दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता पिछले कई दिनों से लगतार खराब है. इस बीच, सोमवार को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. शीर्ष अदालत ने एक बार फिर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों से पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने और जिम्मेदार अधिकारियों पर भी एक्शन लेने में नाकामी दिखाने पर सवाल उठाते हुए फटकार लगाई. जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने सुनवाई की. बेंच की अध्यक्षता न्यायमूर्ति अभय एस ओका ने की, जिसमें जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल थे.
‘दि ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि आज भी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम, 2021 की धारा 14 के तहत कार्रवाई करने में राज्य सरकारें इच्छा नहीं दिखा रही है. बेंच ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हमने पहले के आदेशों में भी यह देखा है कि मुकदमा चलाने की जगह राज्य सरकारें खुलेआम नियमों के उल्लंघन के बावजूद सिर्फ कारण बताओ नोटिस जारी कर रहीं हैं. बेंच ने कार्रवाई न करने दोनों राज्य सरकारों से स्पष्टीकरण देने को कहा है.
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डबल बेंच ने राज्यों से पूछा कि ऐसा कैसे हो सकता है? दिवाली के दौरान अचानक प्रदूषण कैसे बढ़ गया? आप अपने अधिकारियों को क्यों छोड़ रहे हैं? वे पराली जलाने वाले किसानों को छोड़ रहे हैं. बेंच ने पंजाब और हरियाणा की सरकारों से पराली जलाने पर प्रतिबंध लागू न करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं करने पर सवाल उठाए, जिस पर पंजाब सरकार के महाधिवक्ता ने बेंच से कहा कि हमने 1037 जिम्मेदार अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इसकी उचित प्रक्रिया होनी चाहिए.
पंजाब सरकार ने कोर्ट में कहा कि हमें वर्तमान पर भी ध्यान देना होगा, अतीत बीत चुका है. इसपर बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अतीत को कैसे भुलाया जा सकता है? पहले की कार्रवाई को देखें, सिर्फ 56 अधिकारियों के खिलाफ केस चलाया गया है, लेकिन बाकी अधिकारियों का क्या? लगातार पराली जलाने के मामले में आप लोगों ने कुछ काम नहीं किया है.
मालूम हो कि हाल ही में केंद्र सरकार ने पंजाब की ओर से राज्य में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए 1200 करोड़ रुपये के फंड की मांग की थी, जिसे केंद्र सरकार ने ठुकरा दिया था. इस मामले में बेंच ने अब पंजाब के पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह से केंद्र के फैसले पर जवाब मांगा है.
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