केरल के तीन जिलों के पॉल्ट्री किसान इन दिनों काफी चिंतित हैं, क्योंकि सरकार के फैसले के बाद उनकी रोजी-रोटी पर संकट आ गया है. हालांकि, सरकार की तरफ से यह कदम किसानों को और मुर्गियों की सुरक्षा और उनके भविष्य को लेकर उठाया गया है. पर इससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है. दरअसल अलप्पुझा, कोट्टायम और पथामिट्टा जलों में एवियन फ्लू निगरानी क्षेत्रों में मुर्गियों और अन्य पक्षियों की बिक्री और परिवहन पर रोक लगाने का फैसला किया है. यह रोक मार्च 2025 तक रहेगी. अब इन जिलों के पॉल्ट्री किसान इस रोक का विरोध कर रहे हैं.
इन जिलों में एवियन फ्लू के प्रकोप का अध्ययन करने के लिए केरल सरकार ने एक विशेषज्ञ पैनल की नियुक्ति की थी. इस टीम ने अपनी रिपोर्ट में लिखा की इन जिलों में बर्ड फ्लू के प्रसार को रोकने के लिए इन बर्ड्स की बिक्री पर रोक लगानी होगी. विशेषज्ञ पैनल ने यह भी सिफारिश की कि मार्च 2025 तक बीमारी से प्रभावित जिलों में कोई भी नई बत्तख या मुर्गी नहीं रखी जानी चाहिए. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकारी फार्मों सहित निगरानी क्षेत्रों में हैचरी को मार्च 2025 तक बंद कर दिया जाना चाहिए. इस सिफारिश को लेकर जिले के पॉल्ट्री किसानों का कहना है कि अलप्पुझा जिले तथा कोट्टायम और पथानामथिट्टा जिलों के कुछ हिस्सों में पोल्ट्री फारमिंग पर पर आठ महीने का प्रतिबंध लगाने से इस क्षेत्र में यह बिजनेस पूरी तरह से खत्म हो जाएगा.
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द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार अलप्पुझा में पत्रकारों से बात करते हुए केरल पोल्ट्री फार्मर्स वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्यों ने कहा कि विशेषज्ञ पैनल की रिपोर्ट ने पूर्ण प्रतिबंध की सिफारिश की है जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. एसोसिएशन के सदस्यों ने बताया कि कहा कि इस क्षेत्र में सैकड़ों लोग बत्तख, मुर्गी, बटेर और पालतू पक्षियों का पालन करके अपना जीवन यापन कर रहे हैं. ऐसे में अगर पोल्ट्री फार्मिंग पर प्रतिबंध लगाए जाते हैं तो इससे कई परिवारों की आजीविका प्रभावित होगी. इसके अलावा, इससे संबद्ध क्षेत्रों में काम करने वालों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
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इसके बाद से किसान केरल सरकार के इस फैसल के खिलाफ आ गए हैं. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकारी फार्मों सहित निगरानी क्षेत्रों में हैचरी को मार्च 2025 तक बंद कर दिया जाना चाहिए. एसोसिएशन ने धमकी दी कि अगर सरकार ने "पोल्ट्री किसान विरोधी सिफारिशों" को लागू किया तो वे विरोध प्रदर्शन शुरू कर देंगे. इसने सरकार से आग्रह किया कि वह पोल्ट्री किसानों को मुआवजा दे, जिन्हें हाल ही में एवियन फ्लू के प्रकोप में नुकसान हुआ है. विशेषज्ञ पैनल ने कुट्टनाड क्षेत्र में खुले मैदानों और जलाशयों में बत्तख पालने की प्रथा को बदलने और उन्हें बाड़ों और खेतों में पालने की सिफारिश की.
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