केंद्र सरकार ने देश में दो लाख नई प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) को बनाने का लक्ष्य रखा है. जिनमें से 12,000 से अधिक पैक्स रजिस्टर्ड हो चुके हैं. इसका उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देना है. सहकारिता के माध्यम से गांव और किसानों को आगे बढ़ाना है. सरकार पैक्स को मल्टी परपज बना रही है. जिसके तहत वो बैंक, गैस एजेंसी, पेट्रोल पंप, जन औषधि केंद्र, अनाज खरीद, भंडारण और सीएससी जैसे 27 तरह के काम कर पाएंगे. नए सुधार के अनुसार, ये क्रेडिट संस्थान न केवल ऋण वितरण में, बल्कि उत्पाद बिक्री प्रणाली में भी भाग ले सकेंगे, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी, ऐसा केंद्र सरकार द्वारा कहा जा रहा है. लेकिन आने वाले समय में यह लक्ष्य कितना हासिल होता है यह देखना अहम होगा.
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हाल ही में नई दिल्ली में सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार (सीआरसीएस) कार्यालय के नए भवन का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि नए कानूनों के कारण आज सहकारी क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत हुई है. पैक्स की व्यवस्था पारदर्शी हो रही है. शाह ने कहा था कि मल्टीस्टेट कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटीज को बैंक में परिवर्तित होने के लिए खुद को तैयार करना चाहिए. हमें इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए जिससे ज्यादा से ज्यादा बैंक मल्टीस्टेट बनें और ज्यादा से ज्यादा मल्टीस्टेट सहकारी संस्थान क्रेडिट सोसाइटी बैंक में परिवर्तित हों. इस बीच, 2020 में 10 और 2023 में 102 नई बहु-राज्य सहकारी समितियां पंजीकृत की गईं. यानी पंजीकरण में 10 गुना वृद्धि हुई है.
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सहकारिता मंत्रालय का लक्ष्य अगले 5 वर्षों में 2 लाख नए प्राथमिक कृषि ऋण संस्थान (PACS) बनाने का है. देश की प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक ऐसा पैक्स होगा जो कई तरह के काम करके ग्रामीण अर्थवयवस्था को बढ़ाने का काम करेगा. पहले पैक्स उपनियमों में कृषि ऋण के अलावा किसी अन्य कार्य को शामिल करने का कोई प्रावधान नहीं था. अब इसमें बदलाव करके उन्हें बहु आयामी बनाया गया है. आज देश की सभी पैक्स ने मॉडल अधिनियम को अपना लिया है. मॉडल सब-एक्ट के तहत नये पैक्सों का भी संचालन किया जा रहा है.
फिलहाल एलपीजी डीलरशिप के लिए भी पैक्स् को प्राथमिकता देने का फैसला किया गया है. पेट्रोलियम मंत्रालय ने पेट्रोल पंपों के कामकाज में आने वाली सभी बाधाओं को दूर कर दिया है. अब पैक्स पेट्रोल पंप भी चला सकेंगे. इसके अलावा लगभग 27 राज्यों ने पैक्स को हर परिवार के लिए 'हर घर नल से जल' अभियान से जुड़ने और यह काम करने की भी मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही पैक्स सस्ती दवा दुकानें और राशन दुकानें भी चला सकेंगे. आज देश में 35000 पैक्स उर्वरक वितरण से जुड़े हैं. गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्वी राज्यों में लगभग 2300 प्राथमिक सहकारी समितियां सस्ती कीमत पर दवाएं उपलब्ध करा रही हैं.
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