राजस्थान के जालौर जिले में बिजली बिलों में भारी बढ़ोतरी और जबरन मीटर लगाए जाने के विरोध में किसानों ने भारतीय किसान संघ के बैनर तले बड़ा प्रदर्शन किया. सांचोर, रानीवाड़ा और भीमाल क्षेत्र के हजारों किसान साकड़ में जुटे और विद्युत विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. किसानों का कहना है कि पहले फ्लैट रेट पर चल रहे कनेक्शनों पर अब जबरन मीटर लगाए जा रहे हैं, जिससे बिजली बिल 10 गुना तक बढ़ गया है. भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष सोकर चौधरी ने बताया कि पिछले दो-तीन वर्षों से बिजली संबंधी समस्याएं बनी हुई हैं, लेकिन अब किसानों की स्थिति बदतर हो गई है.
किसान नेता सोकर चौधरी ने कहा, "डीपी बदलवाने और अन्य कामों के लिए किसानों से अवैध वसूली की जा रही है. सामान समय पर नहीं मिलता और अब जबरदस्ती मीटर लगाकर बिलों में 10 गुना तक बढ़ोतरी कर दी गई है. पहले हजार रुपये का बिल आता था, अब 10,000 रुपये का आ रहा है.
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किसानों ने सरकार और बिजली विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अधिकारी सरकार के आदेशों की सही पालना नहीं कर रहे हैं और मनमानी कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि मीटरों की क्वालिटी भी खराब है, जिससे बिना बिजली उपयोग किए भी रीडिंग बढ़ जाती है और ज्यादा बिल वसूला जाता है.
एक प्रदर्शनकारी किसान ने कहा, "हम खेतों में अनाज उगाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन बिजली बिल ही हमारी पूरी आमदनी खा जा रहे हैं. लाख रुपये की आमदनी हो तो तीन लाख रुपये का बिल आता है. इसे भरना असंभव है. किसानों ने सात दिन का अल्टीमेटम देते हुए चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो वे उग्र आंदोलन करेंगे. किसानों ने कहा, अगर समस्या का समाधान नहीं हुआ तो आमरण अनशन करेंगे और विद्युत विभाग का घेराव कर उसके गेट बंद कर देंगे.
इस मामले पर विद्युत निगम के आईएन का कहना है कि दिसंबर के बाद से नए सिस्टम के तहत स्पॉट बिलिंग शुरू की गई है, जिससे किसानों के बिलों में वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा, "जहां पहले फ्लैट रेट पर बिल आ रहे थे, वहां अब भी वही प्रक्रिया लागू रहेगी. अगर किसी किसान के बिल में अनावश्यक वृद्धि हुई है, तो उसमें सुधार किया जाएगा. किसानों ने बिजली विभाग के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी लगाए हैं. उन्होंने कहा कि एफआरटी (फॉल्ट रिपेयर टीम) में 15 लोगों की नियुक्ति होनी चाहिए, लेकिन ठेकेदार और अधिकारी मिलीभगत कर पैसे खा जाते हैं और किसानों को निजी खर्चे पर अपने कनेक्शन दुरुस्त करवाने पड़ते हैं.
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भजनलाल सरकार ने अपने चुनावी वादों में किसानों को राहत देने की बात कही थी. मगर प्रदर्शनकारी किसानों का आरोप है कि सरकार और अधिकारी अपने ही वादों से पीछे हट रहे हैं. किसानों का कहना है कि अगर जल्द कोई ठोस समाधान नहीं हुआ, तो आंदोलन और तेज होगा. अब देखना होगा कि सरकार और विद्युत विभाग किसानों की मांगों पर क्या रुख अपनाते हैं या फिर प्रदेश में बड़ा किसान आंदोलन खड़ा होता है.(नरेश खिलर का इनपुट)
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