मछुआरों की इनकम डबल करने के लिए Sea weed की खूबियां गिना रहा CMFRI, पढ़ें डिटेल 

मछुआरों की इनकम डबल करने के लिए Sea weed की खूबियां गिना रहा CMFRI, पढ़ें डिटेल 

समुद्री शैवाल (Sea weed) की खेती को और कैसे बढ़ाया जा सकता है. शैवाल की खेती के रास्ते में आने वाली परेशानियां कौन-कौनसी हैं और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है, ये सब जानकारी सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (CMFRI), कोच्चि  मछुआरों से जमा कर उन्हें दूर करने का काम कर रहा है.  

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मछुआरों की इनकम डबल करने के लिए Sea weed की खूबियां गिना रहा CMFRI, पढ़ें डिटेल शैवाल की खेती

मछुआरों की इनकम को डबल करने और उनके रहन-सहन में बदलाव लाने के लिए सरकार अलग-अलग कई योजनाओं पर काम कर रही है. बोट, मोटर बोट, जाल और यहां तक की फिश लैंडिंग सेंटर तक पर काम हो रहा है. प्राइवेट प्रोसेसिंग यूनिट को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. इसी कड़ी में सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (CMFRI), कोच्चिं भी मछुआरों की इनकम डबल करने के लिए समुद्री शैवाल (Sea weed) की खूबियां गिना रहा है. सीवीड की खेती को बढ़ावा दे रहा है. तटीय मछुआरों को सीवीड की खेती करने के लिए प्रेरित कर रहा है. 

सीवीड के लिए जरूरी विशेषज्ञता और बुनियादी ढांचे की जरूरत को पूरा करने के लिए मदद दी जा रही है. खासतौर पर तमिलनाडु के रामनाथपुरम, पुदुक्कोट्टई और तंजावुर जिलों के तट पर क्लस्टर आधारित सीवीड की खेती की संभावनाओं को देखते हुए मछुआरों को जागरुक किया जा रहा है. इसके लिए समुद्री शैवाल अनुसंधान रीजनल स्टेशन मंडपम की मदद ली जा रही है. इसका काम सीवीड के बारे में रिसर्च करना है. 

5 हजार टन सीवीड होती है एक हेक्टेयर में

सेंट्रल फिशरीज डिपार्टमेंट के ज्वाइंट सेक्रेटरी सागर मेहरा की मानें तो मौजूदा वक्त में करीब 1500 परिवार समुद्री शैवाल की खेती में लगे हुए हैं. समुद्री शैवाल का वर्तमान वार्षिक उत्पादन करीब पांच हजार टन प्रति हेक्टेयर है. हालांकि उत्पादन को और कई गुना बढ़ाया जा सकता है. हम तमिलनाडु के रामनाथपुरम, पुदुक्कोट्टई और तंजावुर जिलों के तट पर क्लस्टर आधारित समुद्री शैवाल की खेती विकसित करने पर काम कर रहे हैं. 

इसलिए बढ़ेगी सीवीड की डिमांड 

एक्सपर्ट की मानें तो सीवीड को 21वीं शताब्दी का चिकित्सा भोजन भी कहा जा रहा है. सीवीड में कई जैव सक्रिय यौगिक होते हैं, जिसके चलते इंसान और पशुओं में पूरक आहार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. सीवीड सूक्ष्म एल्गी, यानी शैवाल होते हैं. इनका इस्तेमाल खाद्य, ऊर्जा, रसायन और दवा उद्योग के साथ पोषण, बायोमेडिकल और पर्सनल केयर उत्पादों में भी किया जाने लगा है. घेघा, कैंसर, बोन रिप्लेसमेंट थेरेपी और कार्डियोवैस्कुलर सर्जरी में भी इनका इस्तेमाल किया जाने लगा है. एक्सपर्ट का कहना है कि सीवीड कंपाउंड्स कास्मेटिक्स उत्पादों की गुणवत्ता को बेहतर करते हैं. यही वजह है कि कास्मेटिक्स इंडस्ट्री में इनका उपयोग बढ़ रहा है. सीवीड की बायोएक्टिव प्रापर्टीज की वजह भोजन, जैव उर्वरक और हेल्थ केयर के उत्पाद तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं. 

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