संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने मंगलवार को नोएडा-दिल्ली हाईवे पर दलित प्रेरणा स्थल से किसानों को हटाए जाने और कई किसानों की गिरफ्तारी को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की निंदा की. एसकेएम ने कहा कि पुलिस ने सौ से अधिक महिलाओं सहित सैकड़ों किसानों को गिरफ्तार किया है और उन्हें जबरदस्ती विरोध स्थल से हटा दिया है. यह शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. एसकेएम ने न्यायपालिका से हस्तक्षेप करने और मौलिक अधिकारों की रक्षा करने का आग्रह किया है.
एसकेएम ने उत्तर प्रदेश से कहा कि पुलिस बल के प्रयोग से किसानों के ज्वलंत मुद्दे हल नहीं होंगे. उन किसानों ने अपनी कीमती जमीन और आजीविका खोई है, जिसके बदले उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया गया है. एसकेएम ने मंगलवार 2 दिसंबर को किसान नेतृत्व के साथ बनी आम सहमति का खुलेआम उल्लंघन करने के लिए यूपी प्रशासन के राजस्व और पुलिस विभाग के रवैए का विरोध किया है.
एसकेएम ने कहा कि यूपी के मुख्य सचिव की ओर से किसान नेतृत्व के साथ चर्चा करने और मांगों को हल करने के लिए 7 दिन का समय मांगा गया था. उनके अनुरोध पर ही, किसानों ने विरोध प्रदर्शन के स्थान को अंबेडकर पार्क के दलित प्रेरणा स्थल पर स्थानांतरित कर दिया था और रात-दिन का धरना संघर्ष जारी रखा था. लेकिन, भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया और शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे किसानों को बलपूर्वक हटा दिया गया.
ये भी पढ़ें - दिल्ली कूच के समर्थन में उतरीं हरियाणा की खाप पंचायतें, डल्लेवाल को दिया समर्थन
एसकेएम ने कहा कि ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के किसान पिछले 18 वर्षों से अधिक समय से उनको प्रभावित करने वाली परियोजना के खिलाफ और उनके भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं. 2008, 2011 और 2012 के दौरान इस संघर्ष के हिस्से के रूप में पुलिस गोलीबारी में छह किसान मारे गए थे. कॉर्पोरेट मुनाफाखोरी को सुविधाजनक बनाने के लिए इस तरह के भूमि अधिग्रहण के खिलाफ देश भर में बड़े पैमाने पर व्यापक संघर्ष हुए थे.
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि इसी को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन यूपीए-2 सरकार किसानों के भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 (आरएफसीटीएलएआरआर अधिनियम) में उचित मुआवजे और पारदर्शिता का अधिकार लागू करने के लिए मजबूर हुई थी. लेकिन, वर्ष 2014 में, भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए-1 सरकार एलएआरआर अधिनियम 2013 को अमान्य करने के लिए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश लेकर आई थी.
भूमि अधिकार आंदोलन के बैनर तले देश भर में किसानों के संघर्ष के कारण वे कानून बनाने में विफल रहे. इसके बाद, उत्तर प्रदेश सहित भाजपा के नेतृत्व वाली विभिन्न राज्य सरकारों ने एलएआरआर अधिनियम, 2013 का उल्लंघन करने के लिए राज्य स्तर पर भूमि कानून बनाया था. लेकिन किसान अपने वास्तविक भूमि अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखे हुए हैं और ग्रेटर नोएडा परियोजना प्रभावित किसानों का संघर्ष भी इसी देशव्यापी संघर्ष का हिस्सा है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि यूपी सरकार किसानों को न्याय दिलाने में विफल रही है. वर्ष 2017 के बाद से अब तक जमीन के सर्किल रेट में संशोधन नहीं किया गया है. उत्तर प्रदेश में किसानों को रोजगार, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन सहित एलएआरआर अधिनियम 2013 द्वारा सुनिश्चित पर्याप्त, वैध मुआवजे और लाभों से वंचित किया गया है.
ग्रेटर नोएडा परियोजना से प्रभावित किसान विकसित भूमि का 10% वापस पाने, भूमिहीन किसान परिवारों के लिए रोजगार, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन के अलावा मुआवजे के रूप में सर्किल रेट की 4 गुना दर पाने के हकदार हैं.
ग्रेटर नोएडा के किसानों के अलावा, पूरे उत्तर प्रदेश में लाखों किसान परिवार भी इसी प्रकार के अधिग्रहण से प्रभावित हैं. एसकेएम ने किसानों से अपील की है कि वे जीतने हासिल होने तक संघर्ष को लगातार आगे बढ़ाएं, ताकि सभी पीड़ित किसान परिवारों को न्याय मिल सके.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today