दो किसान भाइयों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी, कोर्ट पहुंचे तो पता चला ये फर्जी है

दो किसान भाइयों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी, कोर्ट पहुंचे तो पता चला ये फर्जी है

यह कहानी लखीमपुर खीरी के दो किसान भाइयों की है. इन किसानों के खिलाफ फर्जी वारंट जारी हो गया. दोनों किसान जब कोर्ट पहुंचे तो पता चला कि फर्जी तरीके से दस्तावेज तैयार कर इनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया गया. अब इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई है.

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दो किसान भाइयों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी, कोर्ट पहुंचे तो पता चला ये फर्जी हैदो किसान भाइयों के खिलाफ फर्जी वारंट जारी

सोचिए अगर एक सुबह दरवाजे पर दस्तक के साथ आपकी आंख खुले. दरवाजा खोले तो सामने पुलिस वाले खड़े हों और कहें कि चलो तुमको गिरफ्तार कर ले चलना है. तुम्हारे खिलाफ कोर्ट से गैर जमानती वारंट आया है. आप लाख दुहाई दें कि हमें पता ही नहीं कौन सा केस है, हमारे ऊपर कोई केस नहीं लेकिन पुलिस कोर्ट से जारी वारंट दिखाकर गिरफ्तार कर ले. उससे भी आगे, जब आपको कोर्ट में पेश किया जाए तो पता चले कि पुलिस जिस NBW के आदेश को लेकर गिरफ्तार कर लाई है वह आदेश ही फर्जी है. तब क्या होगा. 

यह किसी फिल्म की कहानी नहीं है. लखनऊ कोर्ट से जारी हुआ एक फर्जी गैर जमानती वारंट (NBW) और उस फर्जी गैर जमानती वारंट से लखीमपुर खीरी से पकड़ कर लाए गए दो भाइयों की आपबीती है जिसने कानून पर भरोसे के साथ-साथ अदालत की साख पर भी सवाल खड़ा किया है.

फर्जी वारंट का क्या है मामला

लखनऊ से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर लखीमपुर के गोला इलाके में है एक छोटा सा गांव है मजरा छोटे लालपुर जहां दो भाई प्रेमचंद और मुन्नालाल रहते हैं. ये दोनों खेती किसानी से जिंदगी बसर करने वाले मेहनतकश लोग हैं. रोज सुबह खेत के लिए निकलना और शाम तक खेती किसानी का काम निपटा कर घर आ जाना, बस यही इनकी जिंदगी का ढर्रा रहा है. ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर. लेकिन 29 अप्रैल की सुबह गोला थाने के सिपाही विशाल गौतम और पंकज कुमार दोनों भाइयों के घर पहुंचते हैं. 

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सिपाहियों ने कहा कि तुम दोनों के खिलाफ लखनऊ की कोर्ट से गैर जमानती वारंट जारी हुआ है, साथ में चलो. दोनों भाई दलील देते हैं कि उन्हें तो पता ही नहीं कि उनके ऊपर कोई केस चल रहा है. उनका लखनऊ से कोई लेना-देना नहीं है फिर कौन सा केस, कैसा वारंट. लेकिन पुलिस के आगे किसकी चलती है. दोनों सिपाही कोर्ट का एनबीडब्ल्यू दिखाकर प्रेमचंद और मुन्नालाल को गिरफ्तार कर लखनऊ के सिविल जज जूनियर डिवीजन के कोर्ट में खड़ा कर देते हैं.

स्पीड पोस्ट में भी गड़बड़ी

अब असली कहानी यहीं से शुरू होती है. कोर्ट में जब दोनों भाइयों को पेश किया जाता है तो पता चलता है कि उनके खिलाफ तो कोई वारंट जारी ही नहीं हुआ. गोला थाने के दोनों सिपाहियों ने NBW दिखाया तो पता चला कि 12 अप्रैल को NBW जारी हुआ है. 15 अप्रैल को स्पीड पोस्ट से एसपी लखीमपुर खीरी को भेजा गया है. सिविल जज के कार्यालय में फाइलों को पलटा गया तो पता चला जिस दिन, 12 अप्रैल को कोर्ट से गैर जमानती वारंट जारी होना बताया गया, उस दिन तो कोर्ट में महीने के दूसरे शनिवार की छुट्टी थी, तो कोई वारंट जारी होने का सवाल ही नहीं उठता. 

वारंट पर जिसके दस्तखत थे, वह पीठासीन अधिकारी के दस्तखत से मेल नहीं खा रहे थे. वारंट पर लिखावट किसी भी कर्मचारी से मेल नहीं खा रही थी. और इससे बड़ी बात, एनबीडब्ल्यू लखनऊ के निगोहा थाने में दर्ज केस 345/24 और हजरतगंज के 25/24 के लिए जारी हुआ, लेकिन उसका कोर्ट में कोई केस ही नहीं था.

दरअसल निगोहा थाने के जिस क्राइम नंबर 345/24 का वारंट जारी हुआ, उस निगोहा थाने में साल 2024 में कुल केस ही 245 दर्ज हुए तो 345 नंबर की एफआईआर का जिक्र फर्जी किया गया. वहीं हजरतगंज के 25/24 की एफआईआर ट्रैफिक के सब इंस्पेक्टर सुधीर बाबू ने उन 25 वाहनों पर दर्ज कराई थी जो ओवर स्पीडिंग करने से बाज नहीं आ रहे थे और जिनका 15 जनवरी 2024 से 21 जनवरी 2024 के बीच कई बार चालान भी किया गया.

मामले में एफआईआर दर्ज

गोला थाने के सिपाही वारंट के साथ-साथ जिस स्पीड पोस्ट के लिफाफे से वारंट पहुंचा था उसको भी लेकर गए थे. स्पीड पोस्ट के लिफाफे से पता चला कि 12 अप्रैल के जारी फर्जी गैर जमानती वारंट को 15 अप्रैल 2025 को दोपहर 3:08 पर स्पीड पोस्ट किया गया था. लेकिन कोर्ट के डाक रजिस्टर में 15 अप्रैल को कोई डाक भेजी ही नहीं गई.

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कोर्ट से कोई वारंट जारी नहीं था तो दोनों भाइयों को छोड़ दिया गया. लेकिन लखनऊ जूनियर डिवीजन के क्लर्क शुभम कुमार की तरफ से लखनऊ की वजीरगंज कोतवाली में जालसाजी और फर्जी दस्तावेज तैयार करने की एक FIR जरूर दर्ज करवा दी गई है. डीसीपी पश्चिमी, विश्वजीत श्रीवास्तव का कहना है हम स्पीड पोस्ट जिस डाकघर से की गई है, वहां के सीसीटीवी खंगाल रहे हैं. स्पीड पोस्ट की टाइमिंग के आधार पर संदिग्धों की पहचान की जा रही है.(संतोष शर्मा की रिपोर्ट)

 

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