मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में किसान नाराज हैं. मामला कपास की कीमतों का है. दरअसल, खरगोन के किसानों को तब बड़ा झटका लगा जब उन्हें पता चला कि कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी कि CCI ने कपास का समर्थन मूल्य 200 रुपये प्रति क्विंटल घटा दिया है. इस पर किसान नाराज हो गए. उनका कहना है कि कहां उन्हें अच्छी कमाई की उम्मीद थी, लेकिन अब तो समर्थन मूल्य ही घटा दिया गया है. इस घाटे के विरोध में किसानों ने खरगोन मंडी का गेट बंद कर दिया और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया.
मामला खरगोन जिले के भीकनगांव मंडी का है. यहां कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया सीसीआई द्वारा कपास खरीदी के दौरान 200 रुपये भाव कम करने से किसान संघ के नेतृत्व में किसानों ने मेन गेट पर धरना दे दिया. अचानक 200 रुपये प्रति क्विंटल कपास का भाव कम किए जाने से किसानों में रोष है. आक्रोशित किसान मंडी के मेन गेट पर बैलगाड़ी लगा कर धरने पर बैठ गए हैं. पुलिस प्रशासन सहित मंडी सचिव और प्रशासनिक अधिकारी किसानों को समझा रहे हैं, लेकिन किसानों का धरना जारी है.
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किसान संघ के मुकेश पटेल का कहना है की सीसीआई ने 6920 रुपये प्रति क्विंटल के भाव को अचानक 6720 रुपये कर दिया. किसानों ने शादी-ब्याह को लेकर कपास की फसल को रोककर रखा था. किसानों का कहना है कि सीसीआई को दो भाव रखना चाहिए. अच्छी किस्म के कपास का भाव 6920 और क्वालिटी में खराब कपास का भाव 6720 रुपये क्विंटल ही रखना चाहिए. किसानो का धरना सुबह से जारी है.
मंडी सचिव लक्ष्मण सिंह ठाकुर का कहना है सीसीआई की खरीदी पहले 6920 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हो रही थी. अभी 200 रुपये प्रति क्विंटल कम हुआ है. किसानों की तरफ से भी ये बात आई थी कि हल्की क्वालिटी का कपास भी खरीदा जाए. किसानों ने कहा था कि इससे उनका फायदा होगा. मंडी सचिव ने कहा कि किसान चाहते हैं कि वे सीसीआई को माल दें. जिले के आसपास के किसान भी यहां आते हैं क्योंकि बड़वाह और सनावद में मंडी नहीं है. अभी खरगोन मंडी में 700-800 गाड़ियां कपास भर के आ रही हैं.
खरगोन में प्रदेश की सबसे बड़ी कपास मंडी है. यहां सैकड़ों की संख्या में वाहनों और बैलगाड़ियों से किसान कपास लेकर पहुंचते हैं. किसानों को अच्छी क्वालिटी के कपास के दाम पिछले साल 11 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक मिले हैं. खरगोन जिले में 500 करोड़ रुपये का सालाना टर्नओवर कपास का होता है. इससे कपास किसानों को अच्छी आमदनी हो जाती है. यही वजह है कि कपास का समर्थन मूल्य कम होने से उनमें गहरी नाराजगी है.
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