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PM KUSUM : प्रचार प्रसार की कमी के कारण किसानों की बंजर जमीन पर नहीं लग रहीं सोलर ग्रिड

PM KUSUM : प्रचार प्रसार की कमी के कारण किसानों की बंजर जमीन पर नहीं लग रहीं सोलर ग्रिड

वैश्विक स्तर पर Solar Energy को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर भारत की अगुवाई में International Solar Alliance का गठन हुआ. इसे कारगर बनाने में भारत की भूमिका को अग्रणी माना गया है. इसमें देश के किसान निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. लेकिन राज्य सरकारों की निष्क्रियता के कारण किसान इस मामले में बहुत पीछे रह गए हैं.

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सौर ऊर्जा से किसान सिंचाई ही नहीं, बल्कि कर सकते हैं मोटी कमाई भी (सांकेतिक फोटो) सौर ऊर्जा से किसान सिंचाई ही नहीं, बल्कि कर सकते हैं मोटी कमाई भी (सांकेतिक फोटो)

भारत सहित समूची दुनिया में लगातार बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए PM Modi ने सौर ऊर्जा के विकल्प को अपनाने की पहल की है. इस काम में किसानों की अग्रणी भूमिका तय करते हुए सरकार ने 2019 में प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा एवं उत्थान महाभियान (PM KUSUM) का आगाज किया था. दोहरे मकसद वाली इस योजना की मदद से देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के अलावा सौर ऊर्जा से किसानों की आय बढ़ाने की कोशिश की गई. तीन Component वाली इस योजना की दो श्रेणियों में अनुपजाऊ इलाकों की बंजर जमीनों के मालिक बड़े किसानों को 2.5 किलोवाट क्षमता तक के Solar Park लगाने का प्रावधान किया गया. मगर सरकारी तंत्र की निष्क्रियता के कारण किसानों तक इस योजना का लाभ पहुंच ही नहीं पाया. यह बात पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत देश की अग्रणी शोध संस्थान Center For Science and Environment (CSE) की पीएम कुसुम योजना के परिणामों को लेकर जारी की गई एक अध्ययन रिपोर्ट में उजागर हुई है.

बंजर जमीन पर नहीं लग रही सोलर ग्रिड

सीएसई की रिपोर्ट के अनुसार पीएम कुसुम योजना के पहले कंपोनेंट में किसानों की बंजर जमीन पर सोलर ग्रिड लगाई जानी है. इस कंपोनेंट में 2019 से लेकर अप्रैल 2024 तक महज 4 फीसदी लक्ष्य ही पूरा हो सका है.

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रिपोर्ट के अनुसार इन दोनों कंपोनेंट के लक्ष्य हासिल करने के मामले में अधिकांश राज्यों का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है. इस योजना को अंजाम दे रही Ministry of New and Renewable Energy के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया गया है कि देश भर में बंजर जमीन पर Solar Grid लगाने के 4766 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई. मगर इनमें से महज 210 प्रस्तावों को अमलीजामा पहनाते हुए बंजर जमीनों पर पावर ग्रिड लग सकी.

इसी तरह दो भागों में बंटे तीसरे कंपोनेंट के पहले भाग में 1,61,204 बिजली के पंपों को सोलर पंप में तब्दील करने का अनुमोदन मिला था. मगर इनमें से महज 2644 पंप ही सोलर पंप में तब्दील हो पाए हैं. इसके दूसरे भाग में feeder level solarization के तहत पूरे देश में 33 लाख 76 हजार 466 पंप में से महज 9603 पंप ही लग सके.

5 राज्यों में ही बने सोलर पार्क

रिपोर्ट के अनुसार पहले कंपोनेंट के तहत बंजर जमीनों के बड़ी जोत के किसान कम से कम 14 एकड़ जमीन पर 8 करोड़ रुपये की लागत से सोलर पार्क बना सकते है. इस श्रेणी में देश के 29 में से 19 राज्यों ने 4766 सोलर पार्क बनाने के प्रस्तावों को मंजूरी दी है. मगर इनमें से महज 5 राज्यों में ही इन प्रस्तावों पर काम शुरू करके सोलर पार्क बनाए जा सके हैं. बिहार सहित 10 राज्यों ने तो इस श्रेणी में एक भी प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी.

