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Climate Change : जलवायु परिवर्तन से पड़ने लगा है जल चक्र पर भी असर, अब पानी की कमी से होगा विस्थापन

Climate Change : जलवायु परिवर्तन से पड़ने लगा है जल चक्र पर भी असर, अब पानी की कमी से होगा विस्थापन

जलवायु परिवर्तन के असर को नजरंदाज कर विकास के नाम पर हो रहे प्रकृति के अनियंत्रित दोहन के कारण अब Extreme Weather Condition का सामना करना पड़ रहा है. संयुक्त राष्ट्र ने आगाह किया है कि अभी भी विकास के नाम पर प्रकृति का हो रहा विनाश यदि नहीं रुका तो धरती का जल चक्र प्रभावित होने से करोड़ों लोग अपना घर छोड़ कर विस्थापित होंगे.

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यूएन रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन जनित जलसंकट से दुनिया में बढ़ेगा विस्थापन (सांकेतिक फोटो) यूएन रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन जनित जलसंकट से दुनिया में बढ़ेगा विस्थापन (सांकेतिक फोटो)
अप्रत्याशित रूप से पड़ रही कड़ाके की ठंड, भीषण गर्मी और मूसलाधार घनघोर बारिश के रूप में साल दर साल बदल रहे मौसम को जलवायु परिवर्तन कहा जा रहा है. वैज्ञानिकों की नजर में जलवायु परिवर्तन भले ही दुनिया की बड़ी आबादी को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रभावित कर रहा हो, लेकिन आने वाले समय में धरती के जल चक्र के बदलाव के रूप में इसके परिणाम देखने को मिलेंगे. संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध Potsdam Institute for Climate Impact Research (PIK) के शोध में बताया गया है कि पिछले एक दशक में मौसम चक्र में बदलाव के रूप में जलवायु परिवर्तन अब दुनिया के हर हिस्से में महसूस होने लगा है. पीआईके की रिपोर्ट के मुताबिक इस बदलाव का अगला पड़ाव पानी की वैश्विक व्यवस्था में बदलाव के रूप में दिखेगा.

ऐसे बदलेगा जल चक्र

संयुक्त राष्ट्र की हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार पानी की वैश्विक व्यवस्था को बतौर 'जल चक्र' जानते हैं. इस व्यवस्था में धरती के किस हिस्से में कब, कितना पानी मिलेगा, इसका निर्धारण प्रकृति ने स्वयं किया है.
 

United Nations की रिपोर्ट के मुताबिक यह स्थिति 2030 तक इतनी गंभीर हो जाएगी कि वर्तमान में पानी की उपलब्धता वाले इलाके जल विहीन हो जाएंगे. ऐसे इलाकों की बड़ी आबादी पानी की उपलब्धता वाले इलाकों में विस्थापन करने को मजबूर होंगे.

बढ़ रहा जल संकट

Climate Change का असर बदलते Weather Pattern के रूप में महसूस किया जा रहा है. इसके समानांतर जीव जगत पर इसका सीधा असर पानी की उपलब्धता के रूप में भी देखने को मिल रहा है. स्पष्ट है कि धरती पर पानी की उपलब्धता वाले इलाके अब Draught Effected होने के कारण सामान्य जनजीवन सीधे तौर पर प्रभावित हो रहा है. रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा समय में दुनिया भर में 4 करोड़ लोग ऐसे इलाकों में रह रहे हैं, जिनमें साल के एक महीने तक पानी का अभाव रहता है.
रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि अगले साल 2025 के अंत तक दुनिया की 50 फीसदी आबादी को पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा. इतना ही नहीं रिपोर्ट के मुताबिक इन इलाकों में हालात कुछ ऐसे हो जाएंगे कि पानी की उपलब्धता लगभग शून्य हो जाने के कारण तकरीबन 70 करोड़ लोगों को अपने घर छोड़ कर किसी अन्य इलाके में पानी की तलाश करते हुए विस्थापित होना पड़ेगा.
रिपोर्ट में दुनिया को आगाह किया गया है कि महज 6 साल के भीतर Water Crisis के कारण विस्थापन की समस्या गंभीर रूप धारण करेगी. इससे सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर पड़ेगा, जिनके कंधों पर परिवार के लिए पानी का प्रबंध करने की जिम्मेदारी होती है. ऐसे में सरकारों को सलाह दी गई है कि उन्हें Water Supply System को दुरुस्त करने पर 30 फीसदी ज्यादा मेहनत करनी होगी.
 

जलवायु परिवर्तन का जीवन पर असर

अब यह बात स्थापित हो चुकी है कि जलवायु परिवर्तन के कारण Rain Pattern बदल रहा है. पूरी धरती पर इसका असर पानी की उपलब्धता पर पड़ रहा है. इससे भारत और अफ्रीका सहित उन देशों की महिलाएं एवं बच्चियां प्रभावित होंगी, जिन पर परिवार के लिए पानी लाने की जिम्मेदारी होती है.
रिपोर्ट के अनुसार अगले 25 सालों में ऐसे इलाकों की महिलाओं को अपने परिवार के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने में 35 फीसदी ज्यादा समय एवं ऊर्जा झोंकनी पड़ेगी. रिपोर्ट में भारत, पाकिस्तान और अफ्रीकी देशों को खेती का पैटर्न सुधारने के लिए भी आगाह किया गया है. इसके अनुसार इन देशों में अंधाधुंध शहरीकरण और खेती के नाम पर पानी का जरूरत से ज्यादा दोहन हो रहा है.
इतना ही नहीं इन देशों में विशाल आबादी को पेयजल उपलब्ध कराने के अलावा खेती में भी पानी के गैरजरूरी इस्तेमाल वाली फसलें उपजाई जा रही हैं. रिपोर्ट में इन देशों के किसानों को जल संचयन के उपाय करने, खेती में कम पानी के इस्तेमाल की तकनीकों को बढ़ावा देने और अनियंत्रित Ground Water Extraction से बचने के पुख्ता इंतजाम करने पर जोर देने को कहा गया है.