बंगाल के किसानों की बड़ी जीत, लंबे इंतजार के बाद विश्व प्रसिद्ध इस आम को मिला GI टैग

बंगाल के किसानों की बड़ी जीत, लंबे इंतजार के बाद विश्व प्रसिद्ध इस आम को मिला GI टैग

पश्चिम बंगाल का मालदा जिसे अक्सर 'भारत का आम का कटोरा' कहा जाता है, अपनी प्रचुर आम की फसल, विशेष रूप से 'लक्ष्मण भोग,' 'फजली,' और 'हिमसागर' सहित 100 अन्य किस्मों के लिए मशहूर माना जाता है. यहां के मालदा आम को इस बार जीआई टैग मिला है.

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बंगाल के किसानों की बड़ी जीत, लंबे इंतजार के बाद विश्व प्रसिद्ध इस आम को मिला GI टैगपश्चिम बंगाल के मालदा आम को मिली जीआई टैग

पश्चिम बंगाल के हरे-भरे आम के बगीचों और उनकी देखभाल करने वाले किसानों के लिए यह एक महत्वपूर्ण जीत है क्योंकि उनके विश्व प्रसिद्ध आम को जीआई टैग मिल गया है. बंगाल के प्रसिद्ध मालदा आम को प्रतिष्ठित भौगोलिक संकेत यानी (GI) टैग दिया गया है. आमों को दी गई यह प्रतिष्ठित मान्यता, मालदा की विशिष्ट जलवायु, मिट्टी और सदियों पुरानी कृषि पद्धतियों के कारण उनके स्वाद, सुगंध और क्वालिटी के बारे में बताती है.

हालांकि जीआई टैग मिलने की दिशा में इस आम की यात्रा काफी मेहनत भरी और मुश्किल राहों वाली है. इसमें मालदा मैंगो प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन, स्थानीय किसानों और राज्य सरकार की कोशिश भी बहुत अहम है. अब जब जीआई टैग मिल गया है तो क्षेत्र की आर्थिक संभावनाओं को बढ़ाने में मदद मिलेगी.

'भारत का आम का कटोरा'

मालदा, जिसे अक्सर 'भारत का आम का कटोरा' कहा जाता है, अपनी प्रचुर आम की फसल, विशेष रूप से 'लक्ष्मण भोग,' 'फजली,' और 'हिमसागर' सहित 100 अन्य किस्मों के लिए मशहूर माना जाता है. जीआई टैग न केवल इन आमों को बाकी आमों की नकल से बचाएगा बल्कि इस क्षेत्र को इन स्वादिष्ट फलों के प्रामाणिक स्रोत के रूप में भी बढ़ावा देगा.

भारत की भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री की ओर से दिया जाने वाला जीआई टैग एक ऐसा लेबल है जो किसी विशेष उत्पाद के ओरिजिन के बारे में बताता है. इसकी विशेषताओं को उस विशिष्ट क्षेत्र से जोड़ता है, जहां से कोई उत्पाद आता है. यह टैग न केवल उत्पाद का मूल्य बढ़ाता है बल्कि उत्पादन और ब्रांडिंग को रोककर स्थानीय किसानों के हितों की रक्षा भी करता है.

सपना जैसा है जीआई टैग

इसे लेकर मालदा के जिला मजिस्ट्रेट नितिन सिंघानिया ने कहा कि यह हमारे लिए गेम-चेंजर है. यह हमारे लिए एक सपना सच होने जैसा है. यह जिले में आम की खेती में लगे किसानों की पीढ़ियों के लिए एक बड़ी कामयाबी है. जीआई टैग आम की खेती को और बढ़ावा देगा. इससे दुनिया को मालदा आम के विशिष्ट स्वाद और सुगंध को पहचानने में भी मदद मिलेगी.

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जीआई टैग मालदा आम उद्योग के लिए उपयुक्त समय पर आया है. विदेशी फलों की वैश्विक मांग बढ़ने के साथ, आम अंतरराष्ट्रीय बाजारों में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल रहा है. इसे देखते हुए बंगाल सरकार मालदा आम के निर्यात और इससे जुड़े व्यापार पर फोकस कर रही है. इससे खेती-किसानी के साथ व्यापार को भी बढ़ावा मिल रहा है.

किसानों के लिए बेहतर अवसर 

सरकार से जीआई मान्यता मिलने के बाद अब निर्यातकों, व्यापारियों और किसानों के चेहरे पर मुस्कान है. आम की इन तीन किस्मों के लिए जीआई प्रमाणपत्र वितरण समारोह मंगलवार दोपहर मालदा टाउन हॉल में आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में राज्य विज्ञान प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी विभाग के कार्यवाहक मंत्री उज्ज्वल विश्वास, सिंचाई विभाग की राज्य मंत्री सबीना यास्मीन और कपड़ा विभाग के राज्य मंत्री तजमुल हुसैन शामिल हुए. महोत्सव में बोलते हुए, एसोसिएशन की सदस्य रूपा बनर्जी ने कहा कि यह जीआई टैग केवल आमों के बारे में नहीं है; यह हमारी विरासत और परंपराओं को संरक्षित करने के बारे में है. हमें उम्मीद है कि इससे हमारे किसानों के लिए बेहतर अवसर पैदा होंगे.

तीन किस्मों को मिला GI Tag

मालदा के रतुआ इलाके के आम किसान सामजुद्दीन शेख ने कहा कि वे 25 से 30 साल से आम की खेती से जुड़े हैं. भले ही आम जैविक तरीके से उगाए गए हों, उनकी क्वालिटी की जांच तब की जाती है जब वे भोजन के लिए विदेश में जाते हैं. तब देखा जाता है कि आम का स्वाद कैसा है, इस आम की पैदावार में किस तरह का उर्वरक डाला गया है, इस प्रजाति के आम की कटाई कब की गई है, इसकी खेती किस विधि से की गई है. 

इन किस्मों के आमों की क्वालिटी की जांच करने के बाद ही इन्हें बाजार में बेचा जाता है. हालांकि, राज्य सरकार ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही किसानों और व्यापारियों को सीधे तौर पर लक्ष्मण भोग, हिमसागर और फजली आम के जीआई टैग के साथ आम के उत्पादन का भरोसा दिया है. इससे मालदा के इन तीन प्रकार के आमों का नाम देश-विदेश के बाजारों में फैल जाएगा. इसी तरह क्वालिटी के बारे में भी कोई संदेह नहीं होगा. (दीपानिता दास के इनपुट्स के साथ)

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