हिमाचल प्रदेश की कुन्नू चारंग पंचायत में मटर की तैयार फसल रास्ता टूटने के कारण अब सड़ने लगी है. किन्नौर जिला में तिब्बत सीमा से सटे क्षेत्र में कुन्नू-चारंग मार्ग लैंडस्लाइड के कारण अवरुद्ध हुआ है. आलम ये है कि अवरुद्ध रास्ते के पास मटर सड़ने के कारण लोग इसे नदी नालों में फैंकने के लिए मजबूर हैं. लोगों का कहना है कि जगह-जगह रास्ता बंद होने की वजह से मटर को दूसरे छोर तक ले जाना पड़ रहा है. ऐसे में समय अधिक लगने के कारण मटर मंडी पहुंचने से पहले ही सड़ जा रही है.
स्थानीय लोगों का कहना है तिब्बत सीमांत इस जनजातीय क्षेत्र में साल में एक ही नकदी फसल मटर की पैदावार होती है, जो रोजी का एक मात्र जरिया है. इस बार आपदा के चलते उनकी रोजी पर संकट गहरा गया है. लोगों का कहना है कि अकेले इस क्षेत्र से ग्रामीण करीब 2.5 करोड़ की मटर हर साल बेचते हैं. लेकिन इस बार किसानों की मटर मंडी नहीं पहुंच पा रही. कुन्नू-चारंग सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. यहां सीमा क्षेत्र के कारण सेना और आइटीबीपी भी तैनात है. लेकिन कुन्नू-चारंग को जोड़ने वाला पुल 14 अगस्त को ध्वस्त हुआ था. उस के बाद सरकार की ओर से टूटे पुल को ठीक करने का प्रयास अब तक नहीं किया गया.
हालात को देखते हुए ग्रामीणों ने खुद भी श्रमदान से मार्ग बहाली करने का प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हुए. ग्राम पंचायत कुन्नू चारंग के उप प्रधान सुशील कुमार ने बताया कि 14 अगस्त को शाकचांग नाले में बाढ़ आने के कारण पुल क्षतिग्रस्त हुआ है. उन्होंने प्रशासन, राजस्व मंत्री और लोक निर्माण विभाग से पुल को शीघ्र ठीक करने की मांग उठाई है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में रात 3:30 बजे तक मटर स्पेन से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन यह प्रयास भी ना काफी है. वहीं कुन्नू चारंग निवासी शिवम नेगी ने बताया कि पुल टूटने के बाद उसको रिपेयर नहीं किया जा रहा है. लोगों को सर्दियों के लिए राशन भी पहुंचना है. मटर भी बाहर निकलना है. चुनौती पूर्ण काम बना हुआ है.
इसको लेकर हिमाचल फॉरेस्ट कॉरपोरेशन के पूर्व अध्यक्ष एवं भाजपा नेता सूरत नेगी ने बताया कि सरकार किन्नौर जिले में प्राकृतिक आपदा के कारण बाधित हुई सड़कों को बहाल करने में पूरी तरह विफल रही है. जिस तरह से तिब्बत सीमन क्षेत्र में लोगों की एकमात्र आजीविका का साधन मटर की तैयार फसल सड़क अवरुद्ध होने के कारण सड़ने से फेंकनी पड़ रही है, यह दुर्भाग्यपूर्ण हैं. वहां पर सेना और आइटीबीपी भी तैनात है, सामरिक दृष्टि से भी यह क्षेत्र महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि जब भाजपा की सरकार थी तो किन्नौर से मटर हेलीकॉप्टर से बाहर निकाला गया था. लेकिन स्थानीय विधायक एवं राजस्व मंत्री क्षेत्र की स्थिति को सामान्य करने में बिल्कुल विफल रहे हैं.
(रिपोर्ट- विशेषर नेगी, किन्नौर)
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