्होंने सरकार से मदद की मांग की है क्योंकि पानी के प्रदूषण की वजह से उनकी आजीविका खत्म हो गई है. इस घटना के कई वीडियो भी सामने आ रहे हैं जिसमें कई मरी हुई मछलियों को ऊपर तैरते हुए देखा जा सकता है. फिलहाल इस घटना की जांच जारी है और इसके बाद ही इसकी वजह का पता चल सकेगा.
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कुछ इसी तरह की घटना कनाडा के ओटावा में एक महीने पहलु हुई थी. उस समय मैकटावा झील में हजारों मछलियां मरी हुई पाई गई थीं. उस घटना की जांच में सामने आया था कि पानी में प्रदूषण की वजह से मछलियों की मौत हो गई थी.
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