पराली जलाने पर रोक के लिए बनीं 450 टीमें, चप्पे-चप्पे पर होगी जिला प्रशासन की नजर

पराली जलाने पर रोक के लिए बनीं 450 टीमें, चप्पे-चप्पे पर होगी जिला प्रशासन की नजर

पराली जलाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद कृषि विभाग और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों ने कमर कस ली है. करनाल के उप कृषि निदेशक ने इस पूरे मामले को लेकर जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि पराली रोकने के लिए चप्पे-चप्पे पर पैनी नजर रखी जाएगी.

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पराली जलाने पर रोक के लिए बनीं 450 टीमें, चप्पे-चप्पे पर होगी जिला प्रशासन की नजरपराली पर कृषि विभाग की पैनी नजर

राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई इलाकों में प्रदूषण का सबसे बड़ा जिम्मेदार किसानों की ओर से जलाई जाने वाली पराली को ठहराया जाता है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी पराली जलाने वाले किसानों की गिरफ्तारी तक की बात कह दी है, इसके बाद हरियाणा कृषि विभाग पराली की रोकथाम को लेकर गंभीर हुआ है. करनाल के कृषि उप निदेशक वजीर सिंह ने बताया कि किसानों द्वारा धान की कटाई के बाद किसान पराली ना जलाएं, ऐसे में जिला प्रशासन पराली जलाने वाले किसानों पर अपनी नजर बनाकर रखेगा. कृषि विभाग की और से 450 से अधिक टीमें बनाई गई हैं जो पराली जलाने वाले गांवों में अपनी पैनी नजर बनाकर रखेगी.

कृषि यंत्रों पर सब्सिडी

करनाल में कृषि उप निदेशक वजीर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि पराली प्रबंधन करने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि कृषि विभाग द्वारा किसानों को कृषि यंत्रों पर 50 फीसदी की सब्सिडी भी दी जा रही है. अब तक 3000 किसानों ने कृषि यंत्र के लिए अप्लाई भी किया था और कृषि विभाग द्वारा 1010 के करीब किसने की सब्सिडी सर्टिफिकेट भी इश्यू कर दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि हमने किसानों अपील की है कि वे जल्द से जल्द अपने कृषि यंत्र खरीदे ताकि उनका वेरीफिकेशन करके उन्हें सब्सिडी दी जा सके. एक्सीटू स्टॉप मैनेजमेंट और इंशटू स्टॉप मैनजमेंट पर ₹1200 का अनुदान दिया जा रहा है.

पराली जलाने पर कार्रवाई 

कृषि अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि पराली जलाने को रोकने के लिए जिला प्रशासन की ओर से 450 से अधिक टीमें गठित की गई हैं, जो किसानों को मौके पर जाकर अवगत करा रही है. किसान धान की कटाई के बाद पराली ना जलाए. उन्होंने कहा कि किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसानों से अवगत कराया जा रहा है.

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कृषि विभाग की ओर से कोशिश की जा रही है कि इस बार जिले में पराली जलाने का कोई भी मामला दर्ज नहीं हो, फिर भी अगर कोई किसान पराली जलाता है तो सरकार की ओर से निर्धारित उचित कार्रवाई की जाएगी.

पराली जलाने के मामलों में कमी

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों की बात की जाए तो पराली जलाने के मामले करनाल में काफी कम सामने आए हैं. इस बार भी कृषि विभाग की तरफ से कोशिश रहेगी कि कोई भी किस पराली ना जलाए, और सरकार की ओर से जो भी योजनाएं चलाई जा रही हैं किसान उसका फायदा उठाएं. फिलहाल अब देखने वाली बात ये होगी इस बार प्रशासन और सरकार की ओर से किसानों द्वारा फसल कटाई के बाद पराली नहीं जलाने को लेकर किए गए प्रयास कितने कारगर सिद्ध होते हैं.

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