Lumpy Skin virus Disease: फिर फैली बीमारी, लंपी से ऐसे बचाएं पशुओं को, महाराष्ट्र में सैकड़ों गायों की हुई मौत 

Lumpy Skin virus Disease: फिर फैली बीमारी, लंपी से ऐसे बचाएं पशुओं को, महाराष्ट्र में सैकड़ों गायों की हुई मौत 

साइंटीफिक तरीके से किया गया पशुपालन पशुओं के साथ-साथ इंसानों को भी पशुओं की बीमारी से सुरक्षित रखता है. एक्सपपर्ट के मुताबिक इंसानों को 70 से 75 फीसद बीमारियां पशुओं से लगती हैं, जिन्हें हम जूनोटिक कहते हैं. यह कहना है गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधि‍याना के वाइस चांसलर डॉ. इन्द्रजीत सिंह का.

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Lumpy Skin virus Disease: फिर फैली बीमारी, लंपी से ऐसे बचाएं पशुओं को, महाराष्ट्र में सैकड़ों गायों की हुई मौत गौशाला में घूमतीं गाय. फोटो क्रेडिट-किसान तक

एक बार फिर लंपी बीमारी ने अपने पैर पसारना शुरू कर दिया है. लंपी की चपेट में इस वक्त सबसे पहले महाराष्ट्र का नांदेड़ जिला आया है. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक अब तक करीब 400 पशुओं की मौत लंपी की चपेट में आने से हो गई है. जिले को लंपी घोषित कर दिया गया है. अब उस जिले से कोई भी पशु बाहर दूसरे जिले में नहीं जाएगा. साथ ही जिले से लगने वाली तेलंगाना बार्डर को भी सील कर दिया गया है. किसी भी पशु को महाराष्ट्रत में एंट्री नहीं दी जाएगी. लेकिन इसके साथ ही दूसरे पशुओं को भी एनीमल एक्सपपर्ट के बताए सुझाव अपनाकर इस खतरनाक और जानलेवा बीमारी से बचाया जा सकता है. 

ऐसे सुझाव अपनाकर लंपी ही नहीं हर तरह की बीमारी से दुधारू पशुओं को बचाया जा सकता है. क्योंकि पशुपालन के पुराने तौर-तरीकों के चलते ही बीमारी पशुओं में अपना घर बना लेती हैं. क्लाइमेट चेंज को देखते हुए आज बॉयो सिक्योरिटी वक्त की जरूरत है. सभी तरह के पशुओं में मृत्यु दर को कम करने के लिए साइंटीफिक तरीके से पशुपालन करना बहुत जरूरी है. 

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अपने पशुओं के बाड़े में अपनाएं ये उपाय 

गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधि‍याना के वाइस चांसलर डॉ. इन्द्रजीत सिंह का कहना है कि उपाय के तहत अपने फार्म की बाड़बंदी करें. जिससे सड़क पर घूमने वाला कोई भी जानवर आपके फार्म में नहीं घुस सकें.अपने फार्म के अंदर और बाहर दवा का छिड़काव जरूर कराएं. दूसरा यह कि कुछ दवा फार्म पर रखें जिनका इस्तेमाल हाथ साफ करने के लिए हो. ऐसा करने के बाद ही पशु को हाथ लगाएं.

पशु को हाथ लगाने के बाद एक बार फिर से दवाई का इस्तेमाल कर हाथ साफ करें, जिससे पशु की कोई बीमारी आपको न लगे. इतना ही नहीं अगर कोई व्यकतिा बाहर से आपके फार्म में आ रहा है तो उसके शूज बाहर ही उतरवाएं या फिर उन्हें सेनेटाइज करें. हाथ और उनके कपड़ों को भी सेनेटाइज करवा सकें तो बहुत ही अच्छां है वर्ना तो पीपीई किट पहनाकर ही फार्म के अंदर ले जाएं.

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इसलिए छुट्टा गायों पर अटैक करता है वायरस 

डॉ. इन्द्रंजीत सिंह ने किसान तक को बताया कि सड़क पर घूमने वालीं और कुछ गौशालाओं में गायों को खाने के लिए पौष्टिक चारा नहीं मिल पाता है. जिसके चलते ऐसी गायों की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है. यही वजह है कि लंपी बीमारी का सबसे ज्यादा अटैक इसी तरह की गायों पर देखा गया. लंपी की वजह से मौत भी ऐसी ही गायों की हुई.

ऐसा नहीं है कि जहां गायों को बहुत अच्छा चारा मिल रहा है वहां गायों की मौत लंपी की वजह से नहीं हुई है, लेकिन उसकी संख्या  बहुत कम है. दूसरा यह कि सड़क पर घूमने वाली गाय बहुत जल्दी उन मक्खी-मच्छर की चपेट में आ गईं जो लंपी बीमारी के कारण थे. जबकि गौशालाओं और डेयरी फार्म पर बहुत हद तक साफ-सफाई होने के चलते मच्छर-मक्खी का उतना अटैक वहां नहीं हुआ.

इसलिए पशुओं में फैल रही हैं ऐसी बीमारियां 

डॉ. इन्द्रजीत सिंह का कहना है कि हम आज तक पशुपालन को अपने पुराने तौर-तरीके अपनाकर करते चले आ रहे हैं. जबकि क्लाइमेट चेंज के चलते अब बहुत बड़ा बदलाव आ चुका है. सबसे पहले तो हमे करना यह होगा कि हम गाय-भैंस पालें या भेड़-बकरी समेत कोई भी दुधारू पशु, हमे उसे साइंटीफिक तरीके से पालना होगा. इसके लिए जरूरत है कि हम अपने पशुओं के फार्म पर बॉयो सिक्योरिटी का पालन करें और आने वाले से भी कराएं.

 

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