पूसा कृषि विज्ञान मेला 22 से 24 फरवरी तक होगा आयोजित, विषय- "उन्नत कृषि – विकसित भारत"

पूसा कृषि विज्ञान मेला 22 से 24 फरवरी तक होगा आयोजित, विषय- "उन्नत कृषि – विकसित भारत"

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित नई किस्मों और तकनीकों का जीवंत प्रदर्शन होगा. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केन्द्रों, एफ़ पी ओ, उद्यमियों, स्टार्ट-अप्स, सार्वजनिक और निजी कंपनियों द्वारा नवीन तकनीकों, उत्पादों और सेवाओं की प्रदर्शनी भी होगी.

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पूसा कृषि विज्ञान मेला 22 से 24 फरवरी तक होगा आयोजित, विषय- "उन्नत कृषि – विकसित भारत"पूसा कृषि विज्ञान मेला

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली में पूसा कृषि विज्ञान मेला 2025 आयोजित होने जा रहा है. ये मेला 22 से 24 फरवरी तक चलेगा. मेले का विषय "उन्नत कृषि – विकसित भारत" है. उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान होंगे. इसके अलावा रामनाथ ठाकुर, राज्य मंत्री, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि होंगे. भागीरथ चौधरी, राज्य मंत्री, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय 24 फरवरी, 2025 को आयोजित समापन सत्र के मुख्य अतिथि होंगे. डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव डेयर और महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद उद्घाटन और समापन सत्र की अध्यक्षता करेंगे.

पूसा कृषि विज्ञान मेला के मुख्य आकर्षण

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित नई किस्मों और तकनीकों का जीवंत प्रदर्शन होगा. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केन्द्रों, एफ़ पी ओ, उद्यमियों, स्टार्ट-अप्स, सार्वजनिक और निजी कंपनियों द्वारा नवीन तकनीकों, उत्पादों और सेवाओं की प्रदर्शनी भी होगी.

तकनीकी सत्र और किसानों-वैज्ञानिकों के साथ संवाद, जो जलवायु अनुकूल कृषि, फसल विविधीकरण, डिजिटल कृषि, युवाओं और महिलाओं का उद्यमिता विकास, कृषि विपणन, किसान संगठन और स्टार्टअप्स, तथा किसानों के नवाचार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर आधारित होंगे. पूसा के द्वारा विकसित फसलों की किस्मों की बिक्री.

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा कृषि सलाह

जलवायु जोखिम और पोषण के बढ़ते महत्व को समझते हुए पूसा संस्थान में अनुसंधान जलवायु अनुकूल फसल किस्मों और बायो फोर्टिफाइड किस्मों के विकास पर केंद्रित है, जो उच्च उत्पादकता के साथ बेहतर पोषण सुरक्षा प्रदान करता है. वर्ष 2024 के दौरान, 10 विभिन्न फसलों में कुल 27 नवीन किस्में विकसित की गई, जिनमें 7 गेहूं की किस्में, 3 चावल, 8 संकर मक्का, 1 संकर बाजरा, 2 चने की किस्में, 1 अरहर संकर, 3 मूंग दाल किस्में, 1 मसूर की किस्म, 2 डबल जीरो सरसों की किस्में और 1 सोयाबीन की किस्म शामिल हैं. इनमें 16 किस्में और 11 संकर हैं. बदलते जलवायु परिदृश्य के तहत पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 10 जलवायु अनुकूल और बायो फोर्टिफाइड किस्मों का विकास किया गया है, जिसमें 7 अनाज और मिलेट्स, 2 दालें और 1 चारा किस्म शामिल है.

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बासमती धान उत्पादन और व्यापार

संस्थान ने बासमती धान उत्पादन और व्यापार में श्रेष्ठ किस्मों के विकास के माध्यम से विशाल योगदान दिया है. पूसा बासमती धान की किस्मों में पूसा बासमती 1718, पूसा बासमती 1692, पूसा बासमती 1509 और उन्नत बासमती धान की किस्में जिनमें बैक्टीरियल ब्लाइट और ब्लास्ट रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता है, जैसे कि पीबी 1847, पीबी 1885 और पीबी 1886, 2023-2024 में भारत से 5.2 मिलियन टन बासमती धान के निर्यात से 48,389 करोड़ रुपये की आय में लगभग 90 फीसदी योगदान करती हैं. अप्रैल 2024 से नवंबर 2024 तक, पूसा के बासमती धान से निर्यात आय 31,488 करोड़ रुपये तक पहुंची है.

दो छोटे अवधि वाली धान की किस्में, पूसा 1824 और पूसा 2090 विकसित की गई हैं, जो बाद में रबी की फसल के खेतों के तैयारी के लिए पर्याप्त समय प्रदान कर सकती हैं. पूसा आरएच 60 एक उच्च उपज वाली, छोटी अवधि वाली, सुगंधित धान की संकर किस्म है, जिसमें लंबे पतले दाने होते हैं, जो बिहार और उत्तर प्रदेश के लिए सबसे उपयुक्त है. पूसा नरेंद्र केएन1 और पूसा सीआरडी केएन2 उन्नत कालानामक धान की किस्में हैं, जिनमें बेहतर प्रतिरोधक क्षमता और उच्च उपज है, जो उत्तर प्रदेश के लिए अनुशंसित हैं.

