मछली पालन का मुनाफा इस पर निर्भर होता है कि तालाब की मछली कितनी हेल्दी है. उसे कोई बीमारी तो नहीं लगी है. बीमारी से मछलियां मर तो नहीं रही हैं. मछलियों के बीमार होने से उनकी लागत भी बढ़ जाती है. लेकिन तालाब के पानी को साफ रखने के लिए कुछ ऐहतियात बरती जाए तो तालाब के प्रदूषण को कंट्रोल किया जा सकता है. खासतौर पर तालाब से बाहर के पानी से होने वाले प्रदूषण को रोकना बहुत जरूरी हो जाता है. फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो मछली पालन में साफ पानी की बहुत अहमियत होती है.
पानी की तरफ से की गई जरा से भी लापरवाही मछली पालक को बड़ा नुकसान पहुंचाती है. प्रदूषित पानी से मछली में कई तरह की बीमारी हो जाती हैं. पानी में कई ऐसे जीव-जन्तु पैदा हो जाते हैं जो मछलियों को नुकसान पहुंचाते हैं. पानी में प्रदूषण बढ़ने से ऑक्सीजन की कमी भी होने लगती है.
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फिशरीज एक्सपर्ट मनोज सिंह ने किसान तक को बताया कि मछली पालन के लिए तैयार किए गए टैंक या तालाब खुले में ऐसी जगह होने चाहिए जहां सूरज की सीधी धूप पड़ती हो. ऐसा होने से पानी में सीप और घोंघे आदि जीव-जन्तु नहीं पनपते हैं. मछलियों को मांसाहारी जीव-जन्तु से बचाने के लिए तालाब में जाल का इस्तेमाल करें. एक्सपर्ट की सलाह पर पानी में दवा का छिड़काव करते रहें.
तालाब के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम होना एक सामान्य बात है. लेकिन बड़ी बात यह है कि इसके चलते मछली पालक को कई बार बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है. ऑक्सीजन की कमी के चलते मछलियां मरने लगती हैं. इसलिए समय-समय पर उपकरण की मदद से पानी का ऑक्सीजन और पीएच लेवल जांच लेना चाहिए. अगर ऑक्सीजन की कमी ज्यादा है तो मशीनों की मदद से ऑक्सीजन पानी में छोड़ी जानी चाहिए. लेकिन सबसे ज्यामदा जरूरी ये है कि हम लगातार तालाब के पानी की सफाई करते रहें.
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गर्मी और सर्दी में तालाब और टैंक के पानी का खासतौर पर ख्याल रखा जाता है. अगर सर्दी है तो तालाब और टैंक के पानी को ज्यादा ठंडा न होने दें. सुबह-शाम मोटर चलाकर ताजा पानी को मिलाकर तालाब के पानी को सामान्य कर दें. इसी तरह से गर्मी में ताजा पानी चलाकर उसकी गर्महाट को कम कर दें. इसके लिए तालाब के पास पानी की बड़ी मोटर का इंतजाम करके रखें.
मछलियों का उत्पादन बहुत हद तक मौसम पर निर्भर करता है.
अलग अलग मौसम में अलग अलग तरह की मछली का पालन किया जाता है. तालाब के पानी में अक्सर संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है. ये वो संक्रमण होता है जो एक बार तालाब में फैला तो फिर एक-एक कर सभी मछलियों को अपनी चपेट में ले लेता है.
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