Bail Pola 2024: महाराष्ट्र के कृषि मंत्री और बीड जिले के संरक्षक मंत्री धनंजय मुंडे ने अपने जन्मस्थान नथारा गांव का दौरा किया. उन्होंने बैल पोला के अवसर पर अपने परिवार के साथ अपने खेत में बैल जोड़े की पारंपरिक तरीके से पूजा की और बलिराजा के बैल जोड़े को पूरनपोली का प्रसाद दिया.
एक ओर जहां प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बैल पोला का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा था, वहीं कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने भी अपनी पारंपरिक प्रथा को बरकरार रखते हुए आज कृषि विभाग की दो बैठकों में ऑनलाइन हिस्सा लिया. इसके अलावा पिछले दो-तीन दिनों से बीड जिले सहित मराठवाड़ा के कई जिलों में भारी बारिश के कारण भारी मात्रा में नुकसान हुआ है.
इसे लेकर उन्होंने अधिकारियों से ऑनलाइन मीटिंग में वस्तुस्थिति की जानकारी ली. उन्होंने बारिश की तीव्रता कम होने के बाद प्रभावित स्थानों पर पंचनामा करने के आदेश दिए है. साथ ही संबंधित विभागों को इस आपदा के प्रबंधन के निर्देश दिए, ताकि किसी प्रकार की जान-माल की हानि न हो.
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धनंजय मुंडे ने कहा कि बैल पोला देश की समृद्ध कृषि परंपरा में बलिराजा के साथ मेहनत करने वाले बैलों के प्रति आभार व्यक्त करने का त्योहार है. इस अवसर पर हम राज्य के सभी किसानों को शुभकामनाएं देते हैं. इस मौके पर धनंजय मुंडे की मां रुक्मिणीबाई मुंडे, भाई अजय मुंडे और अभय मुंडे भी मौजूद थे.
प्राचीन काल से ही बैलों को खेती किसानी का सबसे कारगर जरिया माना गया है. देश के हर हिस्से में छोटे और सीमांत किसान खेतों की जुताई से लेकर आवाजाही में आज भी बैलों का इस्तेमाल करते हैं. यही वजह है कि किसानों के परिवार में बैलों की अहमियत बहुत अधिक होती है. यहां तक कि उनकी पूजा भी की जाती है.
महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में बैलों की इसी अहमियत को दर्शाने के लिए धूमधाम से बैल पोला त्योहार मनाया जाता है. इसमें बैलों को तैयार कर सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है. इसमें किसान बैलों की खुशामदी करते हैं और उनकी अच्छी सेहत की कामना करते हैं. वहीं, जिन किसानों या खेत मजदूरों के पास बैल नहीं होते वे मिट्टी के बैलों की पूजा करते हैं. मराठवाड़ा में बैल पोला के अवसर पर बैलों की पूजा करते समय बारिश के आगमन के बारे में एक विशेष गीत गाया जाता है, इसके बोल "चाहुर चहुर चंग भाल, पाऊस आला घरला चला" है.
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