आठ बायो फोर्टिफाइड किस्मों का विकास

पूसा के अनुसंधान कार्यक्रम ने पोषण सुरक्षा पर भी ध्यान केंद्रित किया और आठ बायो फोर्टिफाइड किस्मों का विकास किया. एक गेहूं की किस्म (एच आई 1665) और एक ड्यूरम गेहूं की किस्म, एच आई 60पीपीएम), प्रोविटामिन ए (6.22पी पी एम), उच्च लाइसीन (4.93 फीसदी) और ट्रिप्टोफैन (1.01 फीसदी) से समृद्ध किया गया है. पूसा बायो फोर्टिफाइड मक्का संकर-4 को उच्च प्रोविटामिन A, लाइसीन, ट्रिप्टोफैन से बायो फोर्टिफाइड किया गया है. पूसा पॉपकॉर्न संकर-1 और संकर-2 उच्च पॉपिंग प्रतिशत और बटरफ्लाई प्रकार के पॉप किए गए फ्लेक्स प्रदान करते हैं, जो एन डब्ल्यू पी जेड और पी जेड क्षेत्रों के लिए अनुशंसित हैं. पूसा एच एम 4 मेल स्टीराइल बेबी कॉर्न-2 एक मेल स्टीराइल आधारित संकर है, जिसे एन ई पी जेड पी जेड और सी डब्ल्यू जेड क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है.

दो डबल जीरो सरसों की किस्में (पूसा सरसों 35 और पूसा सरसों 36); जिनमें एरूसिक अम्ल और ग्लूकोसिनोलेट्स कम होते हैं; समय पर बोई गई सिंचित परिस्थितियों में उच्च उपज प्रदान करती हैं, जो क्षेत्र-III (मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान) के लिए उपयुक्त हैं. पूसा 1801 (एम् एच 2417) बाजरा की एक द्वि-उद्देश्यीय किस्म (अनाज और चारा) है, जो उच्च लोहा (70पीपीएम) और जिंक (57पी पी एम) से युक्त बायो फोर्टिफाइड किस्म हैं. यह कई रोगों के प्रति प्रतिरोधक है और दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए सबसे उपयुक्त है. चने की किस्म पूसा चना विजय 10217 उच्च उपज वाली किस्म है, जो फ्यूजेरियम विल्ट के प्रति प्रतिरोधक है, और उत्तर प्रदेश में सिंचित परिस्थितियों के लिए अनुशंसित है.

चने की किस्म पूसा 3057 में उच्च प्रोटीन (24.3%) है और यह कई रोगों, जैसे फ्यूजेरियम विल्ट (उकठा), कॉलर रोट (तना गलन) और ड्राई रूट रोट (जड़ गलन) के प्रति प्रतिरोधक है. यह पोड बोरर (फली बेधक सूँडी) के प्रति भी मध्यम प्रतिरोधक है और इसके बीज आकर्षक रंग और बड़े आकार के होते हैं. अरहर की किस्म पूसा अरहर हाइब्रिड-5 उच्च उपज वाली किस्म है (औसतन 23.35 क्विंटल /हैक्टेयर तक, और संभावित उपज 25.46 क्विंटल/हैक्टेयर) जो एस एम डी, फाइटोफोथोरा स्टेम ब्लाइट, मैक्रोफोमिना ब्लाइट (अंगमारी) और अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट (पत्ती धब्बा रोग) के प्रति प्रतिरोधक है, और यह दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है.

एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल विकसित

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा छोटे किसानों के लिए 1.0 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए एक एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल विकसित किया गया है, जिसमें फसलें, डेयरी, मछली पालन, बतख पालन, बायोगैस संयंत्र, फलदार पेड़ और कृषि वनस्पति शामिल हैं. इस मॉडल में प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष ₹3,79,000/- तक की शुद्ध आय प्राप्त करने की क्षमता है. इसी तरह, पूसा संस्थान द्वारा 0.4 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल विकसित किया गया है, जिसमें पॉलीहाउस, मशरूम की खेती के साथ-साथ फसल और बागवानी आदि गतिविधियां भी शामिल हैं. इस मॉडल से प्रति एकड़ प्रति वर्ष ₹1,75,650/- की शुद्ध आय उत्पन्न करने की क्षमता है.

बागवानी आधारित फसल विविधीकरण किसानों के बीच लोकप्रिय रहा है. सब्जियों, फलों और फूलों की खेती लाभदायक रही है, जबकि फलों और सब्जियों की खेती पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देने में भी उपयोगी है. सब्जियों की खेती को बढ़ावा देने हेतु संस्थान ने 48 सब्जी फसलों में 268 सुधारित सब्जी किस्में विकसित की हैं, जिनमें 41 संकर और 227 किस्में शामिल हैं.

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