शिवराज सिंह चौहान जोधपुर के किसान मेला में हुए शामिल, कहा- किसानों का खेत, खेत नहीं तीर्थ है

शिवराज सिंह चौहान जोधपुर के किसान मेला में हुए शामिल, कहा- किसानों का खेत, खेत नहीं तीर्थ है

कृषि मंत्री ने कहा कि केवल परंपरागत फसलों से काम नहीं चलेगा, जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय को बधाई देता हूं, उन्होंने ऐसे प्रयास किए जिससे कई परिस्थितियों में किसान को फायदा हो सकता है. साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों का खेत नहीं तीर्थ है, हमें उसमें जाना चाहिए.

Advertisement
शिवराज सिंह चौहान जोधपुर के किसान मेला में हुए शामिल, कहा- किसानों का खेत, खेत नहीं तीर्थ हैशिवराज सिंह चौहान

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को राजस्थान के जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित किसान मेला में शामिल हुए. वहां, उन्होंने मेले में आए छात्र-छात्राओं को संबोधित किया. इस दौरान शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसान भाई-बहन भी मेरा परिवार ही हैं. आज आपसे मिलकर बहुत प्रसन्न हूं, लेकिन मैं अतिथि नहीं हूं और मैं किसान भाई-बहनों के लिए मेहमान कैसे हो सकता हूं, मैं भी आपके परिवार का सदस्य हूं और खुद भी किसान हूं. मैं हर महीने अपने खेत पर जाता हूं, खेती करता हूं और कृषि को जीवन का आधार मानता हूं.

किसानों को लेकर विपक्ष पर निशाना

शिवराज सिंह चौहान ने पिछली सरकारों पर हमला बोलते हुए कहा कि जब देश में कांग्रेस और अन्य दलों की सरकारें थी, तब प्राकृतिक आपदा में अगर फसलें खराब हो जाती थी तो उन्हें मुआवजा ही नहीं मिल पाता था, क्योंकि पिछली सरकारों की इकाई तहसील थी. अगर 10 गांव के किसानों की फसल खराब हो जाए कोई राहत नहीं मिलती थी, क्योंकि उनकी इकाई तहसील थी, इसलिए जिनकी फसलें खराब हो जाती थी वो किसान भगवान से प्रार्थना करते थे कि पूरी की पूरी तहसील की फसल खराब हो जाए, ताकि उनको मुआवजा मिल सके, लेकिन हमारी सरकार ने तय किया है कि अगर एक किसान की फसल भी खराब हो जाए तो बीमा कंपनी को उसको मुआवजा देना पड़ेगा. हमने ये भी तय किया है कि सर्वे रिपोर्ट आने के बाद तय समय सीमा में किसान के खाते में राशि चली जाए. अगर तय समय सीमा में किसान के खाते में राशि नहीं जाती है तो बीमा कंपनी पर 12 फीसदी ब्याज लगाकर किसान के खाते में राशि डालेगी.  

प्राकृतिक खेती को देना होगा बढ़ावा

कृषि मंत्री ने कहा कि केवल परंपरागत फसलों से काम नहीं चलेगा, जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय को बधाई देता हूं, उन्होंने ऐसे प्रयास किए जिससे कई परिस्थितियों में किसान को फायदा हो सकता है. विविधीकरण, इंटरक्रॉपिंग अलग-अलग तरीके से हम कैसे विविधीकरण के माध्यम से ज्यादा फायदा कर सकते हैं. एक बात और है, वह है प्राकृतिक और जैविक खेती. कई राज्यों में खाद के ज्यादा उपयोग से जमीन बंजर भूमि की कगार पर गया है. उर्वरक क्षमता घट रही है, मित्र कीट मारे जा रहे हैं, केंचुओं का पता नहीं है, कई तरह के मित्र कीट समाप्त हो गए हैं, इसलिए आज नहीं तो कल हमें प्राकृतिक खेती, जैविक खेती पर विचार करना पड़ेगा, इसलिए प्राकृतिक कृषि मिशन बनाया है, ताकि किसान के पास अगर 5 एकड़ जमीन है तो कम से कम आधा एकड़ पर प्राकृतिक खेती हो.

