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बिहार में जल्द शुरू होगी प्राकृतिक सिंदूर की खेती, BAU सबौर को मिला रिसर्च का जिम्मा

बिहार में जल्द शुरू होगी प्राकृतिक सिंदूर की खेती, BAU सबौर को मिला रिसर्च का जिम्मा

अन्य पौधों की तरह सिन्दूर का भी एक पेड़ होता है. यह एक पौधा है जिसका फल पाउडर और तरल रूप में सिन्दूर जैसा लाल रंग पैदा करता है. कई लोग इसे लिक्विड लिपस्टिक ट्री भी कहते हैं, क्योंकि इससे निकलने वाला रंग आपके होठों को प्राकृतिक रंग दे सकता है.

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सिंदूर के पौधे पर शोध करने से प्राकृतिक रंगों को मिलेगा बढ़ावा सिंदूर के पौधे पर शोध करने से प्राकृतिक रंगों को मिलेगा बढ़ावा

हिन्दू धर्म में सिन्दूर को काफी प्रवित्र माना जाता है. पूजा-पाठ से लेकर हर खुशी के मौके पर लोग सिंदूर का तिलक लगाते हैं. सिंदूर के बिना महिलाओं का श्रृंगार अधूरा माना जाता है. ऐसे में महिलाओं के लिए बड़ी खुशखबरी है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर प्राकृतिक सिन्दूर पर शोध शुरू करेगा. रिसर्च की जिम्मेदारी भी महिला वैज्ञानिकों को ही सौंपी गई है. इसके बाद महिलाएं सिंथेटिक सिन्दूर की जगह प्राकृतिक सिन्दूर का प्रयोग करेंगी. शोध पूरा होने के बाद हर घर में प्राकृतिक सिन्दूर पौधे की खेती के लिए प्रचार-प्रसार किया जाएगा. 

कैसा होता है सिंदूर का पौधा

अन्य पौधों की तरह सिन्दूर का भी एक पेड़ होता है. यह एक पौधा है जिसका फल पाउडर और तरल रूप में सिन्दूर जैसा लाल रंग पैदा करता है. कई लोग इसे लिक्विड लिपस्टिक ट्री भी कहते हैं, क्योंकि इससे निकलने वाला रंग आपके होठों को प्राकृतिक रंग दे सकता है. हालाँकि, यह पौधा देश में हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों में व्यावसायिक रूप से उगाया जाता है. एक पौधे से डेढ़ किलो तक सिन्दूरी बीज निकलते हैं. आमतौर पर इसके बीजों का उपयोग रंग के लिए किया जाता है. इसमें लाल रंग की मात्रा अधिक होती है. अमेरिकी देशों में निकलने वाले रंग का उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों और खाद्य पदार्थों में भी किया जाता है.

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सिंदूर के पौधों का उपयोग

सिंदूर के पौधे के बीजों से निकलने वाले प्राकृतिक रंग का सौंदर्य प्रसाधन खूब इस्तेमाल हो रहा है. बल्कि इस पौधे का कई औषधि महत्व भी है. इसे सिंदूरी भी कहा जाता है. सौंदर्य प्रसाधन में इससे लिपस्टिक, हेयर डाई, नेल पॉलिश और लिक्विड सिंदूर बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा पेंट बनाने में भी इसके प्राकृतिक रंग का इस्तेमाल होता है. बाजार में बिकने वाले सिंदूर में मरकरी सल्फेट होता है जो हमारी त्वचा और बालों दोनों के लिए नुकसानदायक होता है.

सिन्दूर की खेती से महिलाओं को मिलेगा लाभ

प्राकृतिक सिन्दूर के उत्पादन और व्यवसाय से जुड़कर महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो सकेंगी. विश्वविद्यालय के पीआरओ डॉ. राजेस कुमार ने कहा कि बिहार में प्राकृतिक सिन्दूर के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं. इसके बावजूद इस खास पौधे के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है. कम बीज अंकुरण और इसके रंग के लिए पौधे के अत्यधिक दोहन ने इसे बहुत दुर्लभ बना दिया है. एक तरफ जहां कृत्रिम सिन्दूर त्वचा को नुकसान पहुंचाता है. प्राकृतिक सिन्दूर का त्वचा पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है. पारंपरिक मधुबनी पेंटिंग या मिथिला पेंटिंग एनाट्टो बीजों से प्राप्त प्राकृतिक नारंगी और लाल रंगों के उपयोग को दर्शाते हैं. एनाट्टो के बीजों से प्राप्त प्राकृतिक नारंगी और लाल रंगों का उपयोग इस कला में लंबे समय से किया जाता रहा है. 

पौधे में रंग की मात्रा बढ़ाने पर होगा शोध

पौधे में रंग की मात्रा बढ़ाने पर भी शोध किया जाएगा. बीएयू के वैज्ञानिक ने कहा कि बुनियादी शोध के बाद हम एनाट्टो में रंग की मात्रा बढ़ाने पर शोध करेंगे. इस दिशा में बायोकेमिकल प्रोफाइलिंग, मॉलिक्यूलर एवं बायोटेक्नोलॉजी और जीन सीक्वेंसिंग पर आधारित शोध किया जाएगा. कृत्रिम रंगों के प्रयोग और उनसे होने वाले नुकसान को देखते हुए इस पौधे में शोध की अपार संभावनाएं हैं.