धान की कटाई शुरू होते ही पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं सामने आने लगती हैं. इसी को लेकर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने पंजाब और हरियाणा को इस साल जारी धान की कटाई के मौसम में पराली जलाने पर रोक लगाने का निर्देश दिया है. इसके अलावा फसल अवशेष प्रबंधन के उपायों को सख्ती से लागू करने को भी कहा है. साथ ही उड़नदस्ते तैनात करने के भी निर्देश दिए हैं.
यह निर्देश पंजाब के 23 और हरियाणा के 22 जिलों के वरिष्ठ अधिकारियों, उपायुक्तों, जिलाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों के साथ हुई विस्तृत समीक्षा बैठकों के बाद जारी किए गए हैं.
सीएक्यूएम के अध्यक्ष राजेश वर्मा की अध्यक्षता में हुई इन बैठकों में आयोग के प्रभावी फसल अवशेष प्रबंधन के निर्देशों के अनुरूप राज्यों की तैयारियों पर ध्यान केंद्रित किया गया. सीएक्यूएम ने कहा कि जमीनी स्तर पर प्रगति की निगरानी के लिए दोनों राज्यों के हॉटस्पॉट जिलों में उड़नदस्ते की टीमें तैनात की जाएंगी. इसके अलावा पंजाब और हरियाणा के बीच समन्वय और धान अवशेष प्रबंधन गतिविधियों की निगरानी के लिए मोहाली के कृषि भवन में एक समर्पित सीएक्यूएम प्रकोष्ठ भी स्थापित किया गया है.
पंजाब को फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी की जरूरतों को पूरा करने, बेलरों की अंतर-जिला आवाजाही तय करने, "पराली सुरक्षा बल" के माध्यम से निगरानी बढ़ाने और ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास को-फायरिंग में तेजी लाने के निर्देश दिए गए है.
हरियाणा को मशीनरी की कमी को पूरा करने, धान की पराली की गांठों के भंडारण की सुविधाओं में सुधार करने, किसानों के लिए बीमा विकल्प उपलब्ध कराने और पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए.
दोनों राज्यों को फसल कटाई के पैटर्न के अनुरूप फसल अवशेष प्रबंधन उपकरण जुटाने, खेतों में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए शाम की गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं. स्थानीय निकायों को नगरपालिका के ठोस कचरे और बायोमास को खुले में जलाने से रोकने के लिए भी जागरूक किया जाएगा. सीएक्यूएम ने इस बात पर ज़ोर दिया कि पराली जलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती और अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहन के साथ-साथ दंड की भी मांग की.
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