केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा ने इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम (आईएफएस) तैयार किया है. इस सिस्टम की खास बात ये है कि अगर किसान या फिर पशुपालक इसे अपनाते हैं तो उनके पशुपालन से होने वाला मुनाफा 50 फीसद तक बढ़ जाएगा. सीआईआरजी ने आईएफएस सिस्टम में बकरी और मुर्गियों को एक साथ रखा है. मतलब एक ही फार्म में अंडा और दूध साथ मिलेगा. इस सिस्टम के चलते बकरी और मुर्गी पालन की लागत में कमी आ जाती है. आईएफएस के चलते ही कम लागत पर मुर्गियों से अंडा मिलने लगता है.
इतना ही नहीं चिकन के लिए देसी और ब्रॉयलर मुर्गा कम लागत पर तैयार हो जाता है. सीआईआरजी अभी इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चला रहा है. हालांकि गांवों के लिए ये कोई नई बात नहीं है. ज्यादातर गांवों में आज भी गाय-भैंस, बकरी और मुर्गियों को संग पाला जाता है.
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सीआईआरजी के प्रिंदसपिल साइंटिस्ट डॉ. अरविंद कुमार का कहना है कि आईएफएस सिस्ट्म के तहत एक ऐसा शेड तैयार किया जाता है जिसमे बकरी और मुर्गियां बराबर में साथ-साथ रहती हैं. दोनों के बीच फासले के तौर पर लोहे की एक जाली लगी होती है. जैसे ही बकरियां सुबह चरने के लिए चली जाती हैं तो जाली में लगा एक छोटा सा गेट खोल दिया जाता है. गेट खुलते ही मुर्गियां बकरियों की जगह पर आ जाती हैं. यहां जमीन पर या लोहे के बने स्टॉल में बकरियों का बचा हुआ चारा जिसे अब बकरियां नहीं खाएंगी पड़ा होता है. इसे मुर्गियां बड़े ही चाव से खाती हैं.
इस हरे चारे में बरसीम, नीम, गूलर और उस तरह के आइटम भी हो सकते हैं जो बकरियों को कई तरह की बीमारी में फायदा पहुंचाते हैं. इस तरह से जो फिकने वाली चीज होती है उसे मुर्गियां खा लेती हैं. इसके चलते जो मुर्गी दिनभर में 110 ग्राम या 120 ग्राम तक दाना खाती है तो आईएफएस सिस्टम के चलते मुर्गी की खुराक में 30 से 40 ग्राम दाने की कमी आ जाती है.
डॉ. अरविंद का कहना है कि पानी में उगने वाले अजोला में बड़ी मात्रा में प्रोटीन होता है. और अजोला को उगाने के लिए न तो कोई बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और न ही बहुत ज्यादा लागत आती है. करना बस इतना है कि पानी का एक छोटा सा तालाब जैसा बना लें. इसका साइज मुर्गियों की संख्या पर भी निर्भर करता है. इसकी गहराई भी ना के बराबर ही होती है. इसमे थोड़ी सी मिट्टी डालने के साथ ही बकरियों की मेंगनी मिला दें. साइज के हिसाब से मिट्टी और मेंगनी का अनुपात भी अलग-अलग होगा.
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डॉ. अरविंद ने बताया कि इस सिस्टम के तहत आप एक बकरी पर पांच मुर्गी पाल सकते हैं. सीआईआरजी ने एक एकड़ के हिसाब से प्लान को तैयार किया है. इस प्लान के तहत आप बकरियों संग मुर्गी पालने के साथ ही बकरियों की मेंगनी से कम्पोस्ट भी बना सकते हैं. इस कम्पोस्ट का इस्तेमाल आप बकरियों का चारा उगाने में कर सकते हैं. ऐसा करने से आपको एकदम ऑर्गनिक चारा मिलेगा.
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