देश से बड़े पैमाने पर लीची का निर्यात किया जाता है. आप में से कई किसान ऐसे निर्यातक होंगे. या फिर अपने देसी बाज़ार में भी चमकदार-मीठे-रसीले यानी अच्छी क्वालिटी के फलों के अच्छे दाम मिलते हैं. तो क्यों ना आप अभी से, अपने बगीचे में ऐसा प्रबंधन करें, ताकि आपको बंपर फलत के साथ ही बेहतरीन क्वालिटी भी मिले. आम तौर पर देखा गया है कि अगर हम खाद-पानी कीट और रोगों का प्रबंधन अच्छे से नहीं कर पाते, तभी फलों की क्वालिटी बिगड़ती है. इसके लिए कुछ तकनीकी जानकारी भी ज़रूरी है. फल चमकदार हो, उनका आकार बड़ा हो, इसके लिए अभी से तैयारी शुरू कर दें.
लीची की क्वालिटी उपज के लिए, ये वक्त काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि मंजर निकलने से लेकर फल आने तक की अवस्था बेहद संवेदनशील होती है. लीची की बागवानी में सिंचाई का अहम स्थान है. लेकिन ये सावधानी ज़रूर रखनी चाहिए कि पेड़ों के फूल की अवस्था के टाइम पर सिंचाई या पटवन नहीं किया जाना चाहिए. इससे फूल की अवस्था ठीक से पूरा नहीं हो पाएगा. यानी फूल गिर सकते हैं.
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जब फल सरसों के दाने के बराबर हो जाएं तब जाकर पेड़ों को सिंचाई देनी चाहिए. लीची में फूल आने से लेकर फल बनने तक का समय पानी के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होता है. नवंबर से लेकर मार्च तक यानी फूल आने और फल लगने तक सिंचाई नहीं करनी चाहिए इसके बाद लीची में फल लगने से लेकर फल तुड़ाई तक लीची के बाग में एक सप्ताह के अंतराल पर पौधो में सिंचाई करनी चाहिए. इस दौरान अगर बाग में नमी की कमी हो जाएगी तो फल खराब होगा और अगर नमी की कमी रहती है तो फल का आकार छोटा हो जाता है औऱ लीची की पैदावार कम होती है. इसलिए लीची के बाग में फल लगने के बाद से तुड़ाई के 8-10 दिन पहले तक खेत में नमी जरूर बनाए रखें.
जब फल मटर के दाने के बराबर सेट हो जाएं, तो पेड़ों की हल्की सिंचाई के बाद 1-सवा किलो यूरिया प्रति पौधा दे सकते हैं. इसके अलावा पौधों और फलों के तेज़ और अच्छे विकास के लिए ग्रोथ रेगुलेटर की मदद ली जाती है. लेकिन इसे सीधे पानी में ना घोले बल्कि स्प्रिट जैसे किसी सॉलवेंट का इस्तेमाल करें. इसके अलावा मधुमक्खियां लीची की पैदावार के लिए काफी अहम हैं. इनके मधुबक्से अपने बाग के पास रखें या प्राकृतिक तौर पर मधुमक्खियों का छत्ता लगा हो, तो उसे सुरक्षा दें. इनसे फ्रूट सेटिंग में बहुत मदद मिलती है.
फल झड़ने की समस्या को रोकने के लिए प्लानोफिक्स का छिड़काव 4 मिलीलीटर दवा 10 लीटर पानी में फलों के लौंग के आकार का हो जाने के बाद करें. इससे फलों का झड़ना कम हो जाता है. फल के फटने की समस्या को रोकने के लिए फलों के लौंग के आकार का बन जाने पर बोरॉन का पहला छिड़काव अप्रैल प्रथम सप्ताह में, 4 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर करें. दूसरा छिड़काव फलों के रंग की शुरुआत (लाली) होने के समय (मई प्रथम सप्ताह) में करें. इससे फलों के फटने की समस्या कम हो जाती है.
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इसके अलावा अपने विकास क्रम में फल तेजी से बढ़ते हैं, जबकि फलों को वातावरण की सही नमी ना मिलने पर, उसके छिलके फटने लगते हैं. इससे आपके फल डैमेज होंगे तो उनका उचित मूल्य नहीं मिल पाएगा. ऐसी स्थितियों से बचने के लिए फल तैयार होने के वक्त तक कुछ-कुछ दिनों पर फलों को भी हल्की फुहार देते रहें. इसमें कई बार बोरॉन का इस्तेमाल बेहतर होता है.
लीची तुड़ाई के वक्त इस बात पर ज़रूर ध्यान दें कि लीची को गुच्छे में तोड़ें. इससे फल लंबे समय तक ताज़ा और अच्छी क्वालिटी के रहते हैं. इस तरह लीची के बागों की देखभाल करेंगे, तो निश्चित ही बेहतर क्वालिटी की बंपर फलत के हक़दार बनेंगे. आप एक्सपोर्टर हों तो भी या देसी बाज़ार में आपका माल जाता हो तो भी फलों की बेहतर क्वालिटी ही, आपको सही रेट दिला पाएगी. इसलिए लीची के बागों का बेहतर प्रबंधन अभी से शुरू कर दें.
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