इस मामले में राजस्थान सरकार ने सबसे ज्यादा 1200 प्रस्तावों का अनुमोदन कर 162 किसानों की जमीन पर सोलर पार्क बना दिए हैं. वहीं, हिमाचल प्रदेश में अनुमोदित 100 प्रस्तावों में से 22 और एमपी में 600 अनुमोदित प्रस्तावों में से 16 पर सोलर पार्क बने हैं. इसके अलावा छत्तीसगढ़ में 4 और हरियाणा में 2 सोलर पार्क बन सके.

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पीएम कुसुम से किसान कर सकते हैं कमाई

केंद्र सरकार ने पीएम कुसुम योजना को एक साथ कई मकसद पूरा करने वाली योजना के रूप में शुरू किया था. इसमें सौर ऊर्जा को बढ़ावा मिलने से पर्यावरण संरक्षण के काम काे गति मिलने के अलावा किसानों की Irrigation Cost शून्य करके खेती के खर्च को भी कम किया जा सकता है. साथ ही बड़ी जोत वाले किसान इस योजना में सोलर ग्रिड लगाकर सरकार को बिजली बेचकर भरपूर कमाई भी कर सकते हैं.

अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार इतने बेहतर मकसद वाली योजना को सफल बनाने के लिए किसानों को योजना के प्रति जागरूक करना सरकार का काम है. मगर, पिछले 5 साल में योजना की समीक्षा से स्पष्ट हो गया है कि राज्य सरकारें और प्रशासन किसानों तक इस योजना का लाभ पहुंचाने में पूरी तरह से नाकाम रहे हैं.

योजना के प्रावधान

 केंद्र सरकार ने Farmers Income को बढ़ाने वाली इस योजना को तीन कंपोनेंट में विभाजित किया है. पहले कंपोनेंट में कोई भी किसान कम से कम 14 एकड़ बंजर जमीन पर 2.5 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता की Mini Solar Grid स्थापित कर सकता है. इस श्रेणी में लगने वाली यूनिट की लागत लगभग 8 करोड़ रुपये है. इससे किसान प्रतिदिन औसतन 16 हजार 900 यूनिट बिजली सरकार को 3.14 रुपये प्रति यूनिट की दर से बेच कर प्रतिदिन 53 हजार रुपये और प्रति माह 15 लाख 91 हजार 980 रुपये किसान की कमाई हो सकती है.

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दूसरी श्रेणी में किसानों को सिंचाई के लिए डीजल या बिजली पंप की जगह 70 से 80 फीसदी अनुदान पर सोलर पंप दिए जाते हैं. सरकार का दावा है कि सोलर पंप के इस्तेमाल से किसान सिंचाई के लिए डीजल या बिजली पर खर्च होने वाली राशि में सालाना 64 हजार 890 रुपये की बचत कर सकता है. इस योजना के तहत दूसरी श्रेणी में ही किसानों को सौर ऊर्जा से लैस करने के लिए सभी राज्य सरकारें सबसे ज्यादा प्रोत्साहन दे रही हैं.

तीसरी श्रेणी बिजली के पंप से सिंचाई करने वाले उन किसानों के लिए है, जिनके पास कम से कम 14 एकड़ बंजर जमीन भी है. इस श्रेणी में किसान को सिंचाई के लिए अनुदान पर सोलर पंप देने के साथ बंजर जमीन पर 2.5 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता का सोलर पार्क भी बनाने में मदद की जाती है. बिहार में तीसरी श्रेणी के तहत ही 1.60 लाख Project Sanction हुए हैं. यह बात दीगर है कि इनमें से कोई भी प्रोजेक्ट अब तक लगाया नहीं गया है.