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Paddy Farming: धान की ये नई किस्म खारी मिट्टी में पैदावार के रिकॉर्ड तोड़ेगी, वैज्ञानिकों ने ये वजह बताई

Paddy Farming: धान की ये नई किस्म खारी मिट्टी में पैदावार के रिकॉर्ड तोड़ेगी, वैज्ञानिकों ने ये वजह बताई

खारे पानी में या अधिक नमक वाली मिट्टी में धान की खेती अच्छी नहीं होती है. मिट्टी में नमक की अधिक मात्रा धान के उत्पादन के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है. इसके कारण धान का विकास रुक जाता है, धान की पत्तियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और साथ ही साथ इसका उत्पादन भी कम हो जाता है. पर अब कृषि वैज्ञानिकों ने इसका भी हल निकाल निकाल लिया है. 

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धान की खेती (सांकेतिक तस्वीर) धान की खेती (सांकेतिक तस्वीर)

चावल भारत की सबसे प्रमुख फसलों में से एक है. देश में सबसे अधिक इसकी खेती की जाती है, खास कर खरीफ के सीजन में सबसे अधिक इसकी खेती किसान करते हैं. यह भारत की प्रमुख खाद्य फसल है.देश में सबसे अधिक लोग चावल खाना पसंद करते हैं. यह देश की अधिकांश आबादी के लिए आहार का प्राथमिक स्रोत है. इसलिए देश में धान की खेती पर विशेष ध्यान दिया जाता है.साथ ही इसके उत्पादन और गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए लगातार शोध चलता रहता है. जलवायु परिवर्तन, बदलते मौसम और वर्षा के पैटर्न में बदलाव के कारण इसकी खेती प्रभावित हो रही है. कृषि वैज्ञानिकों ने धान की नई किस्म की खोज की है, जो अधिक नमक वाली मिट्टी या खारी मिट्टी में भी बंपर पैदावार दे सकती है.

भारत में अलग अलग कृषि मौसम और भौगोलिक क्षेत्रों के हिसाब से धान की खेती की जाती है. सभी जगहों पर खेती करने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं. आमतौर पर धान की खेती के लिए मीठे पानी पानी की आवश्यकता होती है. खारे पानी में या अधिक नमक वाली मिट्टी में धान की खेती अच्छी नहीं होती है. मिट्टी में नमक की अधिक मात्रा धान के उत्पादन के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है. इसके कारण धान का विकास रुक जाता है, धान की पत्तियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और साथ ही साथ इसका उत्पादन भी कम हो जाता है. पर अब कृषि वैज्ञानिकों ने इसका भी हल निकाल निकाल लिया है.

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विकसित  की चावल की नई किस्म

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पुडुचेरी के कराईकल में एक कृषि संस्थान ने चावल की एक नई किस्म विकसित की है जो मिट्टी में अधिक नमक की मात्रा को सहन कर सकती है. साथ ही इस प्रकार में मिट्टी में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है.  रिपोर्ट्स के मुताबिक, केकेएल (आर) नाम की इस नई किस्म को पंडित जवाहरलाल नेहरू कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (PAJANCOA और RI) के शोधकर्ताओं की एक टीम ने विकसित किया है. शोध में पाया गया है कि नमक वाली मिट्टी और सामान्य मिट्टी, दोनों ही खेतों में केकेएल (आर) 3 का प्रदर्शन बेहतर रहा है. इसलिए इस धान को नमक-सहिष्णु धान की किस्म कहा जा रहा है. 

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किसानों के लिए नई उम्मीद

यह पाया गया है कि चावल की यह किस्म, नमक-प्रभावित मिट्टी में बेहतर उपज पाने की क्षमता रखती है. इसलिए नमक प्रभावित क्षेत्र के किसानों के लिए यह एक आशा की किरण पैदा कर रही है. चावल की इस किस्म से देश दक्षिणपूर्वी हिस्से में किसानों को चावल की पैदावार बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा में मदद मिलेगी. हालांकि शोधकर्ताओं ने कहा कि इस  इसे लागू करने और अपनाने के लिए इस पर और अधिक शोध करने की जरूरत है. ताकि इसकी पूरी क्षमता की जांच की जांच की जा सके. देश के कई हिस्सों में मिट्टी में अधिक नमक होने के कारण चावल के उत्पादन पर फर्क पड़ता है.