नहीं देखी होगी ऐसी कावड़ यात्रा, मां-बाप के लिए श्रवण बने मेरठ के चार किसान भाई

नहीं देखी होगी ऐसी कावड़ यात्रा, मां-बाप के लिए श्रवण बने मेरठ के चार किसान भाई

Kavad Yatra: सावन का महीना चल रहा है. इस दौरान देश के अलग-अलग शहरों में लोग कावड़ यात्रा कर रहे हैं. इस बीच यूपी के मेरठ में एक ऐसा कावड़ देखने को मिला जो समाज के मिशाल बन रहा है. दरअसल, चार किसान भाई मां-बाप के लिए श्रवण बने हुए हैं.

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नहीं देखी होगी ऐसी कावड़ यात्रा, मां-बाप के लिए श्रवण बने मेरठ के चार किसान भाईअनोखा कावड़ यात्रा

सावन का महीना चल रहा है, इस दौरान देश के कई राज्यों में कावड़ यात्रा जारी है. कावड़ यात्रा के दौरान रंग-बिरंगे और अद्भुत कावड़ लगातार देखने को मिलती रही है, लेकिन मुजफ्फरनगर में बुधवार को एक ऐसी कावड़ भी दिखी जो समाज को एक आइना दिखा रही थी. जी हां मेरठ के चार किसानों ने पहले अपने दादा-दादी को दो बार कावड़ में बैठाकर कंधे पर उठाकर कावड़ यात्रा कराई और अब तीन बार से अपने माता-पिता को अपनी श्रवण कावड़ में बैठकर यात्रा करा रहे हैं.

प्रतिदिन इतने किलोमीटर चलते हैं किसान भाई?

आपको बता दे की मेरठ के प्रतापनगर निवासी चार किसान भाई ने ये कारनामा किय है. सुनील,राहुल,सचिन और अनिल ने 9 जुलाई को हरिद्वार हर की पौड़ी से गंगाजल उठाकर अपनी कावड़ में माता उषा और पिता राजपाल को बैठाकर अपनी कावड़ यात्रा पूरी कर रहे हैं. ये चारों भाई बारी-बारी से अपने कंधे पर अपनी इस श्रवण कावड़ को उठाकर प्रतिदिन 15 किलोमीटर चलते हैं और जहां थक जाते हैं वहीं विश्राम कर लेते हैं.

श्रवण कावड़ यात्रा पर मां ने क्या कहा जानिए?

मेरठ के ये चारों भाई आज अपनी श्रवण कावड़ में अपने माता-पिता को बैठाकर मुजफ्फरनगर पहुंचे थे, जहां इन्होंने बताया कि पहले वह अपने दादा-दादी को दो बार श्रवण कावड़ में बैठाकर अपनी यात्रा कर चुके हैं, तो वहीं पिछले तीन सालों से अब ये अपने माता-पिता को सावन मास की कावड़ यात्रा करा रहे हैं. अपने बेटों की श्रवण कावड़ में बैठकर कावड़ यात्रा कर रही मां ने कहा कि ऐसे बच्चे सबको मिलें.

श्रवण कावड़ यात्रा पर क्या बोले किसान भाई?

इस श्रवण कावड़ को ला रहे सुनील कुमार का कहना है कि हमारी जो कावड़ है श्रवण कुमार कावड़ है. इस कावड़ में एक तरफ मेरे पापा और एक तरफ मेरी मम्मी बैठती हैं. इससे पहले हमने दादी का जोड़ा किया है. उन्होंने कहा कि हम चार भाई हैं आपस में चारों भाई ही श्रवण कावड़ लाते हैं. हम रोज लगभग 15 किलोमीटर चलते हैं. वहीं, श्रवण कावड़ ने बैठी मां उषा देवी ने बताया कि हमारे बच्चे अपनी मर्जी से लेके आए हैं. वहीं जब उनसे पुछा गया कि कैसा लग रहा है तो उन्होंने कहा कि च्छा लग रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चे सबको मिलें. 

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