प्रधामंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) केंद्र की मोदी सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है. खबर यह है कि सरकार पीएमएफबाई पोर्टल का विस्तार करने पर विचार कर रही है. इसके लिए 30,000 करोड़ रुपये रखे गए हैं. सरकार का प्लान है कि अब योजना प्रारुप में बदलाव किया जाएगा. पहले इसके तहत सिर्फ फसलों का बीमा ही किया जाता था. पर अब नए पोर्टल में योजना के तहत तालाब, ट्रैक्टर, पशुधन और ताड़ के पेड़ जैसी संपत्तियां भी बीमा सुरक्षा के अंदर शामिल होंगी. इस तरह से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का दायरा और बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक किसानों को इससे जोड़ा जा सके.
द मिंट में छपी खबर के अनुसार यह कार्यक्रम एस इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट एनवायरनमेंट (एआईडीई) एप्लिकेशन द्वारा संचालित किया जाएगा. ताकि किसानों को फसल बीमा का लाभ लेने समय परेशानी नहीं होगी साथ ही बीमा को और सुलभ और सुविधाजनक बनाने इरादे हर किसान को इससे जोड़ने के लिए जुलाई में लॉन्च किया गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐप के जरिए बीमा मध्यस्थों को गैर-सब्सिडी वाली योजनाओं के लाभ को मिलियन किसानों तक पहुंचाया जाएगा, साथ ही किसानों को फसल बीमार के लिए नामांकित करने की सुविधा प्रदान करेगा.
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इस योजना पर काम कर रहे अधिकारियों ने बताया कि हम एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाने की योजना बना रहे हैं. यह एक पोर्टल से एक प्लेटफॉर्म में बदलाव है. किसानों को फसल बीमा के लिए नामांकित करने के लिए AIDE ऐप पहले से ही चालू है. जैसे ही किसान फसल बीमा के लिए नामांकन करते हैं और अपनी अन्य संपत्तियों का भी बीमा कराना चाहते हैं, जिन पर सब्सिडी नहीं मिलती है. उन सभी संपत्तियों पर भी सरकार बीमा लाभ देने की योजना बना रही है. इससे पहले केंद्र सरकार ने पीएमएफबीवाई का पुनर्गठन किया था जिसके तहत 2022-23 में बीमित क्षेत्र पिछले वर्ष की तुलना में 12 प्रतिशत बढ़ गया और 49.7 मिलियन हेक्टेयर से अधिक तक पहुंच गया.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023-24 के खरीफ सीजन में बीमित क्षेत्र का रकबा बढ़कर 57.5-60 मिलियन हेक्टेयर के उच्च स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है. वहीं आंध्र प्रदेश सहित कई राज्य इस योजना में फिर से शामिल हो गए हैं. इसके अलावा योजना में हुए बदलावों को देखते हुए और बीमा कवरेज का दायरा बढते देख अन्य राज्य भी इस योजना में शामिल होने की सोच रहै हैं. उदाहरण के लिए, झारखंड ने 765 करोड़ रुपये के लंबे समय से लंबित दावों का निपटान करने के बाद, खरीफ 2024-25 से इस योजना में फिर से प्रवेश करने का निर्णय लिया है. इसके अलावा इस योजना में शामिल होने वाले बीमा कंपनियों की संख्या भी बढ़ी है.
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