"हम क्या गोटियां खेलने आए हैं?"– अजित पवार का बयान सुर्खियों में, कहा- काम करने वालों को ही मारा जाता है

"हम क्या गोटियां खेलने आए हैं?"– अजित पवार का बयान सुर्खियों में, कहा- काम करने वालों को ही मारा जाता है

अतिवृष्टि से प्रभावित धाराशिव जिले की स्थिति का शुक्रवार को उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने दौरा कर जायजा लिया और गांव के लोगों से संवाद साधा. इस दौरान उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार की ओर से किसानों और बाढ़ग्रस्तों की मदद के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं.

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"हम क्या गोटियां खेलने आए हैं?"– पवार का बयान सुर्खियों में, कहा- काम करने वालों को ही मारा जाता है

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार आज यानी शुक्रवार को अतिवृष्टि से प्रभावित धाराशिव जिले के दौरे पर पहुंचे और बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का जायजा लिया. इस मौके पर उन्होंने गांव के लोगों से बात करते हुए राहत और पुनर्वास को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई.

हालांकि, बातचीत के दौरान अजित पवार का एक बयान चर्चा का विषय बन गया. उन्होंने कहा, "हम क्या गोटियां खेलने आए हैं? सुबह छह बजे करमाला से दौरा शुरू किया. जो काम करता है उसी की मारते हैं. हमने कोई आराम नहीं किया, जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं और जिसकी जलती है, वही समझ सकता है.”

इस बयान को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है, जिसे पवार की "जुबान फिसलने" के तौर पर देखा जा रहा है. 

प्राकृतिक आपदा से निपटने के प्रयासों पर जोर

पवार ने गांव के लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा, "सरकार आपके साथ खड़ी है. हमने किसानों की बिजली माफी के लिए 45 हजार करोड़ का बजट रखा और भूम-परंडा क्षेत्र की स्थिति को देखते हुए तुरंत कदम उठाए हैं."

लातूर भूकंप की याद और मॉनसून की चेतावनी

पवार ने 1993 के लातूर भूकंप को याद करते हुए कहा कि उस समय हजारों लोगों का पुनर्वास किया गया था. उन्होंने हाल ही में सोलापुर में बाढ़ में बह गए रिक्शाचालक की घटना का उल्लेख करते हुए लोगों से सतर्क रहने की अपील की. "यह लौटता हुआ मॉनसून है और हमारे जैसे इलाकों में इतनी बारिश विरले ही होती है," पवार ने कहा।

पाणलोट योजनाओं और सिंचाई व्यवस्था पर चर्चा

पवार ने पाझर तालाब, कोल्हापुरी बांध और सिने-कोलेगांव जैसी योजनाओं की जानकारी दी और बताया कि भारी बारिश के चलते बांध क्षेत्र से पानी छोड़ना पड़ा, जिससे संकट पैदा हुआ. 

आर्थिक स्थिति और सीमाओं की बात

अंत में पवार ने सरकार की वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए कहा,
"सभी तरह का दिखावा किया जा सकता है, लेकिन पैसों का नहीं. जैसे आप घर का खर्च आय के अनुसार चलाते हैं, वैसे ही हमें 13 करोड़ जनता का कारभार देखना पड़ता है. केंद्र सरकार की मदद से भी बाढ़ग्रस्तों के लिए योजनाएं लाई जाएंगी.”

मराठवाड़ा में बारिश से नुकसान

मराठवाड़ा के तीन जिलों छत्रपति संभाजीनगर, जालना और बीड में शुरुआती नुकसान लगभग 4 लाख 58 हज़ार 511 हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो बीड में स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है. सोयाबीन, कपास, अरहर, मक्का और बाजरा जैसी प्रमुख खरीफ फसलों को भारी बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. कटी हुई फसलें पानी में डूब गई हैं, जिससे किसानों की फसल बर्बाद हो गई हैं. कई जगहों पर खेतों में पानी भर जाने से फसलें सड़ने लगी हैं, जबकि कुछ जगहों पर जमीन का कटाव हो गया है.

बीड जिले के कई तालुका इस बारिश से प्रभावित हुए हैं. बीड, गेवराई, शिरूर कासर, आष्टी, पाटोदा और माजलगांव तालुकाओं में नुकसान की तीव्रता विशेष रूप से अधिक है. जिले के कई राजस्व हलकों में भारी बारिश दर्ज की गई है. शिरूर तालुका में बारिश का सबसे ज्यादा असर हुआ, जहां शिरूर मंडल में 104 मिमी बारिश दर्ज की गई. इसके बाद बीड तालुका के येलम्ब में 99 मिमी, जबकि नेकनूर और नलवंडी मंडलों में क्रमशः 70 मिमी और 67 मिमी बारिश दर्ज की गई. ये आंकड़े बारिश की तीव्रता के बारे में बताते हैं. 

(गणेश सुभाष जाधव का इनपुट)

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