मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य को गिरावट से बचाने और खतरनाक कीटनाशकों के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने प्राकृतिक खेती योजना लागू की है. वर्ष 2023-24 में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए 20,000 एकड़ (16000 एकड़ कृषि और 4000 एकड़ बागवानी) का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए सरकार ने एक समर्पित प्राकृतिक खेती पोर्टल शुरू किया है और अब तक 9169 किसानों ने पंजीकरण करते हुए प्राकृतिक खेती में अपनी रूचि दिखाई है. इस योजना के अंतर्गत किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए 3000 रुपये 4 ड्रम खरीदने पर, देसी गाय की खरीद के लिए 25000 रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी तथा प्राकृतिक खेती उत्पाद की ब्रांडिंग व पैकेजिंग पर प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान किया है.
एनएफटीआई, गुरुकुल कुरूक्षेत्र पहले से ही प्रदेश में प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण दे रहा है. प्राकृतिक खेती बागवानी प्रशिक्षण केन्द्र मांगियाना, सिरसा में 15 अप्रैल, 2023 से प्रशिक्षण शुरू हो गया है. इसके लिए कृषि विभाग ने अभी तक 9238 प्रतिभागियों का चयन किया है. इसमें 129 प्रगतिशील किसान, 611 युवा किसान, 362 महिला किसान, 6234 सरपंच व एक्स सरपंच और 294 बागवानी किसान शामिल हैं. राज्य में प्राकृतिक खेती के लिए 1608 अधिकारियों व किसानों को इसके लिए ट्रेंड किया जा चुका है.
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सीएम ने कहा कि जल संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने धान की सीधी बिजाई की योजना भी शुरू की है. इसके तहत राज्य के 12 जिलों अंबाला, यमुनानगर, करनाल, कुरूक्षेत्र, कैथल, पानीपत, जींद, सोनीपत, फतेहाबाद, सिरसा, हिसार तथा रोहतक में धान की सीधी बिजाई (डी.एस.आर) को बढ़ावा देने के लिए प्रदर्शन प्लांट लगाने वाले सत्यापित किसानों को 4,000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है. वर्ष 2022-23 में 72900 एकड़ का भौतिक सत्यापन किया गया. इसके अंतर्गत 29.16 करोड़ रुपये किसानों को आवंटित किए गए हैं. इसके अलावा, खरीफ 2023 के लिए 2 लाख एकड़ का लक्ष्य रखा गया है.
हरियाणा सरकार ने प्राकृतिक खेती के लिए 3 साल की उत्पादन आधारित योजना बनाई है. इसके तहत अगर प्राकृतिक खेती कारण किसानों को नुकसान हुआ तो सरकार मुआवजा देगी. इस योजना के तहत 100 कलस्टर बनाए जाएंगे और प्रत्येक कलस्टर में 25 एकड़ भूमि को भी प्राकृतिक खेती के साथ जोड़ा जाएगा. इसके बाद सर्टीफिकेशन, ब्रांडिंग और फिर पैकेजिंग का काम किया जाएगा. सरकार केमिकल युक्त उत्पादों से लोगों को निजात दिलाने और जमीन की सेहत को बचाने के लिए प्राकृतिक खेती अपनाने पर जोर दे रही है.
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