Gaushala: ओपीडी, ऑपरेशन थियेटर, लैब सब कुछ है गायों के इस मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में

Gaushala: ओपीडी, ऑपरेशन थियेटर, लैब सब कुछ है गायों के इस मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में

गौशाला के सेवादार बताते हैं कि गौशाला की शुरुआत पदमश्री रमेश बाबा ने खुद अपने हाथों से पांच गायों के साथ की थी. आज श्रीमाता गौशाला में रहने वाली गायों की संख्या 60 हजार के करीब है. गायों की सेवा में लगे डॉक्टर, टेक्निशियन, मशीन-वाहनों का बेड़ा और कर्मचारियों की लम्बी-चौड़ी फौज शामिल है. 

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Gaushala: ओपीडी, ऑपरेशन थियेटर, लैब सब कुछ है गायों के इस मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल मेंमथुरा की इस गौशाला में 60 हजार गायों के लिए हॉस्प‍िटल बनाया गया है.

गाय को अगर बच्चा होने वाला है तो उसे फौरन ही हॉस्पिटल के गाइनी डिपार्टमेंट में भर्ती कराया जाता है. डॉक्टर और उनकी टीम गाय की देखभाल में जुट जाती है. अगर एम्बूलेंस कहीं से किसी चोटिल गाय को लाती है तो उसे सर्जरी विभाग में या जरूरत के मुताबिक पहले ऑपरेशन थियेटर (ओटी) में ले जाया जाता है. अगर बछड़ा बीमार हो तो उसे अलग बच्चा वार्ड में रखा जाता है. गायों के लिए श्रीमाता गौशाला, बरसाना, मथुरा में बनाया गया ये खास स्पेशलिटी हॉस्पिटल है. इस हॉस्पिटल में ब्लड, यूरिन और दूसरी जांच के लिए हाईटेक लैब है. 

एक्सरे और अल्ट्रा  साउंड यूनिट भी हैं. और सबसे खास बात ये कि इंसानी मरीजों की तरह से ही गायों की खुराक भी उनकी बीमारी और परेशानी के हिसाब से दी जाती है. इसके लिए हॉस्पिटल में ही किचन बनाया गया है. जहां मरीज गायों के लिए सुबह, दोपहर और शाम का खाना तैयार होता है. 

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सेवादार से सुनें गायों के हॉस्पिटल की खूबियां 

सेवादार ब्रजेन्द्र शर्मा का कहना है कि जिस तरह का अब गायों के साथ व्यवहार किया जा रहा है तो उसे देखते हुए गौशाला में बड़ा अस्पताल बनाया गया है. अस्पताल में गाइनी, सर्जीकल और मेडिसिन समेत बछड़ा वार्ड बनाया गया है. ओपीडी और ऑपरेशन थिएटर भी है. सभी तरह की लैब, एक्सरे-अल्ट्रा साउंड सेंटर भी बनाए गए हैं. इसे चलाने के लिए टेक्निशियन की एक लम्बी-चौड़ी टीम है. वार्ड के हिसाब से स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं. पैरा मेडिकल स्टाफ है. उन्हें सहयोग देने के लिए 30 लोगों की टीम लगाई गई है. इसके साथ ही डॉक्टर, पैरा मेडिकल स्टाफ समेत फील्ड यूनिट भी है. यह यूनिट स्पॉट पर जाकर गायों का इलाज करती है. गौशाला में 60 हजार से ज्या‍दा गाय हैं. सभी को अस्पताल में लाना मुमकिन नहीं है.

कर्मचारियों की मदद करती हैं 60 छोटी-बड़ी गाड़ियां 

श्रीमाता गौशाला में 55 ट्रैक्टर और पांच जेसीबी लगातार दौड़ती रहती हैं. कभी ट्रैक्टर से भूसा और हरा चारा एक शेड से दूसरे शेड में ले जाया जाता है तो कभी ट्रैक्टर चारा मिक्चर मशीन को गायों के शेड तक ले जाते हैं. यहां पर मिक्चर से तैयार हुआ चारा गायों के सामने डाला जाता है. पांच जेसीबी भी लगातार गौशाल के काम को निपटाती हैं. कभी गायों के शेड से गोबर जमा करती हैं तो कभी भूसा ट्रैक्टर में लोड करती हैं. इसके अलावा सूखा दाना एक दूसरे शेड से मिक्चर प्लांट तक भी ले जाती हैं. 

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300 कर्मचारी गौशाला में दिन-रात करते हैं काम

गौशाला के सेवादार ब्रजेन्द्र शर्मा ने किसान तक को बताया कि गौशाला में इस वक्त 300 से ज्यादा ही कर्मचारी काम कर रहे हैं. कोई वाहनों को चला रहा है तो कोई गायों को एक जगह से दूसरी जगह लाने-ले जाने का काम करता है. कोई गायों के शेड की सफाई करता है. किसी की डयूटी कुछ गायों का दूध निकालने की है. हर किसी का काम बंटा हुआ है. ज्यादातर कर्मचारी रहते भी गौशाला में ही हैं.

 

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