नारियल की खेती किसानों के लिए फायदेमंद होती है. पर नारियल की खेती में एक सबसे बड़ी समस्या उसे काटने की होती है. नारियल पेड़ की बनावट ऐसी होती है कि इसमें सीधी चढ़ाई करनी होती है. नारियल पेड़ पर चढ़कर इसे तोड़ना एक परेशानी भरा काम होता है. यह एक ऐसा काम होता है जिसमें जान का जोखिम बना रहता है. नारियल पेड़ में सीधी चढ़ाई करने की एक तकनीक होती है, जिसमें पैरों में रस्सी बांधी जाती है और उसके सहारे चढ़ा जाता है. इसमें बिना किसी सुरक्षा के पेड़ों पर चढ़ा जाता है. इसके कारण किसानों को नारियल की कटाई करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
नारियल किसानों के लिए परेशानी और बढ़ गई क्योंकि पेड़ पर चढ़ने वाले कई लोग बेहतर जिंदगी और काम की तलाश में शहरों की तरफ पलायन कर गए. गांव में नारियल तोड़ने के उन्हें बेहद कम पैसे मिलते थे. इतना ही नहीं, इसके कारण सुपारी की खेती करने वाले किसानों की भी परेशानी बढ़ गई है. उन्हें भी अपने पेड़ों पर कीटनाशक और दवाओं का छिड़काव करने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं. कुछ साल पहले तक यह एक बड़ी समस्या बनकर किसानों को सामने उभरी थी. पर कहते हैं ना कि हर समस्या का समाधान होता है. इस समस्या का भी समाधान निकाला गया.
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किसानों को अब नारियल की कटाई करने के लिए दिक्कत नहीं होती है क्योंकि उन्हें एक फोन या मैसेज पर प्रोफेशनल नारियल की कटाई करने वाले लोग मिल जाते हैं. हेलो नारियल नाम का एक स्टार्टअप यह काम कर रहा है. यह एक ऐसा स्टार्टअप है जिसे आम तौर पर नारियल की कटाई का काम सौंपा जाता है. नारियल किसान फोन पर ही अपना स्लॉट बुक करते हैं. फिर उसके बाद उनके लिए एक नारियल काटने वाले की नियुक्ति कर दी जाती है. किसान हेलो स्टार्टअप को अपना लोकेशन भेजते हैं जहां पर हेलो किसान की टीम साइकिल से पहुंचती है.
'टाइम्स ऑफ इंडिया' की एक रिपोर्ट में हेलो नारियल के अध्यक्ष वसंत गौड़ा बताते हैं कि उन्हें हर दिन 10-20 बुकिंग मिल रही है. टीम प्रत्येक पेड़ से नारियल तोड़ने के लिए 50 रुपये चार्ज करती है. एक नारियल तोड़ने वाला एक दिन में कम से कम 50 पेड़ से नारियल तोड़ लेता है. नारियल किसानों को बेहतर विकल्प प्रदान करने के लिए उन्हें अच्छी सर्विस देने के कारण अब उनके क्षेत्र का भी विस्तार हो रहा है. अब कुल 18 लोगों की टीम है जो पेड़ में चढ़कर नारियल तोड़ती है. हेलो नारियल ने स्टार्टअप नारियल की कटाई और दवाओं के छिड़काव के लिए आधुनिक तकनीक में पैसे निवेश किया है.
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हेलो नारियल ने डोटी तकनीक में निवेश किया है. इससे ना केवल कटाई की क्षमता में सुधार हुआ है बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं. इस नई तकनीक ने नारियल और सुपारी की खेती में बदलाव किया है. इसी तरह कासरगोड़ में 300 नारियल काटने वालों का एक समूह है जिन्हें चिंगाड़ी कुटूम के नाम से भी जाना जाता है. यह एक ऐसा समूह है जो पूरी वर्दी के साथ और पेड़ चढ़ने के अपने उपकरण के साथ पहुंचता है. यह टीम बेहद तेजी के साथ काम करती है और 90 मिनट में 1000 पेड़ों की कटाई कर देती है. इस तरह से अब किसानों को फायदा होता है.
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