प्याज भारतीय रसोई घर की महत्वपूर्ण सामग्री है, जिसके बिना सब्जी नहीं बनती है. यही कारण है कि इसकी मांग हमेशा बनी रहती है और किसानों को इसकी खेती से फायदा भी होता है. अपने औषधीय गुणों के कारण प्याज मसालों में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है. भारत में बहुत बड़े क्षेत्रफल में प्याज की खेती होती है पर प्रति हेक्टेयर इसकी उत्पादकता कम होने के कारण उपज कम हो जाती है. भारत में तो वैसे रबी और खरीफ दोनों ही मौसम में प्याज की खेती की जाती है, लेकिन रबी सीजन प्याज की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है. इस वक्त तापमान बहुत अधिक और बहुत कम नहीं होता है. प्याज की अच्छी बढ़वार के लिए रात का तापमान 10-15 डिग्री सेल्सियस और दिन का तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए.
बाजार में प्याज की कीमत मांग और बाजार में आवक के हिसाब से कम-ज्यादा होती रहती है. ऐसे में अधिकांश किसान प्याज को रख देते हैं. प्याज के भंडारण के दौरान किसानों को एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है. इस दौरान प्याज में घुन का संक्रमण हो सकता है. घुन के संक्रमण के लिए सूखा मौसम उपयुक्त माना गया है. यह कीट भंडारित प्याज को प्रभावित करता है. सामान्य तौर पर घुन समूह में रहता है और प्याज के जड़ वाले भाग को क्षति पहुंचाता है. यह कीट प्याज के छिलकों के अंदर प्रवेश कर जाते हैं और उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं. इसके कारण फफूंद और जीवाणु प्याज में प्रवेश कर जाते हैं और प्याज के सड़ने का कारण बनते हैं.
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घुन के कारण भंडारित अवस्था में ही प्याज का सड़न बढ़ जाता है. जिन पौधों को घुन अधिक क्षति पहुंचाते हैं उनके जड़ और पत्ते भी खत्म हो जाते हैं. यह कीट बीज द्वारा सीधे बोए गए प्याज में पौधे के स्थापित होने से पहले वृत को काट लेते हैं, जिससे पौधे नष्ट हो जाते हैं. जब घुन की संख्या अधिक बढ़ जाती है तो धुन खाली पड़े पु्ष्पवृत में भी प्रवेश कर जाते हैं. ऐसे में किसानों को इससे बचाव के तरीकों के बारे में पता होना चाहिए. इस खबर में हम आपको बताएंगे घुन को नियंत्रित करने के छह आसान तरीके ताकि आपका प्याज सुरक्षित रहे और आपको नुकसान नहीं हो.
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