कपास किसानों को 1000 रुपये/क्विंटल का नुकसान, इंपोर्ट ड्यूटी खत्म होने से महाराष्ट्र में बढ़ी चिंता

कपास किसानों को 1000 रुपये/क्विंटल का नुकसान, इंपोर्ट ड्यूटी खत्म होने से महाराष्ट्र में बढ़ी चिंता

कपास पर इंपोर्ट ड्यूटी हटने के बाद महाराष्ट्र के किसानों की चिंता बढ़ गई है. किसानों का कहना है कि उन्हें अब 7000 रुपये क्विंटल से भी कम रेट मिलेगा. वे कहते हैं कि इस फैसले से कपास पर हजार रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान उठाना पड़ेगा.

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कपास किसानों को 1000 रुपये/क्विंटल का नुकसान, इंपोर्ट ड्यूटी खत्म होने से महाराष्ट्र में बढ़ी चिंताकपास की फसल बर्बाद

भारत सरकार ने कपास पर लगाए जाने वाला आयात शुल्क हटा दिया है. पहले ही सोयाबीन का दाम गिर चुका है, अब लोकल बाजार में आए कपास के दाम भी गिरेंगे. किसानों को उनकी उपज के पैसे कम मिलेंगे. वैसे भी प्रकृति उनकी परीक्षा ले ही रही है और चारों ओर बाढ़ की हालत बनी है. उस पर केंद्र की नीतियों से किसानों की हालत और भी खराब होती जा रही है. कपास पर आयात शुल्क हटाना उसी का एक ताजा नमूना है.

केंद्र सरकार द्वारा कपास पर आयात शुल्क हटाए जाने के बाद देश के कपास उत्पादक किसान संकट में आ गए हैं. महाराष्ट्र के विदर्भ में सब से ज्यादा कपास की फसल ली जाती है. भारत का सबसे अधिक कपास उत्पादन गुजरात और महाराष्ट्र जैसे दो राज्यों में होता है।. महाराष्ट्र के विदर्भ में किसान कपास उत्पादन बड़ी मात्रा में लेते हैं. अकाल, बारिश और जलवायु परिवर्तन के कारण पहले से ही कपास उत्पादक किसान मुश्किलों में हैं. ऐसे समय में भारत सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले से किसानों में भारी असंतोष है.

किसानों ने जाहिर की चिंता

महाराष्ट्र के किसान नेता विजय जवंधिया ने 'आज तक' से खास बात करते हुए भारत सरकार के इस फैसले का विरोध किया. विरोध करते हुए उन्होंने कहा, कपास पर 11 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया जाता था जिसे अब माफ कर दिया है. इस फैसले से किसान को मिलने वाली एमएसपी अब नहीं मिलेगी. भारत सरकार कपास किसान को 8110 रुपये एमएसपी देता है. उन्होंने कहा, सरकार ने ट्रंप, व्यापारी, मिल मालिक को खुश करने के लिए यह फैसला लिया है.

पिछले साल एमएसपी नहीं मिली तब किसानों ने कपास की फसल कम रबके में लगाई. इस बार किसानों ने इस उम्मीद में कपास लगाया ताकि उन्हें अच्छा रेट मिलेगा. मगर मामला उलटा पड़ गया है. अब आयात शुल्क हटने के बाद उनके कपास को कोई पूछने वाला नहीं रहेगा. विजय जवंधिया ने कहा, आयात शुल्क माफ करने की वजह से व्यापारियों को 5 हजार रुपये खंडी (कपास का फूल) सस्ती मिलेगी. साथ ही उन्हें रुई 16 रुपये प्रति किलो सस्ती मिलेगी. एक किलो रुई में सात से आठ किलो कपड़ा बनता है. इस फैसले से दो रुपये मीटर लागत मूल्य कम हुआ है. अब दो रुपये मीटर कपड़ा सस्ता मिलने से निर्यात बढ़ जाएगा क्या?

भारत सरकार के कपास पर आयात शुल्क माफ करने के फैसले से कपास किसान को सात हजार रुपये प्रति क्विंटल से कम दाम में कपास बेचना पड़ेगा. लगभग एक हजार रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान किसान को होगा. महाराष्ट्र के किसान नेता सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि सरकार एक ओर किसान सम्मान निधि दे रही है, दूसरी ओर किसान की जेब से पैसे निकाल रही है.

केंद्र से फैसले से उड़ी नींद

विदर्भ का इलाका कपास उत्पादन का गढ़ है. अकोला जिले के निंभारा गांव के प्रगतिशील किसान गणेश नानोटे पाटिल ने 17 एकड़ में कपास बोया है. लेकिन अब केंद्र सरकार के फैसले ने उनकी नींद उड़ा दी है. उन्हें डर है कि अगर विदेशी कपास बाजार में सस्ते दाम पर आया तो उनकी मेहनत की फसल कौन खरीदेगा?

कपास किसान गणेश नानोटे पाटिल कहते हैं, “सरकार ने ये ड्यूटी 30 सितंबर तक हटाई है. लेकिन हमारी चिंता ये है कि अगर विदेशी कपास आ गया तो अक्टूबर से हमारी फसल कौन खरीदेगा? सीसीआई कितना खरीदेगी और किस दाम पर खरीदेगी ये साफ नहीं है. पहले भी सिर्फ 35% किसानों का कपास खरीदा गया था और उसमें भी अलग-अलग दाम मिले थे. हमें डर है कि कहीं इस बार भी नुकसान न हो.”

किसानों का कहना है कि कीटों का प्रकोप, मजदूरों की कमी और लगातार बढ़ती लागत पहले से ही कपास की खेती को घाटे का सौदा बना रही है. ऐसे में विदेशी कपास का दबाव और बढ़ गया तो भारतीय किसानों की फसल को मंडी में खरीदार तक नहीं मिल पाएंगे. (इनपुट योगेश पांडे/धनंजय साबले)

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