टमाटर के भाव अर्श से फर्श पर आ गए हैं. आपको याद है, बस 10-15 दिन पहले का माजरा? जब आप टमाटर खरीदते नहीं थे बल्कि दूर से देखकर निकल जाते थे. ऐसा इसलिए क्योंकि टमाटर इतना लाल हुआ था कि भाव 200 रुपये से भी ऊपर चढ़ गए थे. आम आदमी को छोड़िए, बेचारी सरकार भी सांसत में आ गई थी. सरकार दबाव में आई और अपनी एजेंसियों के जरिये इसकी बिक्री शुरू की. देखते-देखते टमाटर का भाव खुदरा में 50 रुपये प्रति किलो पर आ गया. लेकिन टमाटर की गिरती स्थिति यहीं तक नहीं है.
दक्षिण भारत की कुछ मंडियों में तो हालत ये हो गई है कि इसका भाव 10 रुपये किलो पर पहुंच गया है. ऐसे में कुछ किसानों ने अपने टमाटर को फिर से फेंकना शुरू कर दिया है.
टमाटर के गिरते भाव की वजह से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. एशिया की दूसरी सबसे बड़ी मंडी कोलार में टमाटरों की नीलामी नहीं हो रही है क्योंकि भाव बहुत नीचे चले गए हैं. इससे किसान गुस्से में हैं. गिरते दाम की वजह से ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां किसान अपनी टमाटर को सड़कों पर फेंक रहे हैं. यानी हालत पहले वाली हो गई है जब किसान टमाटर के अच्छे भाव नहीं मिलने से नाराज थे और उपज को फेंकना मुनासिब समझ रहे थे.
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मई और जुलाई के बीच कोलार लगभग पूरे भारत के लिए टमाटर की सप्लाई में नंबर वन था. उस वक्त देश के बाकी हिस्सों में फसल खराब हो गई थी. तब यहां से सभी जगह टमाटर भेजा जा रहा थी. यहां जुलाई के पहले सप्ताह में 15 किलो टमाटर का एक बॉक्स रिकॉर्ड 2,200 रुपये में बिका था, जबकि छह सितंबर को कीमत 100 से 150 रुपये प्रति बॉक्स बिक रहा है.
कुछ हफ्तों के भीतर टमाटर की कीमतें, जो हाल ही में लगभग 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई थीं, अब गिर गई हैं. इससे लोगों के घरेलू बजट में राहत मिली है. हालांकि, टमाटर की कीमत घटने से किसानों के बीच चिंताएं बढ़ गई हैं. कीमतें गिरने से किसानों को उनके फसल का दाम नहीं मिल रहा है. इससे किसान परेशान हैं.
मार्केट एनालिस्टों का मानना है कि कीमत में अचानक आई इस गिरावट का कारण पूरे उत्तरी राज्यों में मांग में कमी है. वहीं आगे और कटौती हो सकती है, जिसके बाद थोक कीमतें पांच से 10 रुपये प्रति किलोग्राम तक भी कम हो सकती हैं. सड़कों फर फसलों को फेंक रहे किसानों का सरकार से मांग है कि सरकार कम से कम 10 रुपये प्रति किलो का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित करे.
कुछ दिन पहले टमाटर के भाव 200 रुपये तक पहुंच गए थे. कहीं-कहीं तो इससे भी अधिक रेट चल रहे थे. इस रेट का फायदा उन किसानों को हुआ जिन्होंने मांग के हिसाब से टमाटर की सप्लाई की. देश के कई राज्यों में ऐसे किसान भी रहे जिन्होंने बंपर उपज ली और उनके टमाटर बेहद ऊंची कीमतों पर बिके. कई खबरें ये भी आईं कि टमाटर बेचकर किसान लखपति और करोड़पति हो गया. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि खुदरा में टमाटर का भाव कई गुना तक बढ़ गया. एक तरफ आम खरीदार दाम से परेशान रहा तो दूसरी ओर किसानों की अच्छी कमाई हुई.
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