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अब AI से होगी पशुओं के स्वास्थ्य की निगरानी, दूध उत्पादन बढ़ाने में मिलेगी मदद

अब AI से होगी पशुओं के स्वास्थ्य की निगरानी, दूध उत्पादन बढ़ाने में मिलेगी मदद

एआई के जरिए पशुपालन में मदद मिल सकती है क्योंकि इससे पशुओं के बारे में सभी प्रकार की जानकारी हासिल की जा सकती है. साथ ही उनके खान-पान और मौसम संबंधी बदलाव, बदलते मौसम में उनके व्यवहार में बदलाव, रोग होने पर लक्षण और उससे संबंधित डाटा आसानी से हासिल किया जा सकता है.

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पशुपालन में एआई के फायदे (सांकेतिक तस्वीर) पशुपालन में एआई के फायदे (सांकेतिक तस्वीर)

देश में एआई (AI) के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है. साथ ही इसके उपयोग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. कृषि के क्षेत्र में एआई से बड़े बदलाव की उम्मीद की जा रही है और इसका फायदा भी दिखाई दे रहा है. कृषि की तर्ज पर अब पशुपालन के लिए भी एआई का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके जरिए पशुओं के स्वास्थ्य का पता लगाना आसन हो जाएगा. पशुओं के स्वास्थ्य का पता लगाता चुनौतीपूर्ण होता है.  पशु अचानक गंभीर रूप से बीमार पड़ जाते हैं. इसके कारण किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है. पर अब एआई तकनीक से इस्तेमाल से इसे आसान बनाया जा रहा है और किसानों को भी इसका फायदा मिलने वाला है. 

पशुपालन में एआई का इस्तेमाल करते हुए इसमें दूर से ही पशुओं के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाता है. इसके प्राप्त आंकड़े को कंप्यूटर से देखा जाता है. इससे बीमार पशुओं के असमान्य व्यवहार का पता चलता है. इतना ही नहीं, इसके जरिए दूध उत्पादन को बढ़ाने में भी मदद मिल सकती है. दूध उत्पादन बढ़ने से किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिल सकती है. एक फैक्ट यह भी है कि भारत में किसानों औऱ उनके परिवारों की कमाई कृषि की सफलता पर निर्भर करती है. देश में कई ऐसे स्टार्टअप्स और निजी संस्थाएं हैं जो देश के किसानों को बेहतर पैदावार के लिए तकनीकी सेवाएं और सलाह मुहैया कराते हैं. इन स्टार्टअप्स के जरिए देश में खेती और पशुपालन का तरीका बदल रहा है. 

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पशुपालन में एआई के फायदे

एआई के जरिए पशुपालन में मदद मिल सकती है क्योंकि इससे पशुओं के बारे में सभी प्रकार की जानकारी हासिल की जा सकती है. साथ ही, उनके खान-पान और मौसम संबंधी बदलाव, बदलते मौसम में उनके व्यवहार में बदलाव, रोग होने पर लक्षण और उससे संबंधित डाटा आसानी से हासिल किया जा सकता है. इससे उनके रख-रखाव में आसानी हो सकती है. साथ ही उनके खान पान के बारे में बेहतर डाटा हासिल करके उसे और बेहतर बनाया जा सकता है. उनके गर्भाधान को और बेहतर बनाया जा सकता है. इससे उनका स्वास्थ्य बेहतर होगा, जिससे दूध उत्पादन में बढ़ोतरी हासिल की जा सकती है. 

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एआई की चुनौतियां

हालांकि एआई के जहां एक तरफ फायदे हैं, वहीं दूसरी तरफ इसकी चुनौतियां भी हैं. अधिकांश लोग यह नहीं समझते हैं कि एआई क्या है और कैसे इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. खास कर गैर तकनीकी क्षेत्र के लोग इसे नहीं समझ पाते हैं. यही कारण है कि कृषि के क्षेत्र में इसे अपनाने में देरी हो रही है. देश के पारंपरिक किसानों को इसे समझने में परेशानी हो रही है क्योंकि पांरपरिक किसान नई तकनीकों से दूर रहते हैं. इसलिए समझने में उन्हें समस्याएं आ रही हैं. इसके अलावा एक और समस्या एआई को अपनाने में होने वाले निवेश की है. शुरुआती दौर में इसका इस्तेमाल करना महंगा साबित हो सकता है. इसके लिए अधिक पूंजी लगती है. इसलिए इसे अपनाने में एक समय लग सकता है.