हरियाणा में राइस मिलर्स को समय पर नहीं हो रहा भुगतान, सरकार पर है 500 करोड़ रुपये का बकाया

हरियाणा में राइस मिलर्स को समय पर नहीं हो रहा भुगतान, सरकार पर है 500 करोड़ रुपये का बकाया

उत्तर हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन ने राज्य सरकार से पिछले चार वर्षों का लगभग 500 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने की मांग की है. एसोसिएशन के अध्यक्ष सतपाल गुप्ता ने कहा कि साल 2020-21, साल 2021-22, साल 2022-23 और साल 2023-24 का 500 करोड़ रुपये का बकाया है, जिसमें ड्रिज, अनलोडिंग, स्टैकिंग, स्टॉक लेखों का किराया और परिवहन शुल्क भी शामिल है.

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हरियाणा में राइस मिलर्स को समय पर नहीं हो रहा भुगतान, सरकार पर है 500 करोड़ रुपये का बकायाराइस मिलर्स को भुगतान का है इंतजार. (सांकेतिक फोटो)

हरियाणा में राइस मिल मालिकों को राज्य सरकार समय पर भुगतान नहीं कर रही है. इससे उनकी बकाया राशि बढ़ती ही जा रही है. ऐसे में उत्तर हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन ने राज्य सरकार से जल्द ही बकाया राशि का भुगतान करने की मांग की है. मिल मालिकों का कहना है कि समय पर बकाया का भुगतान नहीं होने के चलते उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. इससे बिजनेस भी प्रभावित हो रहा है. इसलिए सरकार को हमारे हित का ध्यान रखते हुए जल्द से जल्द बकाया राशि का भुगतान करना चाहिए. 

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन ने राज्य सरकार से पिछले चार वर्षों का लगभग 500 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने की मांग की है. एसोसिएशन के अध्यक्ष सतपाल गुप्ता ने कहा कि साल 2020-21, साल 2021-22, साल 2022-23 और साल 2023-24 का 500 करोड़ रुपये का बकाया है, जिसमें ड्रिज, अनलोडिंग, स्टैकिंग, स्टॉक लेखों का किराया और परिवहन शुल्क भी शामिल है. गुप्ता ने खाद्य एवं आपूर्ति, हैफेड और हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन सहित राज्य की खरीद एजेंसियों से लंबित बकाया जल्द से जल्द चुकाने की अपील की है.

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2.5 लाख मीट्रिक टन चावल की डिलीवरी लंबित 

एसोसिएशन ने कहा कि जब तक उनकी चिंताओं का समाधान नहीं किया जाता और मांगें पूरी नहीं की जातीं, वे आगामी खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए सरकारी एजेंसियों के साथ पंजीकरण या कोई समझौता नहीं करेंगे. एसोसिएशन ने कहा कि चावल मिलर्स द्वारा आपूर्ति किए जा रहे चावल के भंडारण के लिए सरकारी गोदामों में जगह की कमी है. जगह की कमी के कारण चावल मिलर्स को परेशानी और वित्तीय तंगी का सामना करना पड़ रहा है. गुप्ता ने कहा कि चावल की डिलीवरी जो 31 मार्च, 2024 तक पूरी होनी थी, जो अभी भी लंबित है. वहीं, जगह की कमी के कारण लगभग 2.5 लाख मीट्रिक टन चावल की डिलीवरी लंबित है. 

व्यापारियों को लेकर कल आई थी ये खबर

वहीं, कल ही खबर सामने आई थी कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि भाजपा की कृषि नीतियों से किसानों को नुकसान हो रहा है. इसके लिए उन्होंने गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध और बासमती चावल पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि इससे न तो किसानों और न ही व्यापारियों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंची कीमतों का लाभ मिल रहा है. ऐसे में सरकार को सभी के हित में गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाना चाहिए और बासमती पर लगाए गए उच्च निर्यात शुल्क को हटाना चाहिए.

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