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Cotton Farming: बेमौसम बारिश से कपास की खेती को होगा फायदा, एक्सपर्ट बोले- बढ़ेगा उत्पादन

Cotton Farming: बेमौसम बारिश से कपास की खेती को होगा फायदा, एक्सपर्ट बोले- बढ़ेगा उत्पादन

पंजाब में अब तक 30,000 हेक्टेयर में कपास की बुवाई की जा चुकी है और सरकार का लक्ष्य पिछले साल 2.48 लाख हेक्टेयर की तुलना में 3 लाख हेक्टेयर में फसल लगाने का है. बीते दिनों से हो रही बेमौसम बारिश इसमें मददगार साबित होगी.

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पंजाब में अब तक 30,000 हेक्टेयर में कपास की बुवाई की जा चुकी है पंजाब में अब तक 30,000 हेक्टेयर में कपास की बुवाई की जा चुकी है

एक्सपर्ट्स ने भविष्यवाणी की है कि इस वर्ष, हाल ही में हुई बेमौसम बारिश के कारण उत्तरी राज्यों में कपास की खेती के रकबे में बढ़ोतरी हो सकती है. वही हरियाणा में, कपास, जोकि एक प्रमुख ग्रीष्मकालीन (खरीफ) फसल है अभीतक तक 3.5 लाख हेक्टेयर रकबे में बोई जा चुकी है. जबकि राज्य सरकार ने इस खरीफ सीजन में 7 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती करने का लक्ष्य रखा है. सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले सीजन में हरियाणा में 5.74 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई हुई थी.

वहीं, पंजाब में अब तक 30,000 हेक्टेयर में कपास की बुवाई की जा चुकी है और सरकार का लक्ष्य पिछले साल 2.48 लाख हेक्टेयर की तुलना में 3 लाख हेक्टेयर में फसल लगाने का है.

कपास का रकबा बढने की उम्मीद 

हरियाणा कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक राम प्रताप सिहाग ने द हिंदू को बताया, "हाल की बारिश एक अच्छा संकेत है, क्योंकि यह उच्च तापमान के कारण होने वाली 'बर्निंग' की समस्या को रोक देगी. पिछले साल बर्निंग के कारण कपास के रकबे में काफी नुकसान हुआ था. बारिश बुवाई में तेजी लाने में मदद करेगी, खासकर उन क्षेत्रों में जहां सिंचाई की सुविधा नहीं है. हमें उम्मीद है कि कपास का रकबा पिछले साल के रकबे को पार कर जाएगा, क्योंकि सरकार पानी की खपत वाले धान की बुवाई से किसानों को बचने के लिए कह रही है और इस साल फसल-विविधीकरण पर ज़ोर देने के लिए कह रही है.”

बेमौसमी बारिश से फसलों को होगा फायदा 

वहीं, पंजाब कृषि विभाग के निदेशक गुरविंदर सिंह ने कहा, 'हाल की बारिश असामान्य रही है, लेकिन यह बुरी नहीं है. बारिश मिट्टी की नमी की मात्रा को बढ़ाने में मदद करेगी, जिससे अंततः फसल को फायदा होगा. भूजल का उपयोग भी कम होगा. कुल लागत में कमी आना तय है, जो किसानों के लिए फायदेमंद होगा.'

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पंजाब और हरियाणा में, कपास की खेती के तहत कुल क्षेत्रफल के 95 प्रतिशत से अधिक रकबे में बीटी कॉटन  बोया जाता है, शेष 5 प्रतिशत खेती योग्य क्षेत्र में आमतौर पर स्वदेशी (देसी) कपास की किस्में बोई जाती हैं. वहीं, कपास आमतौर पर पंजाब और हरियाणा के अधिकांश हिस्सों में अप्रैल के मध्य से मई के अंत तक लगाया जाता है.

कपास से बेहतर कीमत मिलने की उम्मीद

इंडिया कॉटन एसोसिएशन लिमिटेड (आईसीएएल) के पूर्व अध्यक्ष राकेश राठी ने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस साल हरियाणा और उत्तरी राजस्थान में कपास का रकबा बढ़ने की संभावना है. उन्होंने कहा, “हरियाणा और राजस्थान में, किसानों को ग्वार और दाल (मूंग) जैसी फसलों से कपास की ओर ट्रांसफर होने की संभावना है, क्योंकि कपास से बेहतर कीमत मिलने की उम्मीद है. पंजाब में हमें उम्मीद है कि कपास का रकबा पिछले साल के करीब रहेगा.