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IHBT: मिजोरम के किसानों की किस्मत बदलने की हो रही तैयारी, तीन प्रोजेक्ट पर चल रहा काम

IHBT: मिजोरम के किसानों की किस्मत बदलने की हो रही तैयारी, तीन प्रोजेक्ट पर चल रहा काम

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयो रिसोर्स टेक्नोनलॅजी (आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश के साइंटिस्ट का कहना है कि अगर यह तीनों कोशिश कामयाब रहीं तो किसानों की इनकम को बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है. इसके लिए काम शुरू हो गया है. साइंटिस्ट लगातार मिजोरम का दौरा कर किसानों से मुलाकात कर रहे हैं. अच्छी बात यह है कि तीनों ही प्रोजेक्ट पर काम भी शुरू हो गया है. 

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भारत ने सेब की खेती में हास‍िल की बड़ी कामयाबी. भारत ने सेब की खेती में हास‍िल की बड़ी कामयाबी.

किसानों की इनकम बढ़ाने और गांवों से पलायन रोकने के लिए तमाम तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं. ऐसा ही कुछ मिजोरम में भी हो रहा है. यहां किसानों की किस्मत बदलने की तैयारी चल रही है. किसानों के लिए खासतौर पर तीन प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयो रिसोर्स टेक्नोनलॅजी (आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश इसमे अहम रोल निभा रहा है. आईएचबीटी के साथ इस प्रोजेक्ट में बागवानी कॉलेज, थेनजोल (केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इम्फाल), मिजोरम विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार परिषद भी साथ मिलकर काम कर रहे हैं. 

आईएचबीटी के साइंटिस्ट की मानें तो केन्द्र सरकार ने आईएचबीटी को मिजोरम में लो चिलिंग एरिया का सेब, महंगी सुगंधित फसलें और शिटाके मशरुम की खेती संबंधी प्रोजेक्ट चलाने के लिए मंजूरी दी है. इसी के बाद से यह तीनों प्रोजेक्ट मिजोरम में शुरू किए गए हैं. 

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नॉर्थ-ईस्ट के छह राज्य खाएंगे मिजोरम के सेब 

आईएचबीटी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. राकेश कुमार का कहना है कि प्रोजेक्ट के तहत आईएचबीटी द्वारा मिजोरम में सेब की लो चिलिंग एरिया वाली वैराइटी के 6400 पौधे लगाए गए थे. अब ये पौधे पेड़ बन चुके हैं. यह पौधे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर आइजोल, थेनजोल और मामित जिला में किसानों के सहयोग से लगाए गए थे. लगातार किए गए दौरे के दौरान हमने देखा कि पौधों की ग्रोथ अच्छी हो रही है.

इस प्रोजेक्टा में शामिल मिसटिक के मुख्य वैज्ञानिक ईएच लालसावमलियाना, वैज्ञानिक डॉ. डेवी लालरूआतलियाना और वैज्ञानिक डॉ. लालचंदमी तोछावंग भी पेड़ों की निगरानी कर रहे हैं. साथ ही किसानों को पौधों के विकास की निगरानी और किसानों को सेब की खेती की तकनीकों के लिए ट्रेंड किया जा रहा है.  

 फूलों के साथ खुशबू वाले महंगे तेल भी बेचेंगे किसान  

डॉ. राकेश कुमार और इंजीनियर मोहित शर्मा ने बताया कि सुगंधित पौधों और फूलों से निकलने वाले आवश्यक तेल का अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इत्र, फ्लेवरिंग, फार्मास्यूटिकल और कीटनाशक उद्योगों में उपयोग के लिए कारोबार किया जाता है. ये एक बड़ा बाजार है. देश में तेल की जरूरत को पूरा करने के लिए चीन, इंडोनेशिया, तुर्की, फ्रांस, केन्या, ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से तेल का आयात किया जाता है. डिमांड को ध्यान में रखते हुए मिजोरम में बागवानी कॉलेज, थेनजोल में सुगंधित पौधों जैसे लेमनग्रास, सिट्रोनेला और डैमस्क गुलाब के पौधे लगाए गए हैं.

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इस दौरान कालेज के वैज्ञानिकों, कर्मचारियों, किसानों और छात्रों को इसके बारे में ट्रेनिंग भी दी जा रही है. इसके साथ ही कई शहरों में शिटाके और ओएस्टर मशरूम उगाने के बारे में ट्रेनिंग भी दी जा रही है. इसके लिए आईएचबीटी लगातार सामान्य से लेकर हर तरह की तकनीकी सहायता मिजोरम के किसानों और बागवानी कालेज को दे रहा है.