केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन 'विकसित भारत 2047 – अर्थव्यवस्था में कृषि का एक ट्रिलियन का योगदान: फसल संरक्षण उद्योग की भूमिका' में किसानों के हितों पर मुखर होकर विचार रखे. मंत्री चौहान ने जानकारी दी कि अप्रैल से अगस्त 2025 के बीच भारत का कृषि निर्यात 10% बढ़ा है और बासमती चावल ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में धूम मचाई है. उन्होंने इसे किसानों की मेहनत और सरकार की नीतियों का परिणाम बताया.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा, “किसान अन्नदाता हैं और उनकी सेवा करना मेरे लिए भगवान की पूजा के समान है. आज देश के अन्न भंडार भरे हैं, जबकि एक दौर था जब हमें अमेरिका से PL-480 योजना के तहत गेहूं मंगवाना पड़ता था.” उन्होंने वैज्ञानिकों से अपील की कि वे प्रयोगशालाओं से निकलकर खेतों तक पहुंचे.
शिवराज सिंह ने कहा, “मैंने वैज्ञानिकों को टास्क दिया है कि किसानों की जमीनी समस्याओं पर रिसर्च करें – जैसे गुलाबी सुंडी, एलोमोजिक, लाल सड़न जैसी बीमारियों पर. 'वन टीम-वन टास्क' के सिद्धांत पर रिसर्च को जमीन पर उतारने की जरूरत है.”
मंत्री चौहान ने कहा कि भारत की जनसंख्या 2050 तक 170 करोड़ होने का अनुमान है, ऐसे में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है. “दुनिया की केवल 4% कृषि योग्य भूमि हमारे पास है, फिर भी हम न केवल खुद का पेट भर रहे हैं, बल्कि दुनिया को भी खिला रहे हैं.”
उन्होंने छोटे किसानों की स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि भारत की नीतियां उनके अनुसार ही बननी चाहिए क्योंकि अधिकांश किसान के पास ढाई से तीन एकड़ भूमि ही है.
शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के शोषण पर गहरी चिंता जताई. उन्होंने कहा, “नकली कीटनाशक और उर्वरक के कारण किसान बर्बाद हो रहा है. राजस्थान में पत्थर का पाउडर तक उर्वरक बनाकर बेचा गया. यह अपराध है और इस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.”
उन्होंने उद्योग जगत से अपील की कि वे नैतिक जिम्मेदारी निभाएं और ऐसे उपकरणों के निर्माण में सहयोग करें जो किसानों को असली-नकली की पहचान करने में सक्षम बनाएं.
“किसान कहते हैं कोई ऐसा उपकरण हो जो बता दे कि जो हम खरीद रहे हैं वो असली है या नकली. डीलरों की मनमानी और लालच से किसान धोखा खा जाते हैं, इस व्यवस्था को ठीक करना जरूरी है.”
मंत्री ने कहा कि सरकार अकेले सब कुछ नहीं कर सकती. नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी भी ज़रूरी है. “कीट-पतंगे भी बदलते रहते हैं, हमें रिसर्च और पूर्वानुमान के ज़रिए हमेशा तैयार रहना होगा.”
रूस के उप प्रधानमंत्री दिमित्री पेत्रुशेव, उनके डिप्टी एग्रीकल्चर मिनिस्टर सहित प्रतिनिधमंडल के साथ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान की कृषि भवन, नई दिल्ली में महत्वपूर्ण उच्चस्तरीय बैठक हुई. शिवराज सिंह ने कहा कि ये बैठक अत्यंत सौहार्दपूर्ण और उपयोगी रही है. हमने कृषि और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग, द्विपक्षीय व्यापार संतुलित करने, तकनीकी साझेदारी और मजबूत करने पर व्यापक चर्चा की है.
बैठक के बाद मीडिया को दिए वक्तव्य में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि रूस के समर्थन और सहयोग से व्यापार और लंबित मुद्दों का निश्चित तौर पर समाधान निकलेगा, जिसका लाभ हमारे किसानों, उपभोक्ताओं और दोनों देशों के नागरिकों को मिलेगा.
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