राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि पशु और मानव का रिश्ता परिवार जैसा है. भारतीय संस्कृति में सभी जीवों में ईश्वर का वास माना गया है. ऐसे में पशु चिकित्सा के क्षेत्र में काम करने वाले विद्यार्थियों को बेजुबानों के कल्याण की भावना से काम करना चाहिए. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के 11वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि चिकित्सक या शोधकर्ता के रूप में कार्य करें तो मन में बेजुबान पशुओं के कल्याण की भावना हो. जब हम छोटे थे तो टेक्नोलॉजी का साधन नहीं था तब पशु ही हमारे साधन थे. पशु के बिना किसान आगे नहीं बढ़ सकते थे. पशु हमारे जीवन का धन हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि बेटियों को इस क्षेत्र में आगे आता देखना सुखद संकेत है.
दीक्षांत समारोह में पदक प्राप्त करने वाली छात्राओं की संख्या अधिक रही. राष्ट्रपति ने इसे समाज में सकारात्मक बदलाव की बुनियाद बताया. उन्होंने कैटल शेड और ग्रामीण परिवेश में पशुओं से महिलाओं के जुड़ाव की चर्चा करते हुए कहा कि मां-बहनें गायों की सेवा करती थीं. आज जब बेटियां इस क्षेत्र में प्रोफेशनली जुड़ रही हैं, तो यह बदलाव आशाजनक है.
राष्ट्रपति ने कहा कि 1889 में स्थापित इस संस्थान ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं. राष्ट्रपति ने वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध कार्यों और इस संस्थान के नाम दर्ज अनेक पेटेंट्स, डिजाइन, कॉपीराइट्स की भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि 'प्रिवेंशन इज बेटर देन क्योर' कहावत पशुओं के स्वास्थ्य के लिए भी पूरी तरह से लागू होती है. बीमारियों के रोकथाम में टीकाकरण की अहम भूमिका है. इस संस्थान के लिए गर्व का विषय है कि राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में अनेक टीके यहीं पर विकसित किए गए.
राष्ट्रपति ने कहा कि गिद्धों के विलुप्त प्राय होने के पीछे पशु चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक दवाओं की भी भूमिका है. ऐसी दवाओं पर प्रतिबंध लगाना गिद्धों के संरक्षण की दिशा में सराहनीय कदम है. वैज्ञानिकों के इस दिशा में कदम उठाने पर राष्ट्रपति ने बधाई दी. कई प्रजातियां या तो विलुप्त हो गईं या विलुप्त होने के कगार पर हैं. इन प्रजातियों का संरक्षण पर्यावरण संतुलन के लिए बहुत आवश्यक है. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान जैसे संस्थान जैव विविधता को बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाते हुए आदर्श प्रस्तुत करें.
राष्ट्रपति ने उपाधि और पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की बड़ी संख्या देखकर गर्व हो रहा है कि बेटियां अन्य क्षेत्र की तरह पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भी आगे आ रही हैं, यह शुभ संकेत है. राष्ट्रपति ने कैटल शेड की चर्चा करते हुए कहा कि मां, बहन गायों की सेवा करती थीं. गायों और पशुओं से माता-बहनों का जुड़ाव अधिक है. इस क्षेत्र में बेटियों का जुड़ाव देखकर बहुत अच्छा लगा.
राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा कि करियर के रूप में आपने निरीह और बेजुबान पशुओं की चिकित्सा और कल्याण के क्षेत्र को चुना है. इसमें सर्वे भवन्तु सुखिनः... की भारतीय सोच का भी योगदान रहा है. राष्ट्रपति ने संस्थान का ध्येय वाक्य सुनाकर उसके भावार्थ की चर्चा की कि सत्य गुण से ज्ञान की प्राप्ति होती है. विश्वास है कि इसी भावना के साथ आपने शिक्षा प्राप्त की होगी और भविष्य में भी इसी मूल भावना के साथ कार्य करते होंगे. जब भी आपके सामने दुविधा का क्षण हो तब उन बेजुबान पशुओं के बारे में सोचिए, जिनके कल्याण के लिए आपने शिक्षा ग्रहण की है. आपको सही मार्ग जरूर दिखाई देगा.
राष्ट्रपति ने कहा कि वन हेल्थ की अवधारणा महत्व प्राप्त कर रही है. माना जाता है कि मानव, घरेलू और जंगली जानवर, वनस्पति और व्यापक पर्यावरण एक-दूसरे पर आश्रित हैं. हमें अपनी परंपरा और इस अवधारणा का अनुसरण करते हुए पशु कल्याण के लिए प्रयास करना चााहिए. प्रमुख पशु संस्थान के रूप में इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट जेनेटिक बीमारियों के नियंत्रण और रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. ईश्वर ने मनुष्य को जो सोचने-समझने की शक्ति दी है. उसका उपयोग जीव-जंतुओं के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए.
राष्ट्रपति ने कहा कि कोरोना महामारी ने आगाह किया है कि उपभोग आधारित संस्कृति मानव, जीव-जंतुओं व पर्यावरण को अकल्पनीय क्षति पहुंचा सकती है. उन्होंने पशु कल्याण के लिए पशु आरोग्य मेलों के आयोजन पर जोर दिया. इनके तहत गांव-गांव में कैंप लगाकर पशुओं की चिकित्सा के साथ ही समाज भी स्वस्थ रहेगा.
राष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज गांव-गांव में घरेलू पशु नहीं दिख रहे हैं. यह पशु खेती में सहयोग करते हैं. आज टेक्नोलॉजी तो आई, लेकिन जमीन में खेती के साथी केंचुआ आदि समाप्त हो रहे हैं. इससे जमीन बंजर हो रही है. जमीन उर्वरता के लिए किसानों, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों और आमजन को सोचना चाहिए. पशु संपदा का संरक्षण और विकास हमारा कर्तव्य होना चाहिए.
राष्ट्रपति ने कहा कि टेक्नोलॉजी अन्य क्षेत्र की तरह पशु चिकित्सा और देखभाल में भी क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता रखती है. टेक्नोलॉजी के प्रयोग से देश भर के पशु चिकित्सा को सशक्त बनाया जा सकता है. जीनोम एडिटिंग, एम्ब्रियो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी, एआई, बिग डेटा एनालिटिक्स जैसे टेक्नोलॉजी के प्रयोग से इस क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए जा सकते हैं. आधुनिकतम टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके आईवीआरआई जैसे संस्थानों को पशु रोगों के निदान व पोषण उपलब्ध कराने के लिए स्वदेशी और सस्ते उपाय ढूंढने चाहिए. साथ ही उन दवाओं के विकल्प भी तलाशने चाहिए, जिनके साइड इफेक्ट्स न केवल पशुओं, बल्कि मनुष्यों व पर्यावरण को भी प्रभावित करते रहे हैं.
समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी आदि मौजूद रहे.
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