गुजरात में इको सेंसेटिव ज़ोन (ESZ) को लेकर गुजरात के गिर में किसान विरोध पर उतर आए है. मंगलवार को गुजरात की तलाला तहसील में हजारों की संख्या में किसानों ने रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया. वन्य प्राणियों और गिर की सुरक्षा की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार ने हाल ही में इको सेंसेटिव ज़ोन्स का गैजेट जारी किया है. इकोज़ोन का गैजेट जारी होते ही कई जगहों पर किसानों में नाराजगी सामने आई है. किसानों का कहना है कि इकोज़ोन का कानून काला कानून है, जिसमें गिर के किसानों की आजादी छिन जाएगी. यही वजह है कि किसानों ने विरोध शुरू कर दिया है.
गुजरात के तीन से चार जिलों में तकरीबन 190 से ज्यादा गांव इकोज़ोन के शामिल होने की सूचना है. आज तलाला तहसील में किसान संघ की अध्यक्षता में 24 गावों के सपरंच और हजारों की संख्या में किसान मैंगो मार्केट में इकट्ठा हुए. काफी संख्या में किसान महिलाएं भी प्रदर्शन में शामिल हुईं. इस दौरान किसानों ने थाली बजाकर विरोध किया. हजारों की संख्या में किसानों ने रैली निकालकर तलाला तहसीलदार को आवेदन दिया और इसे इको सेंसेटिव ज़ोन में जोड़े गए गांवों के नाम हटाने की मांग रखी.
ये भी पढ़ें - गुजरात में धूम मचा रही 37 हजार सब्सिडी वाली गोबर धन योजना, हर राज्य में ग्रामीण ले सकते हैं लाभ
2012 से इकोज़ोन को लेकर गिर में विरोध का माहौल जारी है. इस कानून में थोड़ा बदलाव करने के बाद कुछ दिन पहले नया गैजेट जारी किया गया है. इन बदलावों को लेकर सरकार की ओर से 60 दिन के अंदर सुझाव मांगे गए हैं, लेकिन क्षेत्र के हजारों किसानों को यह मंजूर नहीं है. ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के अनुसार, गिर संरक्षित क्षेत्र के आसपास 1.84 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को इको सेंसिटिव ज़ोन (ESZ) घोषित किया गया है. नए ESZs में 17 रिवर कॉरिडोर और 4 लॉयन मूवमेंट कॉरिडोर शामिल किए जाएंगे.
इस बदलाव की पहल एशियाई शेरों के रहने की जगह के संरक्षण और क्षेत्र में सतत विकास में को बैलेंस करने के लिए की गई है. राज्य सरकार के अनुसार, वर्तमान में गिर संरक्षित क्षेत्र की बाहरी सीमा के 10 किलोमीटर की रेंज में आने वाले इलाकों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश और केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार ईकोसेंसिटिव ज़ोन माना जाता है.
बता दें कि गिर नेशनल पार्क और उससे सटे गिर, पनिया और मिटियाला सैंक्चुरी में 1,468 वर्ग किलोमीटर में फैला जंगल का इलाका पहले से शेरों और अन्य वन्यजीवों के लिए आरक्षित है. इस बदलाव के बाद अब उस संरक्षित क्षेत्र के आसपास का इलाका भी इकोसेंसटिव ज़ोन माना जाएगा.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today