देशभर में कई हिस्साें में अब खरीफ फसलों की कटाई का सिलसिला शुरू हो गया है और किसान जल्द से जल्द अपनी फसल बेचने के इच्छुक हैं, ताकि रबी सीजन की बुवाई के लिए कुछ पैसे मिल सकें. इसी क्रम में हरियाणा के भिवानी जिले में भी किसान अपनी फसल बेचना चाह रहे हैं, लेकिन उनका आरोप है कि राज्य सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरे की खरीद नहीं कर रही है. इस मांग को लेकर किसानों ने तोशाम अनाज मंडी में विरोध-प्रदर्शन किया. किसानों ने कहा कि राज्य सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरा नहीं खरीद रही है, जिसके कारण किसानों को औने-पौने दामों पर उपज बेचनी पड़ रही है.
दि ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्राम स्वराज किसान मोर्चा और गौ किसान समृद्धि ट्रस्ट के बैनर तले जुटे किसानों ने सरकार के खिलाफ नारे लगाए और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का पुतला भी फूंका. आंदोलन का नेतृत्व स्थानीय किसान नेता ईश्वर सिंह बगानवाला ने किया. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार तुरंत एमएसपी पर खरीद शुरू नहीं करती है तो वे आंदोलन को बड़े पैमाने पर ले जाएगे.
किसान नेता युद्धवीर मंगल सिंह खरेटा और ट्रस्ट के सचिव अनिल बगानवाला ने बीजेपी सरकार को किसान विरोधी बताया और कहा कि जानबूझकर खरीद प्रक्रिया में देरी की जा रही है, जिससे किसानों की आर्थिक मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. किसानों ने बताया कि भिवानी क्षेत्र में बाजरा एक प्रमुख फसल है, लेकिन सरकार की लापरवाही के कारण मजबूर होकर उन्हें अपनी मेहनत का अनाज औने-पौने दामों पर बेचना पड़ रहा है.
खरेटा ने कहा, “यह किसानों के शोषण की स्थिति है. सरकार की किसान विरोधी नीतियां यह दर्शाती हैं कि उन्हें किसानों की हालत की परवाह नहीं है.” उन्होंने सरकार से तुरंत खरीद शुरू करने की मांग की. किसानों का कहना है कि अगर जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो यह गुस्सा एक बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है, जिसका असर पूरे इलाके में देखा जाएगा.
वहीं, हरियाणा की झज्जर अनाज मंडी में भी बाजरा की खरीद में समस्या देखने को मिली. यहां 40,000 क्विंटल से ज्यादा बाजरा नहीं बिक सका. इससे किसानों में नाराजगी है. खरीद एजेंसी के अधिकारियों ने उपज की क्वालिटी पर सवाल उठाते हुए खरीद के दायरे के मानकों से बाहर बताकर खरीदने से इनकार कर दिया.
ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक पटौदा गांव के किसान प्रदीप ने कहा, "यह किसानों के लिए दोहरी मार है. मेरा 120 क्विंटल बाजरा लगभग एक हफ्ते से मंडी में बिना बिका पड़ा है. शुरुआत में पानी भरा होने के कारण हमारी फसल 50 प्रतिशत खराब हो गई थी और अब एजेंसी टूटे और बदरंग होने का हवाला देकर इसे नहीं खरीद रही है."
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