“किसानों का खेत नहीं, तीर्थ है”

उन्होंने कहा कि मैं जोधपुर विश्वविद्यालय के मित्रों से यही कहूंगा कि हमें भी समाज की सेवा करनी है, यूनिवर्सिटी, वैज्ञानिक और किसान के संबंध जब तक नहीं रहते, तब तक हम जितना भी कुछ कर ले कोई फायदा नहीं रहता. अगर हमने शोध किया है तो उसे किसान तक ढंग से पहुंचा दें, विज्ञान और किसान मिले, यूनिवर्सिटी, किसान को नई टेक्नोलॉजी, शोध की जानकारी दें, जिससे वह उनका उपयोग खेतों में कर सकें. किसानों का खेत नहीं तीर्थ है, हमें उसमें जाना चाहिए. आज हमने कई फसलों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है. आज वो दिन नहीं है कि हमें अमेरिका से सड़ा गेहूं मंगवाना पड़े. अब तो हिंदुस्तान का गेहूं, दुनियाभर में धूम मचा रहा है. यह किसान की मेहनत है लेकिन हमें आगे जाकर दुनिया का फूड बास्केट बनाना है.  

किसानों की सेवा ही भगवान की पूजा

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि फल, सब्जी और अनाज किसी भी मशीन में बनाई नहीं जा सकता है, वो तो किसान ही खेत में पैदा कर सकता है और जीवन का आधार भी खेती-किसानी ही है. आज भी आधे से ज्यादा आबादी खेत पर ही निर्भर है. कोविड के दौरान जब सब कारखाने बंद हो गए तो एक ही कारखाना काम करता था, खेती और किसान लगातार फसलों का उत्पादन कर रहा था. भारत और विश्व के लिए खेती जरूरी है. कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा है, उसके प्राण है और किसानों की सेवा मेरे लिए भगवान की पूजा है. PM मोदी के नेतृत्व में कैसे खेती, किसानी आगे बढ़े, कैसे किसानों की आमदनी बढ़े, हमारी जलवायु अलग-अलग है, बारिश कम होती है, रेत चारों तरफ फैली हुई है, भावी चमत्कार करने का सामर्थ्य है तो केवल किसानों में है.

वन नेशन वन इलेक्शन पर बोले शिवराज

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पांचों साल, 12 महीने होने वाले चुनाव हमारे देश की प्रगति और विकास में बाधा हैं. पिछले साल नवंबर-दिसंबर में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव खत्म नहीं हुए कि उसके चार माह बाद देश में लोकसभा चुनाव शुरू हो गए. लोकसभा चुनाव खत्म हुए नहीं कि हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, झारखंड में चुनाव शुरू हो गए, ये चुनाव हुए नहीं कि, दिल्ली का दंगल शुरू हो गया और अब सभी राजनैतिक दल और नेता बिहार चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं.

हमारे देश में हर छह माह में कहीं न कहीं चुनाव होते हैं. ये बार-बार होने वाले चुनाव में बड़ी मात्रा में धन खर्च होता है. सुरक्षा बल और अधिकारी-कर्मचारी भी चुनाव कराने एक राज्य से दूसरे राज्यों में जाते हैं. प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्री और राज्य के मंत्रीगणों का भी समय खराब होता है. लॉन्ग टर्म प्लानिंग और विकास के सभी काम ठप्प हो जाते हैं, वहीं शिवराज सिंह ने युवाओं से भी अपील की है कि स्टूडेंट फॉर वन नेशन वन इलेक्शन फोरम बनाएं और इस अभियान को जन-आंदोलन बनाएं. शिवराज सिंह ने कहा कि अगर देश में एक साथ चुनाव होंगे तो बाकी साढ़े चार साल सरकारें केवल विकास के काम में जुट सकती है. इसलिए संविधान में संशोधन कर देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने चाहिए.

POST A COMMENT