Monsoon Effect: खराब मौसम से गन्ने की पैदावार पर असर, चीनी उत्पादन गिरने की संभावना! 

Monsoon Effect: खराब मौसम से गन्ने की पैदावार पर असर, चीनी उत्पादन गिरने की संभावना! 

इस साल गन्ने के उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है. महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन 2021-22 के मुकाबले 137.28 लाख टन से गिरकर चालू पेराई सीजन 2022-23 में 124 लाख टन रहने की संभावना है.

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Monsoon Effect: खराब मौसम से गन्ने की पैदावार पर असर, चीनी उत्पादन गिरने की संभावना! खराब मौसम की वजह से गन्ने की पैदावार पर असर

पिछले साल देश में एक तरफ जहां कम बारिश के कारण कई राज्यों में सूखा पड़ गया था. वही देश के कई राज्यों में भारी बारिश की वजह से बाढ़ जैसे हालात हो गए थे. जिनमें से महाराष्ट्र राज्य भी एक था. यहां के कई जिलों भारी बारिश का कहर दिखा था. वही बार की तरह बारिश का सबसे ज्यादा प्रभाव यहां के किसानों पर पड़ा था. उस दौरान भारी बारिश की वजह से किसानों की लाखों हेक्टेयर भूमि पर लगी फसल बर्बाद हो गई थी. वही मानसून की बारिश का असर अभी भी दिख रहा है. दरअसल, इस साल गन्ने के उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है. महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन 2021-22 के मुकाबले 137.28 लाख टन से गिरकर चालू पेराई सीजन 2022-23 में 124 लाख टन रहने की संभावना है.

महाराष्ट्र में कम चीनी का उत्पादन

राज्य के विभिन्न हिस्सों में विपरीत जलवायु परिस्थितियों के कारण महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन 2021-22 के मुकाबले 137.28 लाख टन से गिरकर चालू पेराई सीजन 2022-23 में 124 लाख टन रह सकता है. बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने शनिवार को बताया कि लगातार बारिश होने की वजह से मिट्टी काफी लंबे समय तक गीली रही, जिसका प्रभाव गन्ने की फसल पर भी पड़ा है.

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उन्होंने आगे कहा, “नतीजतन, चालू सीजन में महाराष्ट्र में उत्पादन कम होगा. पहले, हमने पेराई सत्र शुरू होने पर 138 लाख टन उत्पादन का अनुमान लगाया था. अब, यह लगभग 124 लाख टन होने का अनुमान है. हमने केंद्र सरकार को उत्पादन के अपडेट आंकड़ों से अवगत करा दिया है."

महाराष्ट्र में 199 चीनी कारखाने चालू

वहीं एक अधिकारी ने कहा, "पेराई का सीजन पिछले साल की तुलना में जल्दी खत्म हो जाएगा. पिछले पेराई सत्र में, मानसून की शुरुआत तक कारखानों ने काम किया. अब, यह अप्रैल के अंत तक समाप्त हो जाएगा. राज्य में वर्तमान में कुल 199 कारखाने चालू हैं." उन्होंने कहा कि सतारा, सांगली और कोल्हापुर जिलों में पेराई मार्च के अंत तक और मराठवाड़ा कारखानों में अप्रैल के अंत तक खत्म हो जाएगी.

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