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डीएसआर तकनीक से धान की अच्छी पैदावार हासिल कर सकते हैं किसान, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

डीएसआर तकनीक से धान की अच्छी पैदावार हासिल कर सकते हैं किसान, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

डीएसआर धान की रोपाई की एक ऐसी तकनीक है जिसमें मैन्युअली या मशीनों के माघ्यम से धान को सीधे मिट्टी में लगाया जाता है. इस तकनीक में किसानों को पहले नर्सरी में पौधों को उगाने की और फिर उसे खेत में रोपाई करने की जरूरत नहीं होती है. अध्ययन में पाया गया कि अगर परिस्थितियां धान की खेती के लिए अनुकूल रहती हैं तो डीएसआर विधि से धान की पैदावार रोपाई विधि से अधिक होती है.

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धान की सीधी बुवाई  (सांकेतिक तस्वीर) धान की सीधी बुवाई (सांकेतिक तस्वीर)

धान की खेती करने के लिए डीएसआर (सीधी बुवाई तकनीक) विधि काफी अच्छी होती है. दरअसल डीएसआर तकनीक से धान की खेती में होने वाले लाभ और नुकसान को लेकर एक अध्ययन किया गया. इसमें पाया गया है कि 47 फीसदी से अधिक छोटे और सीमांत किसान जिन्होंने पारंपरिक पोखर विधि की तुमना में डीएसआर तकनीक का उपयोग किया, उन्हें अधिक उपज प्राप्त हुई है. यह अध्ययन तीन राज्यों, नौ जिलों और छह कृषि-जलवायु क्षेत्रों में आयोजित किया गया था. डीएसआर तकनीक से होने वाले फायदे को लेकर किए गए इस अध्ययन में लगभग 325 किसानों ने भाग लिया जबकि 161 उन किसानों को शामिल किया गया जो पारंपरिक गीली तकनीक से धान की रोपाई करते हैं. 

डीएसआर धान की रोपाई की एक ऐसी तकनीक है जिसमें मैन्युअली या मशीनों के माघ्यम से धान को सीधे मिट्टी में लगाया जाता है. इस तकनीक में किसानों को पहले नर्सरी में पौधों को उगाने की और फिर उसे खेत में रोपाई करने की जरूरत नहीं होती है. इन दोनों की स्थिति में पूरी तरह से खेत में पानी भरे होने की आवश्यकता होती है. इससे अलग डीएसआर विधि कई वर्षों से प्रचलन में है पर भारत के प्रमुख धान उत्पादक क्षेत्रों में इस विधि ने लोकप्रियता हासिल नहीं की है. 

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कई फैक्टर पर निर्भर करती है पैदावार

डीएसआर तकनीक के माध्यम से खेती करने वाले कई किसानों के बीच एक आम चिंता यह है कि पारंपरिक रोपाई विधि की तुलना में पैदावार कभी-कभी कम होती है. किसानों का कहना है कि इस तरह से उगाई गई फसलें कीटों और कीटों के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं. अध्ययन से पता चलता है कि डीएसआर विधि के तहत धान की खेती करने से पारंपरिक पोखर विधि से कम पैदावार नहीं होती है. इस विधि में धान की पैदावार पर्यावरण, मिट्टी  के अलावा किसान किस तरह से खेती कर कर रहे हैं, इस पर भी निर्भर करता है.

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खरपतवार नियंत्रण बड़ी चुनौती

अध्ययन में पाया गया कि अगर परिस्थितियां धान की खेती के लिए अनुकूल रहती हैं तो डीएसआर विधि से धान की पैदावार रोपाई विधि से अधिक होती है. हालांकि डीएसआर विधि से खेती करने वाले किसानों ने बताया कि इस तकनीक में खरपतवार का नियंत्रण करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती रहती है. डीएसआर विधि से खेती करने वाले 89 प्रतिशत किसानों ने इस समस्या के बारे में कहा. किसानों ने यह भी कहा कि खरपतवार के कारण उनकी उपज में कमी होती है.

अध्ययन में यह भी पाया गया है कि डीएसआर तकनीक को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे संगठनों के प्रयास के कारण लगभग 68 फीसदी किसान पारंपरिक धान की खेती को छोड़कर डीएसआर तकनीक को अपना रहे हैं. ऐसे मामलों में भी जहां डीएसआर में उपज पारंपरिक तरीकों से कम है, वहां पर किसान श्रम, लागत और अन्य जरूरतों को घटाकर भी डीएसआर तकनीक से खेती करना जारी रख रहे हैं.