अनाज आधारित इथेनॉल निर्माताओं ने इस क्षेत्र में आगे इन्वेसमेंट पर रोक लगाने की मांग की है, उन्होंने कहा कि जब तक सरकार इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम के भविष्य के विस्तार के लिए लॉन्गटर्म रोडमैप तैयार नहीं कर लेती तब तक निवेश नहीं किया जाएगा. ग्रेन इथेनॉल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष चंद्र कुमार जैन ने FE को बताया, कि हमने सरकार से अतिरिक्त अनाज आधारित इथेनॉल निर्माण सुविधाओं के लिए निवेश की मंजूरी और बैंकों को ऋण देने से बचने का आग्रह किया है. क्योंकि इससे क्षमता से अधिक उत्पादन हो सकता है. जैन ने कहा कि नई जैव-ईंधन निर्माण इकाइयों को मंजूरी देने से पहले उच्च इथेनॉल मिश्रण के लिए एक स्पष्ट रोडमैप तैयार किया जाना चाहिए.
इथेनॉल उद्योग ने वर्तमान में 1700 करोड़ लीटर इथेनॉल निर्माण कैपासिटी रखी गई है. जबकि तेल विपणन कंपनियां (OMC) उनसे सालाना लगभग 1100 करोड़ लीटर इथेनॉल खरीदती हैं. वर्तमान में कुल 400 इथेनॉल निर्माताओं में से लगभग 250 इकाइयां अनाज (चावल और मक्का) आधारित हैं. शेष इकाइयां गन्ने से इथेनॉल बनाती हैं. मिश्रण कार्यक्रम पर दिए गए जोर के कारण, 2013-14 में इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम के केवल 1.6 फीसदी से बढ़कर वर्तमान में जैव ईंधन का मिश्रण लगभग 20 फीसदी हो गया है. अनाज से इथेनॉल बनाने वालों ने सरकार से चावल और मक्का जैसे खाद्यान्नों की कीमतों में वृद्धि के साथ तेल विपणन कंपनियों द्वारा खरीद मूल्य बढ़ाने का भी आग्रह किया है. जैन ने कहा कि मक्का के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में इसी वृद्धि के साथ, ओएमसी को भी अपने खरीद मूल्य बढ़ाने चाहिए.
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नवंबर, 2024 से अगस्त, 2025 के दौरान, इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2024-25 (नवंबर-अक्टूबर) में तेल विपणन कंपनियों को आपूर्ति किए जाने वाले 821 करोड़ लीटर इथेनॉल में से, 526 करोड़ लीटर का निर्माण FCI के अधिशेष चावल (96 करोड़ लीटर) बाजार से प्राप्त क्षतिग्रस्त खाद्यान्न 63 करोड़ लीटर टूटे हुए चावल से किया जाएगा. 367 करोड़ लीटर से अधिक इथेनॉल मक्के का उपयोग करके निर्मित किया गया है.
वर्तमान ESY - 2024-25 में तेल विपणन कंपनियां मक्के के लिए इथेनॉल निर्माताओं को 71.86 रुपये प्रति लीटर का भुगतान करती हैं, जबकि भारतीय खाद्य निगम के चावल के लिए निर्मित जैव-ईंधन के लिए 58.5 रुपये प्रति लीटर और मानव उपभोग के लिए काम में ना आने वाले टूटे हुए चावल से इथेनॉल निर्माण के लिए 60 रुपये प्रति लीटर का भुगतान करती है. कुल 1100 करोड़ लीटर में से, अनाज आधारित इकाइयों ने 600 करोड़ लीटर इथेनॉल की खरीद-वापसी के लिए तेल विपणन कंपनियों के साथ दीर्घकालिक उठाव समझौते किए हैं. हालांकि, इकाइयों द्वारा तेल विपणन कंपनियों को आपूर्ति किए गए 300 से 350 करोड़ लीटर इथेनॉल का दीर्घकालिक उठाव नहीं हो पाया है.
संशोधित राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 के तहत, 2022 में पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य 2030 की बजाय ESY 2025-26 कर दिया गया है. एक आधिकारिक नोट के अनुसार, इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम के परिणामस्वरूप 2014-15 ESY से जुलाई 2025 तक किसानों को 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया है. इसके अलावा इस कार्यक्रम से विदेशी मुद्रा के रूप में 1.44 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई है. क्योंकि देश बड़ी मात्रा में कच्चे तेल का आयात करता है. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में अनाज आधारित इथेनॉल निर्माता वर्तमान में मक्का या चावल को मुख्य फ़ीड स्टॉक के रूप में उपयोग कर रहे हैं.
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