संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) अपना आंदोलन फिर से शुरू करने जा रहा है. किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और लोन माफी सहित कई मांगों को लेकर अपना विरोध प्रदर्शन फिर से तेज करेंगे. संगठन ने गुरुवार को इस बात की जानकारी दी. एसकेएम ने ही साल 2020-21 का चर्चित किसान आंदोलन शुरू किया था. लेकिन सरकार के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद आंदोलन रुक गया था. अब किसान संगठन फिर से आंदोलन शुरू करने जा रहा है.
किसानों की कई मांगें हैं, लेकिन सबसे अहम फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी, कृषि लोन की माफी और किसानों-कृषि श्रमिकों के लिए पेंशन की मांग शामिल है. एसकेएम ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का समय मांगेगा और मिलने पर उनके सामने किसानों की मांगें रखी जाएंगी. एसकेएम ने कहा है कि वह संसद में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से मिलकर अपनी पेंडिंग मांगों के लिए चार्टर पेश करेंगे.
एसकेएम की प्लानिंग के मुताबिक, संगठन के नेता अपने अपडेटेड मांगों के चार्टर को लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्यों को पेश करेंगे. एसकेएम ने कहा है कि 16-18 जुलाई के बीच अलग-अलग राज्यों के संगठन के नुमाइंदे सांसदों से मिलेंगे और उन्हें मांगों की कॉपी सौंपेंगे. इस तरह की मीटिंग का मकसद यही है कि सांसद संसद में सत्तारूढ़ दल पर दबाव बनाएं ताकि सरकार एमएसपी को कानूनी गारंटी दे सके.
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संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने अपनी आम सभा की बैठक के एक दिन बाद यह घोषणा की. एसकेएम ने कहा, "आम सभा ने 9 दिसंबर, 2021 को केंद्र सरकार और एसकेएम के बीच हुए समझौते को लागू करने की मांग करते हुए आंदोलन फिर से शुरू करने का फैसला किया है, जिस पर भारत सरकार के कृषि विभाग के सचिव ने हस्ताक्षर किए हैं, और किसानों की आजीविका को प्रभावित करने वाली अन्य प्रमुख मांगें हैं."
पंजाब के किसानों ने इस साल 13 फरवरी को 'दिल्ली चलो' विरोध प्रदर्शन शुरू किया था, लेकिन उन्हें दिल्ली में घुसने से रोक दिया गया, जहां वे केंद्र सरकार के सामने अपनी मांगों को रखने की प्लानिंग बना रहे थे. इस मार्च का नेतृत्व किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के बैनर तले 250 से अधिक किसान यूनियनों ने किया था. केएमएम का दावा है कि उसके साथ लगभग 100 यूनियनों का समर्थन है और साथ में संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) भी है जो अन्य 150 यूनियनों का एक मंच है.
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