बदलते वक्त के साथ इमली की खेती किसानों के एक फायदे का सौदा साबित हो रही है. क्योंकि इसकी खेती में किसानों को अधिक पूंजी की जरूरत नहीं होती है. इसके अलावा बार खेत तैयार करने की जरूरत नहीं होती है. इससे किसानों को जुताई, निराई और गुड़ाई का खर्च बच जाता है. इस तरह से किसानों के लिए इसकी खेती फायेदमंद साबित हो सकती है. खास कर झारंखड की बात करें तो यहां के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में अगर आप जाएंगे तो देखेंगे की अधिकांश आदिवासी परिवारों के घरों के आंगन में एक या दो बड़े इमली के बड़े पेड़ दिखाई देते हैं. जो साल में एक बार उन्हें कमाई देते हैं.
मार्च अप्रैल के महीने में इमली पेड़ों में पक जाती है इसके बाद इसे तोड़ कर बेचा जाता है. हालांकि इमली की खेती में अच्छी कमाई हासिल करने के लिए इसे बीमारियों से बचाना बेहद जरूरी है. इसके लिए सही समय पर इसकी सिंचाई करना और जड़ों में मिट्टी देना जरूरी है. साथ ही इसके पेड़ की जड़ों के पास उपयुक्त खाद डालना चाहिए और बीमारियों को प्रबंधन के लिए जड़ों के आस-पास साफ-सफाई जैसे तरीकों को अपनाना चाहिए. साथ ही इमली के पेड़ में कीट नियंत्रण पर विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि इससे इमली के फलों को सबसे अधिक नुकसान होता है.इमली की खेती में अच्छा मुनाफा कमाने के लिए यह जानना जरूरी है कि इसकी खेती कैसे की जाती है.
ये भी पढ़ेंः Rubber Farming: केरल सरकार ने रबर के MSP में की 10 रुपये की बढ़ोतरी, हजारों किसानों को होगा सीधा फायदा
भारत में इमली की खेती झारखंड, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्यप्रदेश में की जाती है. इन राज्यों की जलवायु इमली की खेती के लिए अनुकूल मानी जाती है क्योंकि इमली के खेती के लिए तापमान 25-30 डिग्री के बीच में होना चाहिए. इमली के पेड़ की खासियत यह होती है कि इस पर गर्म हवा और लू का प्रकोप नहीं होता है. पर ठंड के कारण पोधों को नुकसान हो सकता है. इसलिए ठंड के मौसम में इमली के पेड़ों का ध्यान रखना चाहिए. इमली की खेती करने के लिए खेतों की गहरी जुताई करें. इसके बाद एक फीट गहरा और चौड़ा गड्ढा खोदे. उसमें खाद और वर्मी कंपोस्ट भरकर सिंचाई करें. फिर उस गड्ढे में इमली के बीज या पौधे लगा दें.
ये भी पढ़ेंः Paddy Farming: धान की ये नई किस्म खारी मिट्टी में पैदावार के रिकॉर्ड तोड़ेगी, वैज्ञानिकों ने ये वजह बताई
इमली के पौधे की रोपाई किसी भी मौसम में की जा सकती है पर जून और जुलाई का महीना सही माना गया है. इसकी खेती के लिए लाल,काली और दोमट मिट्टी सही मानी जाती है. इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 होना चाहिए. अच्छी तरह से खाद देने और सिंचाई करने पर एक इमली के पेड़ से सालाना दो से ढाई क्विंटल तक इमली की तुड़ाई की जा सकती है. इसे फिर केक बनाकर बेचा जाता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today