मुर्गा मंडी में बॉयलर चिकन बाजार को एक और बड़ा झटका लगा है. पहले से कम रेट की मार झेल रहे ब्रॉयलर चिकन फार्मर को अब बाजार में डिमांड ना होने की परेशानी झेलनी पड़ रही है. बीते करीब दो-ढाई महीने से मुर्गों के दाम नहीं बढ़ रहे हैं. इसके पीछे मुर्गा मंडी में कई बड़ी वजह बताई जा रही हैं. लेकिन बीते एक हफ्ते से कड़ाके की सर्दी पड़ने की वजह से बाजार में चिकन की डिमांड और कम हो गई है. क्रिसमस और न्यू ईयर भी ऐसे ही बीत गया.
जबकि पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि इन दो खास मौकों के चलते कम से कम 15 से 20 दिन तक तो चिकन बाजार में तेजी रहती ही है. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. आज भी होलसेल बाजार में मुर्गा का दाम 90 रुपये किलो से कम ही है. अब घटती डिमांड के चलते और भी रेट कम होने की आशंका जताई जा रही है.
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गाजीपुर मुर्गा मंडी के होलसेलर हाजी जमील ने किसान तक को बताया कि हर रोज होटल-रेस्टोरेंट से चिकन की बहुत डिमांड आती है. लेकिन जब कड़ाके की सर्दी पड़ने लगती है तो ये डिमांड कम यानि ना के बराबर ही रह जाती है. यही अभी बीते कुछ दिन से हो रहा है. न्यूर ईयर पर भी होटल-रेस्टोरेंट से चिकन की उतनी डिमांड नहीं आई जितनी आनी चाहिए थी. क्योंकि खासतौर पर रात के वक्त कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. ऐसे मौसम में लोग फैमिली के साथ कम ही होटल-रेस्टो्रेंट में जाते हैं.
पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के कोषाध्यक्ष रिकी थापर ने किसान तक को बताया कि बीते कुछ महीने में पोल्ट्री फीड बहुत तेजी से महंगा हुआ है. जबकि ब्रॉयलर चिकन के प्रोडक्श न में 65 से 70 फीसद लागत फीड की आती है. इस वजह से भी चिकन की डिमांड कम हो गई है. लेकिन उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में चिकन की डिमांड बढ़ सकती है. लेकिन ये तभी संभव होगा जब कारोबारी अतिरिक्ती उत्पादन से बचेंगे.
रिकी थापर ने ये भी बताया कि पोल्ट्री फीड में ज्यादातर मक्का, बाजरा या टूटे चावल 60 से 65 फीसद और सोयाबीन 30 से 35 फीसद समेत दूसरे पोषक तत्व का इस्तेमाल किया जाता है. इंडस्ट्रियल फील्ड में बढ़ती मांग के कारण मक्का की मंडी कीमत सरकार द्वारा 2022-23 के घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1962 रुपये क्विंटल और 2023-24 खरीफ सीजन के 2090 रुपये क्विंटल से काफी ऊपर चल रही हैं.
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देश में मक्का और सोयाबीन उत्पादन का मौजूदा आंकड़ा पोल्ट्री सेक्टर की मांग को पूरा करने के लिए नाकाफी साबित होगा. क्योंकि सरकार इथेनॉल के लिए मक्के के उपयोग को बढ़ावा देने की योजना बना रही है, इसलिए पोल्ट्री सेक्टर को चारे के लिए मक्का हासिल करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि ये संकेत पोल्ट्री सेक्ट र के लिए अच्छेर नहीं हैं.
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