गर्मी और कम बारिश के कारण इस बार आने वाले सीजन में इलायची का उत्पादन (cardamom production) प्रभावित हो सकता है. मौसम की इस परिस्थिति के कारण इलायची उत्पादक किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं. किसान लगातार बढ़ रही गर्मी से परेशान हैं क्योंकि उनका मानना है कि इससे आगामी सीज़न में उत्पादन प्रभावित हो सकता है. केरल का इडुक्की जिला इलायची उत्पादन के लिए जाना जाता है. यहां के प्रमुख इलायची उत्पादन केंद्र वंदनमेडु में इलायची किसानों ने बताया कि मार्च के दौरान सामान्य तापमान 30 डिग्री के आस-पास रहता था, पर इस बार पारा 34 डिग्री पर पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि अगर यही स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है तो फसल को इससे नुकसान हो सकता है.
किसानों ने कहा कि अच्छे उत्पादन के लिए मार्च में कुछ अच्छी बारिश की भी जरूरत होती है, जिसकी उन्हें काफी उम्मीद थी. पर इस बार अच्छी बारिश भी नहीं हुई है. किसानों ने कहा कि अगर अगले 15 दिनों के अंदर बारिश नहीं होगी तो अगली फसल की पैदावार (cardamom production) पर इसका असर पड़ेगा. इसलिए अब सब कुछ बारिश पर निर्भर करता है. उन्होंने कहा कि इलायची के बागानों को पौधों को बचाने के लिए सिंचाई की आवश्यकता होती है और बारिश के अभाव में पानी की कमी की कमी हो गई है, इसके कारण किसान सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं.
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'द बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट के अनुसार व्यापारियों ने बताया की होली के त्योहार को देखते हुए देश भर में इसकी मांग काफी अच्छी रही और फिलहाल बाजार में 1500 रुपये प्रति किलो की औसत से इसकी कीमत स्थिर है. उन्होंने यह भी कहा लोकसभा चुनावों की घोषणा होने के बाद भी रमजान की बिक्री और प्रतिकुल जलवायु परिस्थितियों ने इलायची की मांग को बढ़ाने में मदद की है.
इडुक्की में इलायची की खेती (cardamom production) करने वाले एसबी प्रभाकर ने कहा कि बाजार में दिसंबर से अब तक प्रचुर मात्रा में आवक के कारण इलायची की कीमतों में गिरावट आई है. इसके पीछे स्पाइसेस बोर्ड के उस निर्देश का भी असर पड़ा है जिसमें कहा गया है कि नीलामीकर्ताओं द्वारा नीलामी के लिए जमा की गई इलायची की मात्रा के लिए पूर्ण बैंक गारंटी प्रदान की जाएगी. हालाकि उन्होंने कहा कि बोर्ड का यह एक स्वागत योग्य कदम है लेकिन इसे नीलामीकर्ताओं के साथ उचित परामर्श के बाद ही लागू किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रस्ताव को लागू करने से पहले नीलामीकर्ताओं को पूर्ण विश्वास में लिया जाना चाहिए.
निर्यात बाजार का जिक्र करते हुए एसबी प्रभाकर ने कहा कि ग्वाटेमाला में भी इस बार इलायची उत्पादन में काफी गिरावट आई है. पिछले सीजन के 54,000 टन के मुकाबले इस बार यह लगभग 30,000 टन रह गई है. 1982-83 के बाद पहली बार यह संभावना जताई जा रही है कि भारतीय इलायची उत्पादन (cardamom production) के मामले में ग्वाटेमाला को पछाड़ सकता है. मौजूदा कीमतें लगभग ग्वाटेमाला इलायची की कीमतों के बराबर हैं और आने वाले हफ्तों में निर्यात मांग बढ़ सकती है.
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हालांकि, रेड सी संकट के कारण शिपिंग में देरी हो रही है जिससे थोड़ी परेशानी जरूर बढ़ी है, पर अगर निर्यात बढ़ता है तो इस महीने के अंत और अप्रैल में कीमतें ठीक हो सकती हैं. वहीं अल नीनो अभी भी बना हुआ है और भीषण गर्मी है, अगर इलायची उत्पादक क्षेत्रों में बारिश नहीं हुई तो कीमतें बढ़ सकती हैं. उन्होंने कहा कि अगर बारिश में 10 से 20 अप्रैल तक देरी होती है, तो इससे अगले सीजन में उत्पादन में गिरावट आएगी और कीमतें बढ़ सकती हैं.
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