फिरोजपुर में पराली जलाने की घटनाओं में लगभग 50 प्रतिशत की कमी दर्ज की गईपंजाब के सीमावर्ती जिले फिरोजपुर में पराली जलाने की घटनाओं में बहुत बड़ा सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिला है. लगातार निगरानी, तकनीकी सहायता और किसानों की सक्रिय भागीदारी के कारण, पिछले साल की तुलना में पराली जलाने की घटनाओं में लगभग 50 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. इसके अलावा जिले में मशीनरी के उपयोग में भी 20 प्रतिशत तक की वृद्धि देखने को मिली है.
लगभग 475 गांवों में अब तक पराली जलाने की "जीरो" घटनाएं दर्ज की गई हैं. पिछले साल नवंबर तक जहां पराली जलाने के 497 मामले सामने आए थे, वहीं इस साल अब तक 263 घटनाएं सामने आई हैं. अंग्रजी अखबार 'द ट्रिब्यून' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल खेतों में आग लगाने के कुल 1,342 मामले दर्ज किए गए, 2023 में 3,409 और 2022 में 4295 मामले दर्ज किए गए. ये आंकड़े स्पष्ट रूप से पाकिस्तान के साथ सीमा साझा करने वाले इस जिले में पराली जलाने की घटनाओं में धीरे-धीरे कमी आने का संकेत है.
इसको लेकर डिप्टी कमिश्नर दीपशिखा शर्मा ने कहा कि प्रशासन पराली जलाने की घटनाओं को और कम करने के लिए बहुआयामी समन्वित प्रयास कर रहा है. उन्होंने आगे कहा कि किसान भी इस प्रयास में सहयोग कर रहे हैं, जिससे पराली जलाने की घटनाओं से राहत मिल रही है. उन्होंने बताया कि अब तक 80 प्रतिशत से ज़्यादा फ़सल की कटाई हो चुकी है. डीसी ने कहा कि यहां तक कि पांच या इससे अधिक आग की घटनाओं वाले गांवों की संख्या भी इस साल 85 से घटकर मात्र 2 रह गई है. उन्होंने कहा कि जिले ने कई नए कदमों के माध्यम से बायोमास उपयोग में अभूतपूर्व वृद्धि हासिल की है.
डिप्टी कमिश्नर दीपशिखा ने कहा कि हकुमत सिंह वाला गांव में सुखबीर एग्रो के बायोमास संयंत्र ने कुल भूसे की आवश्यकता का 82 से 90 प्रतिशत प्राप्त कर लिया है, जो पिछले साल के 45-50 प्रतिशत से काफी अधिक है. उन्होंने कहा कि बायोमास प्रसंस्करण बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए 72-75 मीट्रिक टन की संयुक्त क्षमता वाले 6 नए पेलेटीकरण संयंत्र स्थापित किए गए हैं. एक अन्य अभिनव कदम के तहत प्रशासन ने जिले के सभी 63 ईंट भट्टों के लिए वैकल्पिक ईंधन स्रोत के रूप में धान की पराली का उपयोग करना अनिवार्य कर दिया. डीसी ने कहा कि ये भट्टे सामूहिक रूप से लगभग 10,000 मीट्रिक टन धान के अवशेषों का उपभोग कर रहे हैं, जो टिकाऊ बाह्य उपयोग की दिशा में एक बड़ा कदम है.
डिप्टी कमिश्नर ने आगे बताया कि पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए जिले के 652 गांवों में 391 नोडल अधिकारी और 45 क्लस्टर कार्यालय नियुक्त किए गए हैं. डीसी ने बताया कि ये अधिकारी न केवल किसानों की सहायता करते हैं, बल्कि कड़ी निगरानी भी रखते हैं और पराली जलाने वालों की तुरंत सूचना देना सुनिश्चित करते हैं.
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