लखनऊ स्थित CSIR-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च ने ऐसा टैबलेट तैयार किया है जो इंसानों के खाने-पीने की जरूरतों को पूरा करेगी. दवा की गोली की तरह यह ऐसा टैबलेट है जो मिलेट्स यानी मोटे अनाज से तैयार की गई है. इस टैबलेट को इमरजेंसी का सुपरफूड माना जा रहा है. अक्सर इमरजेंसी जैसे हालात में खाने-पीने के सामान की किल्लत हो जाती है या साथ में खाने का अधिक सामान ढोना मुश्किल होता है. ऐसी स्थिति में यह टैबलेट खाने-पीने की जरूरतों को पूरा करेगी.
यह गोली बाढ़, भूकंप या अन्य इमरजेंसी की हालत में उन लोगों की विशेषकर मदद करेगी जो घटनास्थलों पर तैनात किए जाते हैं. इसमें सेना या बचाव दल के लोग शामिल होते हैं. वे इस गोली से खाने-पीने की जरूरतों को पूरा कर सकेगे. खास बात यह है कि टैबलेट ज्वार, बाजरा, कोदो और रागी जैसे मोटे अनाजों से तैयार की गई है. इसमें किसी तरह का केमिकल नहीं है. लखनऊ स्थित सीएसआईआर ने इस टैबलेट को 2 साल में तैयार किया है.
सीएसआईआर-आईआईटीआर ने इस टैबलेट को आपातकालीन आहार, एनफिट और मिल-फिट का नाम दिया है. इसके बारे में सीएसआईआर-आईआईटीआर, लखनऊ के निदेशक डॉ. भास्कर नारायण ने 'दैनिक भास्कर' को जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अभी तक कोई कॉम्पैक्ट सुपरफूड मौजूद नहीं था जिसका इस्तेमाल इमरजेंसी में किया जा सके. इसी आइडिया के आधार पर टैबलेट को तैयार किया गया है.
यह टैबलेट अलग-अलग तरह के मोटे अनाजों से बनाई गई है. इस टैबलेट को बनाने के लिए पोषण पर शोध किए गए हैं और उसके रिजल्ट के आधार पर यह गोली तैयार की गई है. इस टैबलेट को खाने से शरीर के कई पोषक तत्वों की जरूरत पूरी होती है. इसमें सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट, मिनरल्स और विटामिन की जरूरतें पूरा होंगी. इस टैबलेट में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स भी है जो शरीर में स्फूर्ति लाने में मदद करेगा. बाकी टैबलेट की तरह यह हल्की होगी और इसे कई दिनों तक स्टोर करना भी आसान होगा.
इस टैबलेट का इस्तेमाल इमरजेंसी के लिए किया जा सकेगा. जैसे, सेना या बचाव दल के लोग बाढ़, भूकंप जैसी स्थितियों में घटनास्थल पर कई दिनों तक तैनात रहते हैं. ऐसी जगहों पर खाने का सामान भेजना मुश्किल होता है. इसे देखते हुए टैबलेट साथ में ले जाना और उससे पोषण की जरूरतों को पूरा करना आसान हो जाएगा. इस टैबलेट को मैराथन और खेल में भाग लेने वाले खिलाड़ी भी आसानी से इस्तेमाल कर सकेंगे. हालांकि यह टैबलेट भूख की जरूरतों को पूरा नहीं करेगी क्योंकि इसे पोषण के लिए तैयार किया गया है. अभी इसका प्रोटोटाइप लॉन्च किया गया है. जल्द ही इसके पायलट प्रोजेक्ट पर काम शुरू होगा.
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